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न्यूज क्लिपिंग्स् | करोड़ों की चीनी गली

करोड़ों की चीनी गली

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published Published on Jul 2, 2010   modified Modified on Jul 2, 2010
भोपाल. अगस्त 2009 में सरकार ने जमाखोरों और व्यापारियों के खिलाफ मुहिम चलाकर शक्कर जब्त की थी। उस समय दावा किया गया था कि इससे आसमान छूती कीमतों में कमी आ जाएगी, लेकिन ऐसा नहीं हुआ।

उलटा प्रदेशभर के अलग-अलग भंडारगृहों में पड़ी यह शक्कर अब खराब हो रही है। इतना ही नहीं मानसून की आमद ने इस खतरे को और ज्यादा बढ़ा दिया है। प्रदेशभर के भंडारगृहों की हालत खराब है और इनमें पानी रिसता रहता है।


इंदौर के देवास नाका क्षेत्र स्थित एक भंडारगृह मामूली बारिश के बाद ही हकीकत बता रहा है कि कैसे लाखों रुपए की यह शक्कर बिना किसी इस्तेमाल के पानी में चली जाएगी।


वर्तमान बाजार मूल्य के हिसाब से 47 हजार क्विंटल शक्कर का ही दाम 13 करोड़ रुपए से भी ज्यादा है। भास्कर की पड़ताल में निकला कि नियमानुसार इस शक्कर का निपटारा अब तक हो जाना था लेकिन सरकार कोर्ट में मामला होने की बात कहकर रुचि नहीं ले रही। हालांकि आवश्यक वस्तु अधिनियम के तहत उसके पास पर्याप्त अधिकार हैं जिससे वह इस नुकसान को रोक सकती है।


खाद्य सामग्री को फूड पॉयजनिंग होने से बचाने के लिए कानून में प्रावधान है। चूंकि अगस्त २क्क्९ में जब्त शक्कर का प्रकरण कोर्ट में विचाराधीन है, इसलिए मप्र सरकार के एडवोकेट जनरल को इसका निपटारा जल्दी करवाना चाहिए था।


जब तक सरकार का पक्ष मजबूती से कोर्ट में नहीं रखा जाएगा तब तक यह प्रकरण लंबित ही रहेगा और शकर बंद तालों में पड़ी रहेगी। विशेषज्ञों का कहना है कि तालों में रखी शकर अगर समय रहते नहीं निकाली गई तो न केवल यह दूषित हो सकती है बल्कि इसे व्यापारी भी वापस नहीं लेंगे। फिर भले ही निर्णय उनके पक्ष में हुआ हो। ऐसे में एक तो यह कि जब्त शकर खराब होने का खामियाजा सरकार को खुद भुगतना पड़ेगा, दूसरा जो चीज जनता तक एक साल पहले ही पहुंच जाती वह अब तक नहीं पहुंच पाई।


शासन में है इच्छाशक्ति की कमी


खाद्यान्न सामग्री होने के कारण जिला प्रशासन ने शकर जब्त करते समय प्रकरण आवश्यक वस्तु अधिनियम-१९५५ के तहत बनाए थे। इस अधिनियम की विभिन्न धाराओं के अंतर्गत कार्रवाई कर अंतिम निर्णय लेकर शकर बाजार में या सार्वजनिक वितरण प्रणाली के जरिए उपभोक्ताओं तक पहुंचाई जा सकती है। लेकिन शासन की इच्छाशक्ति में कमी के कारण फरवरी-मार्च तक ऐसे दजर्नो प्रकरण लंबित हैं।


लाइसेंस अवधि खत्म, अब क्या करें?


केंद्र के निर्देश पर शकर व्यापारियों को ३१ दिसंबर, २क्क्९ तक के लिए शकर के लाइसेंस दिए गए थे, जिसकी अवधि अब खत्म हो चुकी है। प्रदेश सरकार ने व्यापारियों से लाइसेंस के नवीनीकरण की फीस, चालान सहित दस्तावेज तो ले लिए,लेकिन अब सरकार को भी समझ नहीं आ रहा है कि शकर व्यापारियों का लाइसेंस का नवीनीकरण किया जाए या नहीं। क्योंकि केंद्र सरकार की ओर से शकर के लाइसेंस के बारे में अब तक कोई दिशा-निर्देश नहीं मिले हैं। जबकि प्रदेश सरकार ने बिना दिशा-निर्देशों और केंद्र सरकार की अनुमति के शकर लाइसेंस नवीनीकरण के लिए कागज एकत्र कर लिए हैं। ऐसे में प्रदेश के कई व्यापारी असमंजस में है कि अब क्या करना है?


मंत्री पारस जैन ने कहा-सरकार की कोई भूमिका नहीं


?शकर जब्त किए एक साल हो चुका है, अब तक इसका निराकरण क्यों नहीं हो पाया?

—जो मामला कोर्ट में चला जाता है, उसमें सरकार की क्या भूमिका हो सकती है?
?खाद्यान्न सामग्री के मामलों में सरकार की कोई भूमिका नहीं होती है क्या?
—कोर्ट के प्रकरणों में सरकार की कोई भूमिका नहीं होती। जो पक्ष रखना है वो सरकारी वकील को रखना है। सरकारी वकील कोर्ट में अपना पक्ष रखेगा, हम सीधे कैसे निर्णय ले सकते हैं।
?सरकारी वकील को तो आप कह सकते हैं कि खाद्यान्न सामग्री के प्रकरणों को जल्दी निपटाएं?
—ग्वालियर के व्यापारियों का निपटारा हो चुका है, यहां के व्यापारी के वकील जल्दी कर लंे तो हम भी जल्दी कर लेंगे।
?गोडाउन में रखी शकर खराब हो रही?
—व्यापारी जिस दिन पैसे जमा कर देंगे, हम उसी दिन शकर की नीलामी करवा देंगे।

मुख्यमंत्री ने सिर्फ आश्वासन ही दिया


शक्कर छुड़वाने के लिए जब हम हड़ताल कर रहे थे तो सीएम शिवराज सिंह चौहान ने आश्वासन देकर हड़ताल तुड़वाई थी, लेकिन अब शकर पानी में बह रही है। इंदौर के लसुड़िया थाने में व्यापारियों पर एफआईआर दर्ज है, लेकिन उसका समाधान नहीं हुआ। पुलिस हर बार परेशान करती है।


-मोतीराम/ महासचिव, मप्र शकर व्यापारी एसोसिएशन, भोपाल


चेते नहीं तो..


13.71 करोड़ रुपए की शकर घुल जाएगी पानी में


हम सीधे निर्णय कैसे करें


कोर्ट के प्रकरणों में सरकार की कोई भूमिका नहीं होती। जो पक्ष रखना है वो सरकारी वकील को रखना है। सरकारी वकील कोर्ट में अपना पक्ष रखेगा, हम सीधे कैसे निर्णय ले सकते हैं।


पारस चंद्र जैन/ मंत्री, खाद्य, नागरिक आपूर्ति एवं उपभोक्ता संरक्षण विभाग


सरकार का दखल नहीं होता


कोर्ट में चल रहे प्रकरणों में सरकार का दखल नहीं होता है। इस प्रकरण में विधि विभाग का अभिमत होना है। जिन व्यापारियों की शक्कर जब्त है, उन्हें आगे आकर सुनवाई के लिए आवेदन लगाना चाहिए।ज्‍ज

ऋषभ दास जैन/ महाधिवक्ता, मप्र हाईकोर्ट, जबलपुर

http://www.bhaskar.com/article/MP-OTH-sugar-worth-crores-is-being-wasted-1114334.html


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