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न्यूज क्लिपिंग्स् | कितना खतरनाक हो सकता फलों और सब्जियों पर रसायनों का इस्तेमाल

कितना खतरनाक हो सकता फलों और सब्जियों पर रसायनों का इस्तेमाल

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published Published on Feb 4, 2020   modified Modified on Feb 4, 2020
गांव कनेक्शन
 
पिछले वर्ष नेपाल ने भारत की सब्जियों और फलों पर रोक लगा दी थी, साल 2014 में यूरोपियन देशों ने अल्फांसो आम के निर्यात पर रोक लगा दी थी, इसके पहले भी कई देशों ने भारत की सब्जियों और फलों के निर्यात पर रोक लगा दी थी, इनके पीछे एक ही कारण है कीटनाशक और रसायनों का अंधाधुंध इस्तेमाल। हाल ही में दिल्ली हाईकोर्ट ने सब्जियों में कीटनाशकों के प्रयोग से संबंधित जनहित याचिका की सुनवाई करते हुए कहा, "फलों को पकाने के लिए कीटनाशकों व रसायनों का प्रयोग उपभोक्ताओं को जहर देने के समान है। ऐसे लोगों पर कानूनी कार्रवाई से ही यह रुकेगा। आम को पकाने के लिए कैल्शियम कार्बाइड का प्रयोग किसी को जहर देने के समान है तो ऐसे लोगों को भारतीय दंड संहिता की संबंधित धारा क्यों नहीं लगनी चाहिए। अगर ऐसे लोगों को दो दिन के लिए भी जेल भेजा जाता है तो उसका भी काफी असर होगा।" न्यायमूर्ति जीएस सिस्तानी व एजे भंबानी की खंडपीठ ने फूड सेफ्टी एंड स्टैंडर्ड अथॉरिटी ऑफ इंडिया से पूछा कि क्या अब भी आम को पकाने के लिए अब भी कैल्शियम कार्बाइड का इस्तेमाल हो रहा है? कैल्शियम कार्बाइड का इस्तेमाल आम को पकाने के लिए किया जाता है, लंबे समय तक इसके इस्तेमाल से कई तरह की बीमारियां होने का खतरा बढ़ जाता है। जल्दी बिक्री और ज्यादा मुनाफे की चाहत में आमों को इस रसायन का उपयोग कर पका दिया जाता है और बाजार में खुलेआम बेच दिया जाता है।

 
भारतीय विष विज्ञान अनुसंधान संस्थान के वैज्ञानिक डॉ. अनुराग त्रिपाठी बताते हैं, "रसायन कोई भी हो सेहत के लिए खतरनाक ही होता है, कैल्शियम कर्बाइड से कई तरह की बीमारियों का खतरा बढ़ जाता है। फसलों में कीटनाशकों का ज्यादा इस्तेमाल भी खतरनाक होता है।" याचिका पर सुनवाई करते हुए कोर्ट ने कृषि मंत्रालय से भी पूछा है कि क्या कोई ऐसी किट है जिससे उपभोक्ता खुद घर पर फलों में कैल्शियम कार्बाइड का पता लगा सके। मंत्रालय ने बताया कि ऐसी कोई किट उपलब्ध नहीं है और कैल्शियम कार्बाइड की जांच केवल प्रयोगशाला में की जा सकती है। दिल्ली सरकार के स्थायी अधिवक्ता नौशाद अहमद खान ने कोर्ट को बताया कि संबंधित विभाग जांच के लिए बाजारों से फलों के सैंपल लेता है और उपभोक्ताओं को जागरूक करने के लिए मुहिम भी चलाता है। कुछ सैंपलों की जांच में रसायन नहीं पाया गया है और बाकी सैंपलों की जांच रिपोर्ट का इंतजार है। 

 
कोर्ट खुद शुरू की गई जनहित याचिका के साथ ही दो अन्य लोगों की उन याचिकाओं पर भी सुनवाई कर रहा है जिनमें खाद्य पदार्थों विशेषकर कृषि उत्पादों पर कीटनाशकों व रसायनों के प्रयोग पर नियंत्रण लगाने का निर्देश देने की मांग की गई है। कोर्ट की ओर से नियुक्त न्याय मित्र राजुल जैन ने कुछ समय पहले रिपोर्ट दाखिल कर कहा था कि फलों व सब्जियों में कीटनाशकों व रसायनों के अधिक प्रयोग के कारण कई देशों ने इनका आयात बंद कर दिया है और कई देश इस पर विचार कर रहे हैं। कैलिशयम कार्बाइड के दुष्प्रभाव के बारे में हर्बल जानकार दीपक आचार्य अपने एक लेख में लिखते हैं, "कैल्शियम कार्बाइड से पके हुए आम किस तरह घातक हो सकते हैं, इसका आकलन भी कर पाना आमजनों के लिए मुश्किल है। लेकिन, आम व्यापारियों के पास अपने तर्क हैं, इनके अनुसार ज्यादातर देशभर में आम दक्षिण भारत और गुजरात से पहुंचाए जाते हैं। ऐसे में अगर इनको प्राकृतिक तौर पर पकने दिया जाए तो बाद में व्यापार के लिए एक स्थान से दूसरे स्थान पर भेजते समय आम मंजिल तक पहुंचने से पहले ही खराब हो चुका होगा। यह तर्क व्यक्तिगत तौर पर मुझे समझ में नहीं आया क्योंकि कैल्शियम कार्बाइड के अलावा भी अन्य रसायन हैं जो सेहत के लिए घातक नहीं हैं। इनका इस्तेमाल आम पकाने के लिए किया जा सकता है और इनकी कीमत 5 से 10 रुपयों के बीच ही होती है। अगर विक्रेताओं की मानी जाए तो इन रसायनों की यह कीमत ज्यादा ही है और वे अपने मुनाफे को कम होता देख कैल्शियम कार्बाइड का ही इस्तेमाल चोरी चुपके कर रहे हैं। यह बाजार में 2-3 रूपए में ही उपलब्ध है।

पूरी रिपोर्ट पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें.

दिवेन्द्रा सिंह, https://www.gaonconnection.com/desh/harmful-effect-of-pesticide-and-chemical-fertilizer-uses-in-fruits-and-vegetable-farming-in-india-47041
 

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