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न्यूज क्लिपिंग्स् | क्या महंगा पड़ सकता है ईंधन के लिए गन्ने का उपयोग?

क्या महंगा पड़ सकता है ईंधन के लिए गन्ने का उपयोग?

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published Published on Feb 14, 2023   modified Modified on Feb 14, 2023

द थर्ड पोल, 14 फरवरी

उत्तर प्रदेश में मेरठ के बाहरी इलाके में पिछले कुछ महीनों से बड़ी-बड़ी चिमनियां लगातार धुंआ उगल रही हैं। अक्टूबर से अप्रैल गन्ना-पेराई का मौसम होता है। गन्ने की मदद से भी इथेनॉल बनता है। इस दौरान यहां की चीनी मिलें चालू रहती हैं। बिजली पैदा करने के लिए गीले पौधों के कचरे को जलाया जाता है, जिससे धुआं पैदा होता है, जो वातावरण में मंडराता रहता है। देखने में ऐसा लग सकता है कि ये सारे काम लगातार हो रहे हैं। लेकिन असलियत में इस उद्योग के लिए सबसे ज़रूरी गन्ने की आपूर्ति दरअसल गिर रही है।

मेरठ से करीब आधे घंटे की दूरी पर स्थित नंगलामल गांव के 35 वर्षीय गन्ना किसान अरुण कुमार सिंह गन्ने की आपूर्ति लेकर चिंतित हैं। साल 2021-22 के फसली सीज़न में, सिंह के गन्ने की फसल लगभग 30 फीसदी कम हो गई। आम तौर पर, वह अपने पांच हेक्टेयर के खेत से 1,40,000 किलोग्राम उपज की उम्मीद करते थे, लेकिन पिछले साल उन्हें 1,00,000 किलोग्राम उपज ही मिल पाई।

सिंह अपनी खराब फसल के लिए पिछले साल की रिकॉर्ड तोड़ गर्मी, अनियमित मानसून और कीड़ों द्वारा पहुंचाए गए नुकसान को जिम्मेदार ठहराते हैं। उनका कहना है कि गन्ने की मांग बढ़ने से किसान नई, अधिक उत्पादक लेकिन कम-लोचशील (लेस-रिजिल्यन्ट) किस्मों को लगाने के लिए प्रेरित हो रहे हैं। अपने खेतों की ओर इशारा करते हुए, वह कहते हैं: “यह किस्म केवल आठ साल पहले ही आई थी और हर साल अधिक पानी की मांग कर रही है। वैसे भी हमारे क्षेत्र में पानी की कमी है।”
पूरी रपट- द थर्ड पोल


द थर्ड पोल , 14 फरवरी https://www.thethirdpole.net/hi/482/111087/
 

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