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न्यूज क्लिपिंग्स् | कृषि में मदद नहीं दे रहा केंद्र

कृषि में मदद नहीं दे रहा केंद्र

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published Published on May 16, 2012   modified Modified on May 16, 2012
पटना : कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह ने कहा कि बिहार में कृषि के विकास के लिए केंद्र उम्मीद के अनुसार समुचित मदद नहीं कर रहा है. राज्य में कृषि के कई महत्वपूर्ण कार्यक्रम चलाये जा रहे हैं. सात वर्षो में कृषि का बजट 24 करोड़ से 1,200 करोड़ कर दिया गया है.

खरीफ महोत्सव रथ रवाना
जिलों के लिए खरीफ महोत्सव रथ रवाना करने के बाद मंगलवार को पशु चिकित्सा महाविद्यालय सभागार में वे राज्यस्तरीय कार्यशाला को संबोधित कर रहे थे. उन्होंने कहा, पूर्वोत्तर भारत के राज्यों को कृषि मद में केंद्र ने एक हजार करोड़ आवंटित किये हैं. इसमें बिहार को मात्र 119 करोड़ रुपये मिलेंगे.

यह राशि ऊंट के मुंह में जीरा के समान है. बिहार पहला राज्य है, जहां कृषि कैबिनेट का गठन किया गया है. कुल वार्षिक बजट का एक तिहाई कृषि से जुड़े विभागों के लिए आवंटित किया है.

सलाहकारों का मानदेय बढ़ेगा
विकास आयुक्त सह एपीसी एके सिन्हा ने कहा कि किसान सलाहकारों का मानदेय दोगुना किया जायेगा. ढाई हजार रुपये के बदले प्रति माह पांच हजार रुपये मिलेंगे. तीन वर्षो तक एसएमएस का कार्य करनेवालों को ही सरकार प्रखंड कृषि पदाधिकारी बनायेगी. इसके अलावा बिहार कृषि सेवा का पुनर्गठन किया जायेगा.

वर्मी कंपोस्ट को मांग आधारित बनाया गया है. खरीफ महोत्सव के दौरान ही किसानों को बीज, खाद सहित सभी प्रकार के अनुदान उपलब्ध करा दिये जायेंगे. केंद्रीय कृषि मंत्रलय के अपर सचिव आशीष बहुगुणा ने कहा कि बिहार में फसल उत्पादकता बढ़ाने में होनेवाले प्रयोग देश के अन्य राज्यों में होने चाहिए.

देश की निगाहें बिहार पर हैं. राज्य सरकार को अभियान चला कर समय पर किसानों को ऋण देना चाहिए. केंद्र बिहार को हर संभव मदद करेगा. बिहार में किसानों को खाद व्यापारियों नहीं, बल्कि पैक्सों के माध्यम से मिलनी चाहिए.

पूर्वोत्तर में दूसरी हरित क्रांति
कृषि मंत्रलय के संयुक्त सचिव मुकेश खुल्लर ने कहा कि किसानों को योजनाओं का समय पर लाभ देने की पूरी तैयारी होनी चाहिए. उन्होंने भरोसा जताया कि पूर्वोत्तर भारत में दूसरी हरित क्रांति होगी. इसमें बिहार की महत्वपूर्ण भूमिका होगी.

मॉडल अपनाया जाये
आइसीएआर के महानिदेशक एसके दत्ता ने कहा कि नालंदा में धान, गेहूं, आलू और प्याज उत्पादन के रिकॉर्ड बन रहे हैं. इस प्रकार की खेती अन्य जिलों और राज्यों में होनी चाहिए. स्वागत कृषि सचिव डॉ एन विजयलक्ष्मी ने किया व संचालन विशेष कार्य पदाधिकारी अनिल झा ने किया.

मौके पर बिहार कृषि विवि के कुलपति डॉ एमएल चौधरी, राजेंद्र कृषि विवि के कुलपति डॉ आरके मित्तल, निदेशक प्रसार डॉ आरके सोहाने, बामेती के निदेशक डॉ आरएन सिंह, उपनिदेशक प्रसार अभांशु सी जैन आदि मौजूद थे.

* 41 लाख हेक्टेयर क्षेत्र में 96.65 लाख टन खाद्यान्न उत्पादन का लक्ष्य
* अनुदानित दर पर 2.97 लाख क्ंिवटल धान का बीज वितरण
* हरी खाद के लिए ढैंचा, मूंग, सनई व लोबिया बीज उत्पादन का कार्यक्रम
* 11 लाख एकड़ क्षेत्र में धान की मेड़ पर अरहर की खेती का लक्ष्य
* प्रखंडों में किसानों को अनुदान व प्रशिक्षण - 16 से 31 मई तक
* बीज उपचार व पौधशाला तैयार करने का प्रशिक्षण -27 मई से 29 जून तक
* रोपनहारों का प्रशिक्षण - 6 जून से 9 जुलाई तक
* श्री विधि से खेती करनेवाले किसानों को तीन हजार रुपये प्रति एकड़ अनुदान
* संकर धान के लिए अनुदान 1,200 रुपये प्रति एकड़


http://www.prabhatkhabar.com/node/156534


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