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न्यूज क्लिपिंग्स् | कैसे कहें, स्कूल चलें हम?

कैसे कहें, स्कूल चलें हम?

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published Published on Mar 22, 2010   modified Modified on Mar 22, 2010

मुजफ्फरपुर [जाटी]। शिक्षा में सुधार संबंधी तमाम प्रयासों के बावजूद उत्तर बिहार ड्राप आउट की समस्या से जूझ रहा है। हजारों बच्चे अब भी स्कूल से बाहर हैं। हैरत की बात यह है कि जिम्मेदार अफसर इसे कबूल तो करते हैं, लेकिन उनके पास इससे निबटने की कोई प्लानिंग नहीं है।

मुजफ्फरपुर में सिर्फ ड्राप आउट बच्चों की संख्या 32 हजार है। इस ग्राफ को कम करने के लिए कई योजनाएं चलीं, पर कोई असर नहीं हुआ। वैसे डीएसई एके कुंवर की दलील है कि गरीब अभिभावक बच्चों को स्कूल नहीं भेजना चाहते। नामांकन के लिए प्रेरित करने पर कुछ दिन के लिए स्कूल भेजते हैं, लेकिन बच्चा फिर स्कूल छोड़ देता है।

ग्रामीण क्षेत्रों में अभिभावक बच्चों को मजदूरी करने के लिए खेत में भेजना ज्यादा पसंद करते हैं क्योंकि परिवार के समक्ष पेट की समस्या है। वहीं पश्चिमी चंपारण जिले के डीएसई अमित कुमार को तो ड्राप आउट बच्चों की सही संख्या ही मालूम नहीं है। हां, इतना जरूर कहते हैं कि शहर से सटे प्रखंडों में यह संख्या नगण्य है।

उधर, पूर्वी चंपारण में इस वर्ष ड्राप आउट की संख्या गत साल की तुलना में काफी बढ़ी है। सर्वशिक्षा अभियान के परियोजना पदाधिकारी मनोज शाही के अनुसार गत वर्ष 28 हजार बच्चे स्कूल से बाहर थे और 5392 बच्चे नामांकन के बाद ड्राप आउट हुए। वहीं इस वर्ष 4100 बच्चे स्कूल से बाहर हैं और ड्राप आउट की संख्या 9156 तक पहुंच गई है। इन बच्चों को चिह्नित कर लिया गया है। शीघ्र ही इन्हें स्कूल से जोड़ने की कवायद शुरू होगी।

सीतामढ़ी में भी ड्राप आउट की संख्या बढ़ी है। वर्ष 2009-10 में 10.92 फीसदी बच्चे प्राथमिक स्कूलों से बाहर हैं। इनमें 11.07 फीसदी छात्र और 10.42 फीसदी छात्राएं हैं। वहीं 2007-08 में नामांकित बच्चों की संख्या 6.20 लाख थी। वर्ष 2008-09 में नामांकित बच्चों की संख्या घटकर 5.76 लाख हो गई। वर्ष 2009-10 में आंकड़ा बढ़कर 5.87 लाख तक पहुंच गया है।

मिथिलांचल में भी स्थिति चिंताजनक है। मधुबनी में तमाम कवायदों के बावजूद अभियान फ्लाप है। हाउस होल्ड सर्वे के मुताबिक जिले में 6-13 आयु वर्ग के कुल 35307 बच्चे स्कूल से बाहर हैं। यानी 26,715 बच्चों का नामांकन नहीं हो पाया है। डीएसई मनोज कुमार के अनुसार सभी बीईईओ से ड्राप आउट तथा गैर नामांकित बच्चों के विवरण मांगे गये हैं। प्रतिवेदन मिलने के बाद इन्हें स्कूलों, उत्थान केंद्रों और तालिमी मरकजों से जोड़ने की कवायद शुरू की जाएगी।

इसी तरह समस्तीपुर में हर साल हजारों बच्चे स्कूल छोड़ते हों। जिले के 1596 प्राथमिक, 755 मध्य, 29 सरकारी सहायता प्राप्त, 15 मदरसा व 103 कस्तूरबा व उत्प्रेरण केंद्रों में करीब सात लाख 91 हजार, सात सौ 33 छात्र-छात्राएं नामांकित हैं। इनमें औसतन 3 लाख 75 हजार बच्चों को ही प्रतिमाह मध्याह्न भोजन का लाभ मिलता है। इस तरह मिड डे मील का यह आंकड़ा ही हर रोज आधे छात्रों को स्कूल से ड्राप आउट बता रहा है।

दरभंगा भी इस बीमारी से जकड़ा हुआ है। यहां भी हजारों बच्चे स्कूल से वंचित हैं। इस वर्ष जिला में करीब 37 हजार बच्चे स्कूल से बाहर हैं। वैकल्पिक व नवाचारी शिक्षा संभाग प्रभारी सुरेश प्रसाद कहते हैं कि स्कूल से बाहर रहने वाले बच्चों की संख्या में कमी आयी है। पिछले वर्ष 47 हजार से अधिक बच्चे स्कूल से बाहर थे। इस वर्ष 10 हजार की कमी हुई है। अगले वर्ष और कमी होगी।


http://in.jagran.yahoo.com/news/national/general/5_1_6271271.html
 

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