Deprecated (16384): The ArrayAccess methods will be removed in 4.0.0.Use getParam(), getData() and getQuery() instead. - /home/brlfuser/public_html/src/Controller/ArtileDetailController.php, line: 150
 You can disable deprecation warnings by setting `Error.errorLevel` to `E_ALL & ~E_USER_DEPRECATED` in your config/app.php. [CORE/src/Core/functions.php, line 311]
Deprecated (16384): The ArrayAccess methods will be removed in 4.0.0.Use getParam(), getData() and getQuery() instead. - /home/brlfuser/public_html/src/Controller/ArtileDetailController.php, line: 151
 You can disable deprecation warnings by setting `Error.errorLevel` to `E_ALL & ~E_USER_DEPRECATED` in your config/app.php. [CORE/src/Core/functions.php, line 311]
Warning (512): Unable to emit headers. Headers sent in file=/home/brlfuser/public_html/vendor/cakephp/cakephp/src/Error/Debugger.php line=853 [CORE/src/Http/ResponseEmitter.php, line 48]
Warning (2): Cannot modify header information - headers already sent by (output started at /home/brlfuser/public_html/vendor/cakephp/cakephp/src/Error/Debugger.php:853) [CORE/src/Http/ResponseEmitter.php, line 148]
Warning (2): Cannot modify header information - headers already sent by (output started at /home/brlfuser/public_html/vendor/cakephp/cakephp/src/Error/Debugger.php:853) [CORE/src/Http/ResponseEmitter.php, line 181]
न्यूज क्लिपिंग्स् | काली कमाई : 'वहां' से ज्यादा 'यहां' - मोहन गुरुस्‍वामी

काली कमाई : 'वहां' से ज्यादा 'यहां' - मोहन गुरुस्‍वामी

Share this article Share this article
published Published on Dec 16, 2014   modified Modified on Dec 16, 2014
नई दुनिया(अग्रलेख) काले धन की जांच के लिए सरकार द्वारा गठित एसआईटी ने सर्वोच्च अदालत को यह महत्वपूर्ण जानकारी दी कि भारतीयों का स्विस बैंकों में जहां 4,479 करोड़ रुपए का काला धन जमा है, वहीं अपने देश में ही 14,958 करोड़ काला धन है! यह जानकारी निश्चित ही चौंकाने वाली है, लेकिन इसके बावजूद इसे अप्रत्याशित नहीं कहा जा सकता। क्योंकि अर्थव्यवस्था की बारीकियों पर नजर रखने वालों को लंबे समय से यह पता है कि 'वहां" से ज्यादा काली कमाई तो 'यहां" है।

सबसे पहले तो इसी पर आएं कि काले धन से हम क्या समझें। आम तौर पर काला धन उस आमदनी को कहा जाता है, जिस पर सरकार को कोई कर नहीं चुकाया गया हो। यह आमदनी वैध और अवैध दोनों तरह के स्रोतों से हो सकती है। अवैध तरीकों में तस्करी, जालसाजी, भ्रष्टाचार आदि शामिल हैं। काला धन कितना है, इसको लेकर अनेक तरह के आकलन लगाए जाते रहते हैं, लेकिन नेशनल इंस्टिट्यूट फॉर पब्लिक फाइनेंस एंड पॉलिसी (एनआईपीएफपी) के एक गोपनीय माने जाने वाले अध्ययन के मुताबिक वर्ष 2013 में भारत की काली अर्थव्यवस्था कुल जीडीपी के 75 प्रतिशत के बराबर थी! वर्ष 1984 में जब एनआईपीएफपी द्वारा इस तरह का अध्ययन किया गया था, तब काली कमाई कुल जीडीपी के 21 प्रतिशत के बराबर पाई गई थी। इसका मतलब है कि तीन दशक में काली कमाई तीन गुना से भी अधिक बढ़ गई।

मौजूदा वित्त वर्ष में भारत सरकार 13.64 लाख करोड़ रुपए के करों और शुल्कों की वसूली की उम्मीद कर रही है, लेकिन इसका यह भी मतलब है कि सरकार 75 प्रतिशत काली कमाई पर अतिरिक्त करों की वसूली नहीं करने जा रही है, जो 10.40 लाख करोड़ रुपए तक हो सकता है। यह बहुत बड़ी रकम है। सरकार इसे नजरअंदाज नहीं कर सकती। ऐसे में एसआईटी प्रमुख जस्टिस एमबी शाह का यह कहना बिलकुल सही है कि टैक्स चोरी को एक गंभीर आपराधिक कृत्य माना जाए।

इसको और ब्योरेवार समझने का प्रयास करते हैं। आज भारत में केवल 3.5 करोड़ लोग आयकर चुकाते हैं। इनमें भी 89 प्रतिशत ने 0 से 5 लाख रुपए तक के स्लैब में अपनी आमदनी प्रदर्शित की है। इसका मतलब है कि केवल 11 प्रतिशत करदाता ऐसे हैं, जिनकी सालाना आमदनी 5 लाख से अधिक है। यह बड़ा अजीबोगरीब आंकड़ा है, क्योंकि पिछले साल मंदी का माहौल होने के बावजूद भारत में 22 लाख से ज्यादा लोगों ने नए वाहन या एसयूवी खरीदे। जाहिर है, अधिकतर लोग कर नहीं चुका रहे हैं।

पिछले कुछ सालों में विभिन्न् सामाजिक आंदोलनों के चलते विदेशों में जमा काले धन पर जरूरत से ज्यादा ध्यान केंद्रित किया गया है। इस धन को लेकर भी मनचाहे आंकड़े पेश किए जाते रहे हैं। कहा तो यह भी गया था कि अगर विदेशों में जमा काले धन को भारत ले आया गया तो हर भारतीय के बैंक खाते में 15 लाख रुपए होंगे! और यह भी कि विदेशों में जमा यह रकम महज 100 दिनों में भारत ले आई जाएगी। स्विस नेशनल बैंक ने कहा है कि भारतीयों के नाम से पिछले साल स्विस बैंकों में 14,400 करोड़ रुपए जमा कराए गए। लेकिन इसमें एक बड़ा हिस्सा वैध धन का भी हो सकता है, क्योंकि भारतीयों को एक साल में 1 लाख 25 हजार डॉलर तक की रकम अपने विदेशी खातों में जमा कराने की स्वतंत्रता है।

यह जरूर है कि विदेशों में जमा कराए गए धन का एक बड़ा हिस्सा एफडीआई के रूप में पुन: भारत लौट आता है। अकेले मॉरिशस, जो कि एक बड़ा 'टैक्स हेवन" है, से ही भारत को उसका 50 फीसद एफडीआई मिलता है। या फिर चुनावों के दौरान राजनेताओं द्वारा उसका उपयोग कर लिया जाता है। कड़वी सच्चाई यही है कि काली कमाई का एक बड़ा हिस्सा भारत में ही मौजूद रहता है और उसे विभिन्न् निर्माण परियोजनाओं, उपभोक्ता-व्ययों, परिवहन और पर्यटन इत्यादि में खपाया जाता रहता है। भारत आज भी मुख्यत: नगद रुपयों से संचालित होने वाली अर्थव्यवस्था है और नगद लेनदेन में बड़ी आसानी से सरकार को गच्चा दिया जा सकता है।

वर्ष 1985 में राजीव गांधी सरकार ने चेक बाउंस होने को आपराधिक कृत्य बना दिया था। इसका मकसद यह था कि चेकों के नियमित लेनदेन की प्रक्रिया को प्रोत्साहित किया जाए। लेकिन हमारी अदालतों ने बाउंसर पर चलाए जाने वाले मुकदमों को उल्टे प्रभावित पक्ष के लिए मुसीबतों का सबब बना दिया। चेक-बाउंस के ढेरों मामलों ने अदालती प्रक्रिया को जाम कर दिया। लिहाजा, हम फिर से 'कैश एंड कैरी" की उस प्रणाली पर लौट आए हैं, जो कि जाने-अनजाने कर-चोरी की प्रवृत्ति को बढ़ावा देती है।

देखा जाए तो राजनीति एक फुलटाइम पेशा है। जो लोग राजनीति में होते हैं, वे अमूमन अपने परिवार का भरण-पोषण करने के लिए कोई और नौकरी-धंधा नहीं करते। इनमें से कुछ के पास आमदनी के निजी स्रोत हो सकते हैं, लेकिन अधिकतर ऐसे हैं, जिनकी मदद कारोबारियों द्वारा की जाती है, ताकि बाद में उनके राजनीतिक प्रभाव का लाभ उठाया जा सके। हम देख सकते हैं कि अधिकतर राजनेता आय के कोई निश्चित स्रोत न होने के बावजूद आलीशान जिंदगी बिताते हैं।

ऐसा भी नहीं है कि राजनीतिक दलों को मिलने वाले पैसे का डिक्लेरेशन नहीं किया जाता। वित्त वर्ष 2004-05 से 2011-12 के बीच देश के दोनों बड़े राष्ट्रीय दलों को मिलने वाले डोनेशन का 87 फीसद हिस्सा कॉर्पोरेटों और कारोबारी घरानों द्वारा मुहैया कराया गया है! राष्ट्रीय दलों द्वारा उन्हें प्राप्त होने वाले घोषित 435.87 करोड़ रुपए के चंदे में से 378.89 करोड़ का योगदान कॉर्पोरेटों और कारोबारी घरानों का है। इस घोषित चंदे के अलावा उन्हें किन्हीं 'अज्ञात" दानदाताओं द्वारा भी चंदा दिया जाता है। 2007 से 2010 तक लगातार तीन वर्षों में कांग्रेस को सर्वाधिक मात्रा में यानी 1185 करोड़ रुपए का 'अज्ञात" चंदा प्राप्त हुआ था। जाहिर है, ऐसा इसलिए हुआ होगा, क्योंकि तब कांग्रेस केंद्रीय सत्ता में थी।

राजनीति का कारोबार बड़ा शातिराना होता है। यदि राजनेता देश में मौजूद काली कमाई का पता लगाना शुरू कर दें और चंद लोगों को भी कर-चोरी के आरोप में दोषी ठहरा दें तो देश में हल्ला मच जाएगा। खुद राजनेताओं की आय के स्रोत सूख जाएंगे। राजनीति का बुनियादी सिद्धांत यही है कि कभी भी कोई ऐसा काम मत करो, जो आपको अलोकप्रिय बना दे, फिर चाहे वह काम सही ही क्यों न हो। लिहाजा वे मजे से यही शोर मचाते रहते हैं कि काली कमाई तो भारत से विदेशों में ले जाई गई है, जैसे कभी मोहम्मद गौरी, महमूद गजनवी, नादिरशाह दुर्रानी और रॉबर्ट क्लाइव ले गए थे!

(लेखक आर्थिक एवं राजनीतिक विश्लेषक हैं। ये उनके निजी विचार हैं)


- See more at: http://naidunia.jagran.com/editorial/expert-comment-black-money-here-more-than-there-260863#sthash.2KNFCyf1.dpuf


Related Articles

 

Write Comments

Your email address will not be published. Required fields are marked *

*

Video Archives

Archives

share on Facebook
Twitter
RSS
Feedback
Read Later

Contact Form

Please enter security code
      Close