Deprecated (16384): The ArrayAccess methods will be removed in 4.0.0.Use getParam(), getData() and getQuery() instead. - /home/brlfuser/public_html/src/Controller/ArtileDetailController.php, line: 150
 You can disable deprecation warnings by setting `Error.errorLevel` to `E_ALL & ~E_USER_DEPRECATED` in your config/app.php. [CORE/src/Core/functions.php, line 311]
Deprecated (16384): The ArrayAccess methods will be removed in 4.0.0.Use getParam(), getData() and getQuery() instead. - /home/brlfuser/public_html/src/Controller/ArtileDetailController.php, line: 151
 You can disable deprecation warnings by setting `Error.errorLevel` to `E_ALL & ~E_USER_DEPRECATED` in your config/app.php. [CORE/src/Core/functions.php, line 311]
Warning (512): Unable to emit headers. Headers sent in file=/home/brlfuser/public_html/vendor/cakephp/cakephp/src/Error/Debugger.php line=853 [CORE/src/Http/ResponseEmitter.php, line 48]
Warning (2): Cannot modify header information - headers already sent by (output started at /home/brlfuser/public_html/vendor/cakephp/cakephp/src/Error/Debugger.php:853) [CORE/src/Http/ResponseEmitter.php, line 148]
Warning (2): Cannot modify header information - headers already sent by (output started at /home/brlfuser/public_html/vendor/cakephp/cakephp/src/Error/Debugger.php:853) [CORE/src/Http/ResponseEmitter.php, line 181]
न्यूज क्लिपिंग्स् | किसानों की आत्महत्या के आंकड़े कैसे कम हुए? पी साईनाथ

किसानों की आत्महत्या के आंकड़े कैसे कम हुए? पी साईनाथ

Share this article Share this article
published Published on Aug 10, 2015   modified Modified on Aug 10, 2015

महज आंकड़ों की बात करें तो भारत में 1995 से 2014 के बीच किसानों की आत्महत्या का आंकड़ा तीन लाख पार कर चुका है.


लेकिन साल 2014 के आंकड़ों को पिछले 19 साल के आंकड़े के साथ मिलाकर नहीं देखा जा सकता, क्योंकि राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो (एनसीआरबी) ने किसानों की आत्महत्या की गिनती के तरीक़े में बदलाव किया है.

ये नए तरीक़े का असर है कि 2014 में किसानों की आत्महत्या के मामले कम हो गए. यह आंकड़ा 5,660 पर आ कर टिक गया. साल 2013 में यह 11,772 का था. तो यह गिरावट कैसे दर्ज की गई?

पड़ताल करने पर पता चलता है कि एनसीआरबी ने किसानों की आत्महत्या के ज़्यादातर मामलों को नए वर्ग में शिफ्ट कर दिया है.

यह इससे भी ज़ाहिर होता है कि एक तरफ किसानों की आत्महत्या के मामले कम हुए हैं तो दूसरी तरफ़ अन्य वर्ग में दर्ज आत्महत्या के मामले बढ़े हैं. 

आंकड़ों पर सवाल

किसान आत्महत्या

एनसीआरबी ने 2014 में हज़ारों भूमिहीन किसानों की आत्महत्या के मामले को खेतिहर मज़दूर वर्ग में प्रदर्शित किया है. इससे भी किसानों की आत्महत्या के मामले को कम दर्शाने में मदद मिली है.
एनसीआरबी ने खुद ही माना है कि उसके नए आकंड़ों की विश्वसनीयता की जांच नहीं हो सकी है. एजेंसी ने टालमटोल के अंदाज़ में कहा है कि वे इस डाटा का निरीक्षण करेंगे.
इसके साथ ही निचले स्तर के पुलिस स्टेशनों के पुलिसकर्मियों को भी नए तौर तरीक़ों का प्रशिक्षण नहीं दिया गया है. इनसे ही आंकड़े एकत्रित कराए जाते हैं.

इसके अलावा इन आंकड़ों के मुताबिक 2014 में 12 राज्यों और छह केंद्र शासित प्रदेशों में किसी किसान ने आत्महत्या नहीं की. इनमें खेती-किसानी वाले तीन बड़े राज्य - पश्चिम बंगाल, राजस्थान और बिहार, शामिल हैं.
आंकड़ें जारी, जांच बाद में
2010 में कोई भी बड़ा राज्य ऐसा नहीं था, जिसमें किसानों ने आत्महत्याएं नहीं की थीं. तब तीन केंद्र शासित प्रदेशों में किसी किसान की आत्महत्या का मामला सामने नहीं आया था.

बहरहाल, अब इन तीनों राज्यों की ओर से यही कहा जा रहा है कि इनके लाखों किसानों में एक भी किसान ने 2014 में आत्महत्या नहीं की यानी किसी भी कारण से किसी किसान ने आत्महत्या नहीं की.
2014 में एनसीआरबी ने दुर्घटना से होने वाली मौत और आत्महत्या के मामलों के लिए किस तरह से जानकारी जुटाई है, इसको लेकर भी स्पष्टता का अभाव है. आत्महत्या की वजह वही बताए जा रहे हैं, जिसका हवाला सरकारें हमेशा से देती रही हैं - ये आत्महत्याएं तनाव की वजह से हो रही हैं.
किसानों की आत्महत्या की वजहों को लेकर तब भी स्पष्टता का अभाव है जबकि 1995 से अब तक 3, 02, 116 किसान आत्महत्या कर चुके हैं.

बहरहाल, आंकड़ों की प्रस्तुति पर उठते सवालों के बीच यह भी एक हक़ीक़त है कि 2014 में खेती-किसानी के सभी मामलों में आत्महत्या की संख्या 12, 360 है जो 2013 की तुलना में अधिक ही है, कम नहीं.

इतने कम समय में आंकड़ों में इतना ज़्यादा अंतर चौंकाने वाला है. इस मसले पर ख़ुद एनसीआरबी ने भी कहा है कि वह संबंधित राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों से स्पष्टीकरण मांगेगा. लेकिन सबसे बड़ा सवाल यह है कि क्या स्पष्टीकरण से तस्वीर साफ़ हो जाएगी?


http://www.bbc.com/hindi/india/2015/08/150806_sainath_suicide_data_pk


Related Articles

 

Write Comments

Your email address will not be published. Required fields are marked *

*

Video Archives

Archives

share on Facebook
Twitter
RSS
Feedback
Read Later

Contact Form

Please enter security code
      Close