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न्यूज क्लिपिंग्स् | कोसी की तबाही, सरकार की लापारवाही

कोसी की तबाही, सरकार की लापारवाही

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published Published on Jan 15, 2010   modified Modified on Jan 15, 2010

पटना। बिहार के प्रधान महालेखाकार [पीएजी] ने 2008 में कोसी नदी के तटबंध टूटने के लिए राज्य सरकार को दोषी ठहराया है। तटबंधों के टूटने से आई बाढ़ ने लाखों लोगों को बेघर कर दिया था और कई लोग मारे गए थे।

आधिकारिक सूत्रों ने शुक्रवार को बताया कि पीएजी ने अपनी रिपोर्ट में कहा है कि बिहार के जल संसाधन विभाग ने संरक्षण कार्य में तत्परता में कमी दिखाई, जिसके कारण 2008 में नेपाल में कुसाहा में कोसी के बांध में दरार आई।

नियंत्रक और महालेखापरीक्षक के अंदर आने वाले पीएजी कार्यालय ने अपनी रिपोर्ट में कहा है कि जल संसाधन विभाग ने बांध प्रभाग और बीरपुर के पूर्वी कोसी तटबंध प्रभाग के उन प्रस्तावों को स्वीकार नहीं किया, जिसमें कमजोर बांधों के संरक्षण की बात थी। इसमें 2008 के बाढ़ में बह गए बांध भी शामिल थे।

बांधों को दुरुस्त करने के बजाए विभाग ने निर्माण कार्यो को 11 जगहों से समेट कर 12.8 किलोमीटर से 13.6 किलोमीटर के बीच केवल पांच जगह कर दिया और ग्रामीण इलाकों में बांधों को मरम्मत करने का तो विचार ही नहीं किया। पीएजी की रिपोर्ट में बताया गया है कि पांच अगस्त 2008 को 12.19 किलोमीटर और 12.90 किमी स्पर में दरार पड़ना शुरू हुआ और 18 अगस्त को समस्या ने विकराल रूप धारण कर लिया, लेकिन वायरलेस रिपोर्ट से प्रमाण मिलता है कि इस अवधि में भी तटबंधों को बचाने के लिए कोई कदम नहीं उठाए गए।

रिपोर्ट में कहा गया है कि बाढ़ से बचाव कार्य में प्रभाग और विशेषज्ञों ने तटबंधों को छूआ तक नहीं गया। रिपोर्ट के अनुसार, चूंकि नेपाल में एक महत्वपूर्ण परियोजना पर काम चल रहा था इस वजह से स्थानीय प्रशासन और जल संसाधन विभाग को कोसी परियोजना के इलाकों की सुरक्षा और परियोजना के सुचारू निष्पादन के लिए समय-समय पर बैठकें करनी चाहिए थीं।

पीएजी ने यह भी गौर किया कि भारत और नेपाल की संयुक्त समिति ने नियमित बैठकें नही कीं। जल संसाधन विभाग के अधिकारियों ने पीएजी के अधिकारों पर सवाल उठाए, क्योंकि न्यायमूर्ति बालिया आयोग मामले की जांच कर रहा था और महालेखाकार के कार्यालय में यह मामला नहीं आता।

जल संसाधन विभाग ने कहा कि यह कानून का सिद्धांत है कि जब किसी मामले की न्यायिक जांच चल रही हो तब उसके समानांतर कोई और जांच नही हो सकती।

जल संसाधन विभाग के प्रधान सचिव ने न्यायिक जांच जारी होने का हवाला देकर इस मामले पर कुछ भी बोलने से इनकार कर दिया और कहा कि हम इसके रिपोर्ट की व्यग्रता से प्रतिक्षा कर रहे हैं।


http://in.jagran.yahoo.com/news/national/general/5_1_6105605.html
 

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