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न्यूज क्लिपिंग्स् | एसईजेड की विफलता, नए लैंड बिल पर सवाल

एसईजेड की विफलता, नए लैंड बिल पर सवाल

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published Published on May 21, 2015   modified Modified on May 21, 2015
नई दिल्ली। आर्थिक विकास की रफ्तार बढ़ाने के लिए पहले किए गए भूमि अधिग्रहण लक्ष्य हासिल करने में विफल रहे हैं। नए विवादास्पद जमीन अधिग्रहण विधेयक (लैंड बिल) पारित कराने की जद्दोजहद को देखते हुए यह एक चेतावनी से कम नहीं है।

नियंत्रक और महालेखापरीक्षक (सीएजी) की एक रिपोर्ट के मुताबिक विशेष आर्थिक क्षेत्र (एसईजेड) के लिए किसानों की अधिगृहित जमीन के अधिकतम 62 फीसदी का ही इस्तेमाल मैन्युफैक्चरिंग, निर्यात और रोजगार बढ़ाने जैसे लक्ष्य हासिल करने के लिए हो पाया है। अधिकतर एसईजेड में आईटी और आईटी आधारित कंपनियों की भरमार है। सभी एसईजेड प्रोजेक्ट में मैन्युपैक्चरिंग कंपनियों की हिस्सेदारी महज नौ फीसदी है।

एसईजेड लक्ष्य से काफी पीछे

एसईजेड रोजगार, निवेश और निर्यात के लक्ष्य से काफी पीछे हैं। मसलन, अब तक लक्ष्य का केवल 8 फीसदी रोजगार ही हासिल हो पाया है। सीएजी की यह रिपोर्ट 13 राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों की 574 एसईजेड यूनिट्स पर आधारित है। इनमें आंध्र प्रदेश, गुजरात, हरियाणा, कर्नाटक, केरल, मध्यप्रदेश, महाराष्ट्र, ओड़ीशा, पंजाब, राजस्थान, तमिलनाडु, उत्तर प्रदेश और पश्चिम बंगाल शामिल हैं।

सरकार की दलील

केंद्र सरकार के नए भूमि अधिग्रहण विधेयक को व्यापक विरोध के बाद पुनर्विचार के लिए संसद की स्थायी समिति के हवाले कर दिया गया है। सरकार का तर्क यह है कि इस विधेयक को जल्द पारित कराने की जरूरत है, ताकि उद्योगों के लिए जमीन उपलब्ध हो सके। इससे रोजगार बढ़ेगा और आर्थिक तेजी आएगी।

यहां गौर करने वाली बात है कि एसईजेड प्रोजेक्ट्स भी इसी तरह की मंशा के साथ 'विशेष आर्थिक क्षेत्र अधिनियम-2000' के तहत शुरू किए गए थे। यह कानून आर्थिक विकास की धुरी बनाने के लिए साल 2005 में लागू किया गया था। एसईजेड को व्यापारिक संचालन, शुल्क और टैक्स के लिहाज से एक विदेशी क्षेत्र का दर्जा हासिल है। लेकिन इसके उद्देश्य हासिल होते नहीं नजर आ रहे हैं।

आंकड़े निराशाजनक

केंद्र की पिछली सरकार ने 60,375 हेक्टेयर जमीन में फैले 576 एसईजेड को मंजूरी दी थी। इसमें से 45,636 हेक्टेयर में फैले 392 एसईजेड मार्च 2014 तक अधिसूचित हुए। जमीन का इस्तेमाल के लिहाज से 392 अधिसूचित एसईजेड में से 152 का ही संचालन हो रहा है, जो 28,489 हेक्टेयर में फैले हैं। जाहिर है, 424 एसईजेड (31,886 हेक्टेयर) यानी 52.8 फीसदी का इस्तेमाल नहीं हो रहा है।

कौन सा लक्ष्य कितना पीछे

रोजगारः 93 फीसदी पीछे, एसईजेड ने दो लाख रोजगार दिए जबकि लक्ष्य 39 लाख का था।

निवेशः लक्ष्य से 59 फीसदी पीछे, 80,176.3 करोड़ रुपए का निवेश हुआ जबकि लक्ष्य 1,94,662.5 करोड़ रुपए का था।

निर्यातः लक्ष्य से 74 फीसदी पीछे, एसईजेड से 1,00,579.7 करोड़ रुपए की वस्तुएं निर्यात की गई जबकि लक्ष्य 3,95,547.4 करोड़ रुपए के निर्यात का था।


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