Deprecated (16384): The ArrayAccess methods will be removed in 4.0.0.Use getParam(), getData() and getQuery() instead. - /home/brlfuser/public_html/src/Controller/ArtileDetailController.php, line: 150
 You can disable deprecation warnings by setting `Error.errorLevel` to `E_ALL & ~E_USER_DEPRECATED` in your config/app.php. [CORE/src/Core/functions.php, line 311]
Deprecated (16384): The ArrayAccess methods will be removed in 4.0.0.Use getParam(), getData() and getQuery() instead. - /home/brlfuser/public_html/src/Controller/ArtileDetailController.php, line: 151
 You can disable deprecation warnings by setting `Error.errorLevel` to `E_ALL & ~E_USER_DEPRECATED` in your config/app.php. [CORE/src/Core/functions.php, line 311]
Warning (512): Unable to emit headers. Headers sent in file=/home/brlfuser/public_html/vendor/cakephp/cakephp/src/Error/Debugger.php line=853 [CORE/src/Http/ResponseEmitter.php, line 48]
Warning (2): Cannot modify header information - headers already sent by (output started at /home/brlfuser/public_html/vendor/cakephp/cakephp/src/Error/Debugger.php:853) [CORE/src/Http/ResponseEmitter.php, line 148]
Warning (2): Cannot modify header information - headers already sent by (output started at /home/brlfuser/public_html/vendor/cakephp/cakephp/src/Error/Debugger.php:853) [CORE/src/Http/ResponseEmitter.php, line 181]
न्यूज क्लिपिंग्स् | कैलेंडर पर गांधी के होने का अर्थ-- विश्वनाथ सचदेव

कैलेंडर पर गांधी के होने का अर्थ-- विश्वनाथ सचदेव

Share this article Share this article
published Published on Jan 19, 2017   modified Modified on Jan 19, 2017
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भाजपा के सबसे बड़े नेता हैं. और मोदी-समर्थकों की मानें, तो देश के सबसे बड़े नेता हैं. इसमें संदेह नहीं कि पिछले आम चुनावों में भाजपा की अभूतपूर्व सफलता का श्रेय उन्हें ही जाता है. अब माना यही जा रहा है कि मंत्रिमंडल के नाम पर लिये जानेवाले सारे बड़े निर्णय प्रधानमंत्री और उनका कार्यालय ही लेता है. यह स्थिति मंत्रिमंडल के सामूहिक उत्तरदायित्व वाली हमारी जनतांत्रिक पद्धति के भले ही अनुकूल न हो, लेकिन, शायद प्रधानमंत्री को बहुत अनुकूल लगती है. इसके परिणामस्वरूप ही यह धारणा बन रही है कि प्रधानमंत्री की कार्यशैली एकाधिकारवादी है. उन्होंने ऐसी व्यवस्था बना ली है कि शासन कि सारी जानकारियां उन तक पहुंचती रहें. इसलिए, जब खादी ग्रामोद्योग के एक कैलेंडर पर हुए विवाद में प्रधानमंत्री कार्यालय की प्रतिक्रिया सार्वजनिक होने में पांच दिन लग गये, तो इसे आश्चर्य ही माना गया था.

विवाद उस बहुचर्चित चित्र को लेकर था, जिसमें राष्ट्रपिता महात्मा गांधी की जगह प्रधानमंत्री मोदी को चरखा कातते हुए दिखाया गया है. प्रधानमंत्री चरखा कातते हैं, तो इसमें कुछ गलत नहीं है. चरखा कातते हुए उनके चित्र का होना भी अनहोनी बात नहीं है. लेकिन, जिस तरह इस चित्र को प्रसारित किया गया है, उसे देखते हुए यह धारणा बनना भी गलत नहीं है कि मोदी को राष्ट्रपिता के समकक्ष बताने की कोशिश हो रही है. कैलेंडर बनानेवाले खादी ग्रामोद्योग आयोग ने भले ही इस बारे में कुछ न कहा हो, पर हरियाणा में भाजपा के एक मंत्री ने नरेंद्र मोदी को महात्मा गांधी से ‘बड़ा ब्रांड' बता कर यह जता दिया है कि मोदीजी के प्रशंसक चापलूसी की किस सीमा तक जा सकते हैं. उम्मीद थी कि ट्वीट-प्रेमी प्रधानमंत्री स्वयं पहल करके इस विवाद पर पूर्ण-विराम लगा देंगे, पर ऐसा हुआ नहीं. चार-पांच दिन लग गये पीएमओ को यह पता लगाने में कि खादी ग्रामोद्योग आयोग ने ऐसा कैलेंडर बनाने के लिए प्रधानमंत्री से अनुमति नहीं ली थी. हैरानी इस देरी पर है.

 


यह दुर्भाग्य ही है कि आज अपने प्रधानमंत्री से सवाल पूछने को देशद्रोह मान लिया जाता है, फिर भी यह तो पूछा ही जाना चाहिए प्रधानमंत्री जी से कि उनकी ‘लार्जर दैन लाइफ' यानी वास्तविकता से कहीं बड़ी छवि बनानेवालों को वे रोकते क्यों नहीं. मैं यह नहीं मानना चाहता कि प्रधानमंत्री स्वयं ऐसी छवि के निर्माण को प्रोत्साहित करते हैं और वे स्वयं अपनी तुलना राष्ट्रपिता से करवाना चाहते हैं, लेकिन अर्से से उनके समर्थक उन्हें जिस तरह से प्रस्तुत कर रहे हैं, वह उनकी छवि को धूमिल ही करता है.

 

 


यह सही है कि प्रधानमंत्री ने खादी को बढ़ावा देने की बात कई बार कही है. पर, इस तरह की बात करने से तो कोई गांधी नहीं बन जाता. गांधी के लिए खादी सिर्फ वस्त्र नहीं था जिससे तन ढका जा सकता है, बल्कि यह एक उपनिवेशवादी सत्ता के खिलाफ लड़ाई का राजनीतिक कार्य था. इससे भी कहीं बढ़ कर यह दर्शन था राष्ट्रपिता के लिए- उतना ही पहनो जितना कातो का दर्शन.

 

 


आजादी की लड़ाई के दौरान गांधी और उनके अनुयायी खादी कातने के लिए हर संभव समय का उपयोग करते थे. इसलिए चरखा कातनेवाला उनका चित्र एक प्रतीक बनता है, एक प्रेरणा बनता है. पता नहीं प्रधानमंत्री मोदी कितना समय चर्खा कातने को देते हैं, देते भी हैं या नहीं. और जहां तक खादी पहनने का सवाल है, शायद ही कभी पहनी हो उन्होंने हाथ से बनी खादी. उनकी पहचान तो हर चार घंटे बाद कपड़ा बदलनेवाले प्रधानमंत्री की है. चरखा कातते हुए उनका जो चित्र कैलेंडर में छपा है, उसका भी गांधी वाले मूल चित्र से दूर-दूर तक का रिश्ता नहीं लगता. और यह भी स्पष्ट है कि जिसने भी यह कैलेंडर बनाने का निर्णय लिया, या जिसने इसका विचार किया, वह न गांधी को समझता है, न खादी को.

 

 


तर्क दिया गया है राष्ट्रपिता का चित्र हटा कर कैलेंडर में प्रधानमंत्री का चित्र नहीं लगाया गया है और न ही यह पहली बार है, जब खादी ग्रामोद्योग आयोग के कैलेंडर पर गांधीजी का चित्र नहीं छपा है. पर, गलत यह भी नहीं है कि चरखा कातते प्रधानमंत्री का चित्र छाप कर जाने-अनजाने में उनकी सोच को एक ऐसी सोच के समकक्ष रखने की कोशिश की गयी है, जो पूर्णतया विलोम है. यह अपवित्र कोशिश है. इसमें चाटुकारिता की गंध आती है. हरियाणा के मंत्री ने अपनी इस प्रवृत्ति को छुपाया नहीं, पर खादी ग्रामोद्योग आयोग वाले छुपाना चाह रहे हैं. आयोग से जुड़े सारे लोग नहीं. आयोग के कुछ कर्मचारियों ने तो इस कैलेंडर को ही नष्ट करने की मांग की है.

 

 


सवाल कैलेंडर को नष्ट करने का नहीं है, इस तरह के कैलेंडर के पीछे की भावना और सोच को समझने का है. सवाल आयोग की नासमझी का भी नहीं है, सवाल सत्ता के गलियारों में पनपती उस प्रवृत्ति का है, जिसमें से चाटुकारिता और अतिमहत्वाकांक्षा की गंध आ रही है. प्रधानमंत्री मोदी ने अपनी कथनी से लोकप्रियता की एक ऊंचाई अर्जित की है, अब उन्हें अपनी करनी से इस ऊंचाई को बनाये रखना है. यह काम किसी गांधी के स्थान पर स्वयं को स्थापित करने से नहीं सधता, इसके लिए अपने भीतर उन गुणों को विकसित करना होता है, जो किसी गांधी को एक राष्ट्रपिता बनाते हैं.

 


http://www.prabhatkhabar.com/news/columns/story/928542.html


Related Articles

 

Write Comments

Your email address will not be published. Required fields are marked *

*

Video Archives

Archives

share on Facebook
Twitter
RSS
Feedback
Read Later

Contact Form

Please enter security code
      Close