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न्यूज क्लिपिंग्स् | क्या पीएम किसान सम्मान निधि सिर्फ लोकसभा चुनाव जीतने का हथकंडा था

क्या पीएम किसान सम्मान निधि सिर्फ लोकसभा चुनाव जीतने का हथकंडा था

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published Published on Dec 20, 2019   modified Modified on Dec 20, 2019
पंजाब के मानसा जिले के झंडा खुर्द गांव के रहने वाले किसान लालचंद के मोबाइल पर एक मैसेज आता है. मैसज अंग्रेजी में था, इसलिए वे पढ़ नहीं सकते. पड़ोसी को मैसेज दिखाने लालचंद उसके घर जाते हैं. यह मैसेज एम किसान के नाम से आया. उसमें लिखा था कि उन्हें पीएम किसान योजना की तीसरी किस्त नहीं मिल सकती क्योंकि उनका नाम सरकारी रिकॉर्ड में गलत है. झुंझलाए लालचंद कहते हैं, “मैंने अपने कागज़ पूरे दिए, उसमें नाम भी सही है. मुझे इससे पहले की दो किस्तें भी मिल चुकी हैं. अगर नाम की गलती थी तो फिर पहली दो किस्तें कैसे उन्हें मिल गईं?” लेकिन लालचंद अकेले ऐसे किसान नहीं हैं जिन्हें यह मोबाइल मैसेज आया है. कुछ इस तरह के मैसेज पूरे देश के किसानों के मोबाइल में घूम रहे हैं.

सरकार की वेबसाइट पीएम किसान के अनुसार, पूरे देश में पहली किस्त लगभग साढ़े सात करोड़ लोगों को मिली थी. दूसरी किस्त में एक करोड़ लोग सीधे बाहर कर दिए गए. लिहाजा यह संख्या घटकर लगभग 6 करोड़ रह गई थी. मौजूदा तीसरी किस्त में पहली किस्त के मुक़ाबले 50 फ़ीसदी से ज़्यादा की गिरावट की गई है. लिहाजा अब इसके लाभार्थियों की संख्या 3 करोड़ 46 लाख 16 हज़ार रह गई है. अचानक से 4 करोड़ किसानों को इस योजना से बाहर कर देना कई तरह के सवाल खड़े करता है. सरकार की मंशा पर उंगलियां उठ रही हैं. आखिर किसान का ‘सम्मान’ निरंतर घट क्यों रहा है? अचानक से करोड़ों किसानों का सूची से बाहर क्यों कर दिया गया? अगर पंजीयन में कोई समस्या थी तो फिर पहली दो किस्त क्यों दी गई? क्या यह सिर्फ लोकसभा चुनाव जीतने का हथकंडा था?

कुछ किसानों इस तर्क से सहमत हैं कि सरकार को चुनाव के समय वोट लेना था इसलिए ये पूरी योजना चलाई गई. अब वोट मिल चुके हैं तो हमें पैसा देने या ना देने से सरकार को कोई फ़र्क़ नहीं पड़ता है. लोकसभा चुनाव के समय लोगों का पंजीयन आनन फ़ानन में कर दिया गया. लेकिन चुनाव हो जाने के बाद अब उन किसानों को एसएमएस के जरिए बताया जा रहा है कि आपका पंजीयन रद्द किया जा रहा है और आपको किसान सम्मान निधि योजना के तहत राशि नहीं मिलेगी.

उल्लेखनीय है कि पीएम किसान सम्मान निधि योजना, प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्ववाली एनडीए सरकार ने अपने पहले कार्यकाल के आखिरी साल में चुनावों से ठीक पहले शुरू की थी. इसका पूरा अनुदान केंद्र सरकार के बजट से आता है. इस साल फ़रवरी में अंतरिम केंद्रीय बजट में तत्कालीन वित्त मंत्री पीयूष गोयल ने इस महत्वाकांक्षी योजना की घोषणा की थी. इसके तहत 2 हेक्टेयर से कम भूमि वाले किसानों को सालाना 6000 रुपये मिलने थे जिसे 2000 रूपये की तीन क़िस्तों में देने का प्रावधान किया गया था. पैसे सीधे लाभार्थी के बैंक खाते में जमा होने थे और इसकी पहली किस्त दिसंबर 2018 से मिलनी शुरू हो चुकी है.

‘बिज़नस स्टैंडर्ड’ में 5 नवंबर को छपी एक रिपोर्ट में कहा गया है कि ‘पीएम किसान योजना’ का पैसा अब ‘मनरेगा’ के लिए इस्तेमाल किया जाएगा. सरकार ने ‘पीएम किसान’ योजना के लिए चालू वित्त वर्ष में 75,000 करोड़ रुपए आवंटित किए थे जिसमें से 25,000 करोड़ रुपए बच जाने का अनुमान लगाया जा रहा है. इसलिए सरकार इस बचे हुए पैसे के कुछ हिस्से का इस्तेमाल अब मनरेगा में करने की योजना बना रही है. सरकार बहुतेरे किसानों के इसलिए पैसे नहीं भेज रही है क्योंकि उनका पंजीयन नहीं हुआ है. किसान कह रहे हैं कि हम पंजीयन करवाना चाहते हैं, लेकिन सरकारी दफ्तरों में उनकी कोई सुनता नहीं है या बेमतलब के कारण बताकर उन्हें चलता कर दिया जाता है.

उत्तर प्रदेश के उन्नाव जिले के किसान प्रेमशंकर ने बताया, “चुनाव से ठीक पहले मुझे विज्ञापन के माध्यम से सूचना मिली कि सरकार किसानों के लिए ‘पीएम किसान’ स्कीम शुरू कर रही है. मैंने भी अपना नाम रजिस्टर करवाया. सभी जरूरी कागज़ात भी जमा कर दिए. लेकिन नौ महीने बीतने के बाद अभी तक कोई पैसा नहीं आया है. दफ़्तर के चक्कर काटने के बाद अब पता चला है कि उन्होंने मेरा अकाउंट नंबर ग़लत भर दिया है.”

इस ग़लती को सुधारने के लिए प्रेमशंकर ने दोबारा अपना नाम रजिस्टर करवाया, लेकिन इसके बाद भी उनकी समस्या हल नहीं हुई है. नोडल अधिकारी से बात करते हैं तो उन्हें कोई उचित जवाब नहीं मिलता.

किसान प्रेमशंकर रुआंसे होकर कहते हैं कि, “सोच रहा था कि अगर पैसा मिल जाता तो गेहूं की बुआई में काम आ जाता.” लेकिन लगता नहीं है कि अब उन्हें पैसा मिलेगा क्योंकि अधिकतर सरकारी योजनाओं की तरह पीएम किसान सम्मान निधि योजना भी चुनावी स्टंट की तरह ज़्यादा काम करती दिख रही है. ऐसा लगता है कि यह स्कीम किसानों को राहत पहुंचाने के बजाए वोट बटोरने के काम में लाई जा रही है. हैरानी की बात नहीं है कि हरियाणा और महाराष्ट्र के अनेकों किसानों को ठीक विधानसभा चुनाव से पहले ये पैसे मिले थे.
पूरी रिपोर्ट पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें. 

सज्जन कुमार, https://www.newslaundry.com/2019/12/19/pm-farmers-scheme-modi-election-2019


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