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न्यूज क्लिपिंग्स् | कहीं बलि तो कही अपहरण का शिकार हो रहे हैं बच्चे

कहीं बलि तो कही अपहरण का शिकार हो रहे हैं बच्चे

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published Published on Nov 29, 2010   modified Modified on Nov 29, 2010

रायपुर.गुढ़ियारी राम नगर और संतोषीनगर में बच्चों की नृशंस हत्या का राज खुलने के साथ ही विश्वासघात की कड़वी हकीकत सामने आई है। हत्याकांड के आरोपी पकड़े जाने का इंतजार कर रही जनता अब हैरान है। बच्चों के अपहरण और हत्याओं की लगातार हो रही घटनाओं ने राजधानी के पालकों को चिंता में डाल दिया है।


रविवार को दोपहर बाद शहर के पुराने मोहल्लों और कालोनियों में हत्याकांड की ही चर्चा होती रही। चाय-पान के ठेलों और होटलों में लोग इसी मसले पर बातचीत करते नजर आए। महिलाएं यहां तक तक किशोरवय युवक-युवती भी इन्हीं चर्चाओं में मशगुल थे। संडे की शाम गार्डन और रेस्तरां में भी बातचीत का मजमून यही था।


लोग हैरान थे कि आखिर पड़ोसी ऐसा कैसे कर सकते हैं? पड़ोसी पर भरोसा न किया जाए तो किस पर विश्वास करें। भास्कर ने कुछ जागरूक नागरिकों व महिलाओं से चर्चा की।


उन्होंने नाम न छापने की शर्त पर बताया कि लगातार घटनाओं से विश्वास डगमगाया है। इस तरह की घटनाएं समाज में वैमनस्यता फैलाती हैं। पुलिस अधिकारियों का ध्यान भी इस ओर चला गया है।


सॉफ्ट टारगेट होते हैं बच्चे


शहर में पिछले दिनों बच्चों के अपहरण और हत्या के कई मामले सामने आए हैं। मनोविज्ञानियों की नजर में सॉफ्ट टारगेट होने के कारण बच्चे आसानी से अपराधियों के शिकार बन जाते हैं।


पं.रविशंकर शुक्ल यूनिवर्सिटी की मनोविज्ञान अध्ययनशाला के प्रो. बी हसन का कहना है कि अपराध करते समय व्यक्ति हिपनोटाइज्ड हो जाता है। दुश्मनी ज्यादा होने पर तर्क काम नहीं करता।


बच्चे किसी का विरोध नहीं कर पाते इस कारण इनको टारगेट करना आसान होता है। उनका कहना है कि अवचेतन मन में इच्छाएं जानवरों की तरह होती हैं। रंजिश होने पर यह प्रबल हो जाती हैं। मनोविज्ञानी डॉ.सोनिया परियल का कहना है कि समाज में अमीर और गरीब के बीच बढ़ रही भिन्नता भी लोगों को अपराधी बना रही है।


लोग तुरंत पैसा कमाने की चाह में गलती कर बैठते हैं। उनका कहना है कि कुछ लोग बचपन से ही ऐसी मानसिकता के होते हैं, जो अपने उद्देश्य की पूर्ति के लिए कुछ भी कर गुजरते हैं। बच्चे इनका आसानी से शिकार हो सकते हैं इसलिए ये उन्हें ही नुकसान पहुंचाते हैं।


पालकों को एसपी की सलाह


पुलिस अधीक्षक दिपांशु काबरा ने स्वीकार किया कि बच्चों पर ध्यान रखना जरूरी है। उन्होंने कहा कि पड़ोस में रहने वालों की गतिविधियों पर नजर रखनी चाहिए। इस बात की जानकारी आवश्यक है कि बच्चे कहां और किसके साथ आ जा रहे हैं।


बच्चों के घर आने और बाहर निकलने का टाइम भी तय होना चाहिए। बाकी तमाम व्यस्तताओं के बावजूद इस बात का ख्याल रखना अब जरूरी हो गया है।


प्रमुख वारदात :


अंबिकापुर : 15 नवंबर को कलेक्टर बंगले के सामने से नौ वर्षीय रितिक टिक्कस गायब हुआ। 22 नवंबर को रितिक की लाश झारखंड के गढ़वा जिले में मिली। अंबिकापुर में घटना के विरोध में जमकर उपद्रव।


भिलाई : 23 नवंबर को रुआबांधा में दो वर्षीय चिराग की तांत्रिक दंपत्ति ने बलि दे दी।जांच में एक और बच्ची मनीषा को आठ माह पहले बलि देने का मामला सामने आया।


रायपुर : 4 नवंबर को संतोषीनगर टिकरापारा में रहने वाला किशन उर्फ धनेंद्र गायब हो गया। 19 को उसकी सिरकटी लाश मिली।


रायपुर : 22 नवंबर को रामनगर गुढ़ियारी से रौशन गायब हुआ। 28 को उसकी लाश घर के करीब मिली।


http://www.bhaskar.com/article/CHH-RAI-so-said-the-kidnapping-victims-are-ever-slaughtered-children-1597742.html


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