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न्यूज क्लिपिंग्स् | कश्मीर के पहले IAS टॉपर का Blog- जब कश्मीरी से जरूरी गाय हो जाएगी तो गुस्सा भारत पर ही निकलेगा

कश्मीर के पहले IAS टॉपर का Blog- जब कश्मीरी से जरूरी गाय हो जाएगी तो गुस्सा भारत पर ही निकलेगा

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published Published on Jul 20, 2016   modified Modified on Jul 20, 2016
बात 13 जुलाई (2016) की है। कश्मीर की सड़कों पर सुबह से कर्फ्यू लगा था। बीच-बीच में कश्मीर की ‘आजादी' के नारे गूंजने लगते फिर उन्हें शांत करने के लिए आंसू गैस छोड़ी जाती। इस सबके बीच मेरा एक साल का बेटा सोने की कोशिश कर रहा था। उस देखकर मुझे मेरा बचपन याद आ गया। लगभग 30 साल पहले की बात है। वह 85वां शहीदी दिवस था। सड़कों पर ऐसा ही माहौल था और मेरे पिताजी मुझे सुलाने की कोशिश कर रहे थे। हालांकि, इस बार मामला एक हिजबुल कमांडर के मारे जाने का है।

इस सबके बीच मुझे एक अनजान शख्स ने Zee News देखने को कहा। उसने बताया कि Zee News पर पिछले दो दिनों से कश्मीर के मुद्दे पर बहस हो रही है। वे लोग बुरहान वानी के साथ मेरी फोटो लगाकर बहस कर रहे थे। यह सब देखकर मैं व्याकुल हो गया। जिस असंवेदनशीलता के साथ यह किया गया मैं बस उसे देखकर ही हैरान नहीं था बल्कि, मैं अपनी सुरक्षा को लेकर भी चिंता में था। मैं यह भी सोच रहा था कि 50 हजार रुपए महीना कमाने वाला जिसपर 50 लाख का हाउसिंग लोन हो उसे कैसे कश्मीरी युवा का आर्दश बनाया जा सकता है। वह भी ऐसी जगह पर जहां जनाजे में शामिल भीड़ को मरे हुए शख्स की ‘महानता' से मापा जाता है।

ऐसा कौन होगा जो 50 हजार रुपए के लिए जान देना चाहेगा जिसके जनाजे में कोई भी शामिल ना हो। मेरा डर तब सही साबित हुआ जब मेरी ही गली के बाहर मेरे खिलाफ नारे लगने लगे। एक बड़ी सी भीड़ Zee News के एंकर के खिलाफ चिल्ला रही थी। उस एंकर ने कहा था कि मरे हुए मिलिटेंट को भारत की धरती की जगह कूड़े के ढेर पर जलाया जाना चाहिए था।

अगले दिन जब में ऑफिस जाने लगा तो डरता-डरता घर से निकला। सोच रहा था कि अगर किसी भी युवा ने मुझे पहचान लिया तो मैं परेशानी में आ जाऊंगा। फेसबुक पर मुझे अभद्र भाषा का सामना तो पहले से ही करना पड़ रहा था। कई सालों से भारतीय मीडिया कश्मीर के बारे में दूसरी ही तस्वीर दिखा रही है। निजी और व्यापारिक फायदों की दृष्टि से 2008, 2010 और 2014 में भी ऐसा हुआ।

आज कश्मीर की खबरें लोगों को भड़काने के लिए होती हैं। सीमित कवरेज की जाती है। प्रिंट मीडिया ही ऐसा बचा है जो बैलेंस है। आज के वक्त में यह ज्यादा बढ़ गया है। कुछ चैनल झूठ को बढ़ावा देने लगे हैं, लोगों को बांटने वाली खबर दिखाते हैं, घृणा पैदा करते हैं, लोकतंत्र और धर्मनिरपेक्षता के तत्वों की सोचते ही नहीं। यह सब विज्ञापन लेने की दौड़ की वजह से है। कई बार शिकायत करने के बावजूद यह नहीं रुका है। TRP के लिए ‘राष्ट्रीय हित' के नाम पर लाशों की राजनीति होती है।

कश्मीर के मुद्दे को छोड़कर पहले यह सोचना होगा कि ‘राष्ट्रीय हित' का ‘ठेका' राष्ट्रीय मीडिया से कैसे वापस लिया जाए और अपने पड़ोसियों और देश के लोगों से आपसी बातचीत की शुरुआत कैसे की जाए। मुझे यह कहने में कोई शर्म नहीं है कि Zee News, Times Now, NewsX and Aaj Tak भारत को संवादात्मक सभ्यता से गूंगी और विसंगति भरी सभ्यता की तरफ ले जाने वाले मोहरे हैं।

भारतीय सभ्यता में बातचीत द्वारा समाधान निकालने की परंपरा है। अशोक ने शिलालेखों को आपस में मिलाकर अपने लोगों के साथ संवाद करने की कला को दिखाया। मुगल काल में भी दीवान-ए-आम की व्यवस्था थी। इस्लामिक राज्य में भी सत्य, धैर्य और दृढ़ता से संवाद स्थापित करने को प्रमुखता दी जाती है। आज हो रहे तनाव के बारे में बात करें तो उन टीवी चैनलों को भी देखना चाहिए जो हमारे पक्ष को दिखाते ही नहीं। कश्मीर के मुद्दे को राजनेता, अवसरवादी, खुफिया एजेंसियों के साथ-साथ इन टीवी चैनल्स पर भी नहीं छोड़ा जा सकता जो खुद को ‘राष्ट्रहित' का चेहरा बताते हैं। कश्मीर के लोग इन टीवी चैनल्स के काम करने के तरीके को देखकर हैरान रह जाते हैं।

कश्मीर की तरफ से बोलने गए लोगों को तंग किया जाता है, उनकी अकांक्षाओं का मजाक बनाया जाता है, जब कश्मीर के लोगों से ज्यादा गाय जरूरी दिखाई जाती है तो पक्का है कि यहां के लोगों का गुस्सा भारत पर ही निकलेगा। प्राइम टाइम का हर एक घंटा कश्मीर को भारत से एक मील दूर ले जाता है। नफरत फैलाने वाले इन मीडिया हाउसों को बंद करना आसान नहीं है क्योंकि इन्होंने बोलने की आजादी का कवच पहना हुआ है। लेकिन भारत के लोग चाहें तो अपनी सभ्यता को याद करके इन चैनलों की ना सुनकर दिल्ली और श्रीनगर के बीच की दूरी को कम कर सकते हैं। भारत को कश्मीर से बातचीत बराबरी पर रखकर होनी चाहिए, कोई एहसान जताने के लिए नहीं। वर्ना श्रीनगर के बच्चों से आकर भारत के बारे में पूछो, वह बताएंगे कि उनके लिए भारत मिलिट्री बंकरों, पुलिस के वाहन या फिर प्राइम टाइम पर बैठकर चिल्लाते-शेखी मारते पैनेलिस्ट का समानरूप बन गया है।

ये विचार Shah Faesal के हैं। वह कश्मीर से आईएस ऑफिसर हैं।


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