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न्यूज क्लिपिंग्स् | खनन ने किया खोखला

खनन ने किया खोखला

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published Published on May 23, 2011   modified Modified on May 23, 2011
शिमला। पर्यावरण प्रदेश की नींव है, लेकिन खनन के कारण यह खोखली होती जा रही है। प्रदेश सरकार ने अवैध खनन की रोकथाम के लिए समस्त उपायुक्त, अतिरिक्त उपायुक्त, समस्त उपमंडल मजिस्ट्रेट, उद्योग विभाग, वन विभाग, पुलिस, समेत आईपीएच तथा लोक निर्माण विभाग के अधिशाषी और सहायक अभियंताओं को भी चालान करने के लिए प्राधिकृत कर दिया है। जब भी इन विभागों से बात की जाती है तो यह साल-छह महीने के लिए लिए जुर्माने का हवाला देकर छुटकारा पा लेते हैं। मामूली सा जुर्माना देकर खनन माफिया लाखों के फायदे का खेल जारी रखता है।

प्रदेश के नौ जिलों में पहले ही वन संरक्षण अधिनियम लागू है, जिसके चलते इन जिलों में खनन करने की अनुमति केंद्र सरकार से लेनी पड़ती है। इन जिलों में केवल निजी जमीनों पर ही खनन हो रहा है, जो प्रदेशवासियों की जरूरतों के हिसाब से नाकाफी है। दूसरी ओर कांगड़ा, ऊना और हमीरपुर में यह अधिनियम लागू नहीं होता, लेकिन इन तीन जिलों पर पूरे प्रदेश की खनन आवश्यकताओं को पूरा करने का दारोमदार है।

ऐसे में भवन निर्माण के लिए प्रदेश के आम आदमी की जरूरतों के मद्देनजर खनन को प्रतिबंधित करने से पहले रेत, बजरी और ईंट आदि की जरूरतों को पूरी करने के लिए खनन पर रोक लगाना मुश्किल हो रहा है। प्रदेश के सीमावर्ती क्षेत्रों में अवैध खनन ज्यादा है। सिरमौर के पावंटा की यमुना नदी में खनन की शिकायतें आती हैं। यमुना नदी पर खनन को प्रदेश सरकार रोकती है लेकिन उत्तराखंड में खनन की अनुमति है। तीसरे नदी, नालों व खड्डों पर बैरियर नहीं लगाए जा सकते।

ऊना में स्टाफ का टोटा

ऊना में खनन रोकने का जिम्मा एक इंस्पेक्टर और पांच माइनिंग गार्डो के हवाले है। जिले से खनन की लीज तथा नीलामी से सरकार को सालाना दो करोड़ से अधिक की आमदनी हो रही है। जिले में करीब 100 छोटी-बड़ी खड्डों से रेत, बजरी और पत्थर उठाए जाते हैं। लूणखर खड्ड में तो प्रतिबंधित एरिया में खनन धड़ल्ले से हो रहा है। इस बारे स्थानीय ग्रामीण भी मसला उठा चुके हैं। पिछले साल भी अवैध खनन के करीब 97 मामले पकड़े गए थे। इनमें से 22 केसों से संबंधित विभाग ने करीब 65 हजार रुपए जुर्माना वसूला है। ऊना के खनन अधिकारी परमजीत सिंह का कहना है कि 22 लोगों से जुर्माना भी वसूला गया है। उन्होंने बताया कि विभाग ने 1.60 करोड़ रेवन्यू का टारगेट रखा था। इसमें 35 फीसदी बढ़ोतरी के साथ 2.21 करोड़ का रेवेन्यू इकट्ठा किया है।

मेजर-माइनर मिनरल माइनिंग से बराबर आया

प्रदेश सरकार को मेजर मिनरल माइनिंग जैसे सीमेंट कारखानों, लाइमस्टोन के खनन से सालाना 50 करोड़ रुपए तक की आय मिलती है। माइनर मिनरल खनन जैसे रेत बजरी आदि से भी लगभग 50 करोड़ रुपए तक की आय मिलती है।

हमीरपुर में छलनी कर डालीं खड्डे

हमीरपुर की शायद ही कोई ऐसी प्रमुख खड्ड बची है जो खनन माफिया के कहर का शिकार न हुई हो। कुछ लोग तो ऑक्शन किए गए क्षेत्रों के अलावा उन हिस्सों में भी खनन कर रहे हैं जहां कि उन्हें इजाजत नहीं है। खनन विभाग का शिकंजा ढीली व्यवस्था के आगे बेअसर साबित हो रहा है। राजनीतिक प्रभाव के चलते खनन माफिया के हौसले बुलंद हैं। मुख्य रूप से जाहू-मंडी और बिलासपुर-हमीरपुर की सीमा के साथ लगती खड्डें खनन का शिकार हैं। सीर, समैला, पुंग खड्डों में अवैध खनन के हर साल सैकड़ों मामले पकड़े भी जाते हैं। पुंग खड्ड में कसीरी महादेव के पास से ही अवैध खनन शुरू हो जाता है। भलेठ तक इस खड्ड में जगह-जगह यह काम बेधड़क हो रहा है। कई जगहों पर खड्डों से पत्थर, बजरी न निकालने पर कोर्ट से स्टे भी है, लेकिन खनन माफिया यहां से निर्माण सामग्री निकाल कर ले जाता है।

खनन विभाग ने तीन खड्डों कसीरी महादेव और पुंग खड्ड पर भटेड़ा में दो खड्डों को लीज पर दे रखा है जबकि री खड्ड को नीलामी पर दिया गया है। मगर यहां भी कई जगहों पर अवैध खनन बेरोकटोक हो रहा है। खनन विभाग ने एक साल में 250 से ज्यादा अवैध खनन के मामले पकड़े हैं। इसमें दर्जनों वाहन, जेसीबी मशीनें भी जब्त की गई हैं। मगर इसका खनन माफिया पर कोई असर नहीं है। करीब 150 मामले इस समय कोर्ट में चल रहे हैं। विभाग ने जुर्माना, नीलामी और रॉयल्टी से डेढ़ करोड़ का राजस्व एकत्र किया है, लेकिन 3 से 5 हजार रुपए तक जुर्माना खनन माफिया को रोकने में सक्षम नहीं है। मोटी कमाई के चक्कर में यह अवैध कारोबार दिन प्रतिदिन बढ़ता ही जा रहा है। हमीरपुर के खनन इंस्पेक्टर कमल ठाकुर का कहना है कि जहां से भी सूचना मिलती है वहां तुरंत कार्रवाई की जाती है।

मंडी में हजारों हैक्टेयर भूमि हुई बंजर

मिनी पंजाब के नाम से मशहूर मंडी की बल्ह घाटी खनन माफिया के लिए सोने की खान बन गई है, लेकिन इससे यहां की हजारों हैक्टेयर जमीन बंजर हो गई है।यहां जेसीबी मशीनों से जमीन खोद कर भारी मात्रा में रेत - बजरी निकाली जा रही है। इससे भूजल का स्तर भी गिरने लगा है। खनन ने यहां के प्राकृतिक नदी नाले के बहाव को बदल दिया है। मंडी में निर्माण सेक्टर में पिछले एक दशक से जबरदस्त वृद्धि हुई है। इस दौरान यहां हजारों करोड़ के सिविल वर्क निर्माणाधीन हैं। ऐसे में यहां रेत और बजरी की मांग आपूर्ति से कहीं ज्यादा है।

मंडी की विभिन्न अदालतों में अवैध खनन के 600 से अधिक मामले विचाराधीन हैं। खनन विभाग में स्टाफ का टोटा यहां खनन माफिया के फलने- फूलने का सबसे बड़ा कारण है। मंडी के खनन अधिकारी के पास कुल्लू जिला का प्रभार भी है। उधर एक माइनिंग इंस्पेक्टर के भरोसे संगठित तरीके से चल रहे अवैध खनन को रोकना कहां तक संभव है। चार माह पहले उद्योग मंत्री किशन कपूर के सख्त निर्देशों के बावजूद यहां जारी अवैध पर कोई अंकुश लगता नहीं दिख रहा है। मंडी के जिला खनन अधिकारी पु़नीत गुलेरिया ने बताया कि प्रशासन और पुलिस की मदद से भी अभियान चलाया जाता है।

कुल्लू में हाईकोर्ट के आदेशों की धज्जियां

कुल्लू में हाईकोर्ट के आदेश के प्रतिबंध के बावजूद यहां ब्यास और कई अन्य नदियों में खनन जारी है। इससे तटों के दोनों ओर भूमि कटाव हो रहा है। भारी खनन के परिणामस्वरूप वर्ष 1992-1995 और 1997 के बाद ब्यास सहित अन्य खड्डों में बाढ़ जैसी घटनाएं बढ़ गई हैं। हाईकोर्ट ने वर्ष 2006 में ब्यास नदी के तटों पर खनन पर पूरी तरह प्रतिबंध लगाने के निर्देश जारी किए थे, लेकिन स्थानीय प्रशासन इस पर लगाम नहीं लगा पाया। इससे घराट बेकार हो चुके हैं। स्थानीय ठेकेदार, लोग विभाग की डील का फायदा उठा कर खनन जारी रखे हैं। ब्यास नदी के तटों में बजौरा, भुंतर, मौहल, पीरडी, रामशिला, रायसन, पतलीकूहल, 17 मील, बांहग आदि स्थानों में अवैध खनन को अंजाम दिया जा रहा है। कुल्लू में पंचायतों को खनन रोकने के अधिकार दिए गए हैं।

कांगड़ा जिले में पेयजल योजनाएं प्रभावित

अवैज्ञानिक खनन के कारण जिले की कई पेयजल और सिंचाई योजनाएं सूखने लगी हैं। धर्मशाला के पास खनियारा में स्लेट खनन के लिए 25 हैक्टेयर भूमि पर खनन की अनुमति के बावजूद इससे कहीं अधिक क्षेत्र में खनन कार्य किया जा रहा है। कांगड़ा में पिछले वर्ष में अवैध खनन के पकड़े गए 334 मामलों में से 216 मामलों में कंपाउंडिंग चार्ज लगाकर 7 लाख 38 हजार रुपए का राजस्व एकत्रित किया गया है। खनन विभाग द्वारा 186, एसडीएम की ओर से 121, डीएसपी और एसएचओ की ओर से खनन के 22 और वन विभाग की ओर से 5 मामलों में कार्रवाई की गई है।

पांवटा साहिब में विभाग की ढिलाई भारी

हिमाचल और उत्तराखंड की सीमा के बीच से बहती यमुना नदी में रेत, बजरी-पत्थर का अवैध खनन रोकने में विभाग नाकाम रहा है। विभागों में तालमेल की कमी से खनन माफिया की पौ बारह है। यमुना नदी उत्तराखंड और हिमाचल की विभाजन रेखा का कार्य करती है। मगर बरसात में इस नदी का रुख कभी इधर-उधर हो जाता है जिस कारण इस नदी का बंटवारा नहीं हो सका। इस नदी में उत्तराखंड से हर रोज ट्रक हिमाचल की सीमा में आते हैं। प्रदेश उच्च न्यायालय ने 2004 में प्रदेश की नदियों में हो रहे अंधाधुंध खनन के चलते नदियों से खनन पर रोक लगा दी थी।पांवटा के विधायक एवं सीपीएस सुखराम चौधरी ने कहा कि वह यह मामला सरकार के सामने रखेंगें। पांवटा के डीएसपी निश्चित सिंह नेगी ने कहा पिछले हफ्ते एक लाख से अधिक का जुर्माना वसूला गया है।

बीबीएन में प्रभावशाली लोग हावी

बद्दी-बरोटीवाला-नालागढ़ (बीबीएन) में 5-6 साल करीब आधा दर्जन खनन की भेंट चढ़ चुके हैं।वहीं, एक दर्जन उठाऊ सिंचाई योजनाएं भी प्रभावित हुई हैं। यहां विभाग सियासी और प्रभावशाली लोगों के क्रशर व्यवसाय से जुड़े होने के कारण सख्ती नहीं करता। सरकार नदियों की लीज से हर साल लाखों रुपए कमाती है।पंजाब-हरियाणा में खन पर प्रतिबंध की मार हिमाचल पर पड़ रही है। दोनों राज्यों को निर्माण सामग्री प्रदेश से ही जाती है। पर्यावरण संरक्षण समिति हिम परिवेश के अध्यक्ष जगजीत सिंह दुखिया और महासचिव बालकिशन का कहना है कि बीबीएन में पंजाब, हरियाणा और हिमाचल के बीस या इससे कहीं ज्यादा टन भार उठाने वाले लगभग 200 टिप्पर दिन रात अवैध खनन में जुटे हैं। इन्होंने क्षेत्र के नदी नालों, पहाड़ों और वन भूमि को तहस नहस करके सारी संपदा पड़ोसी राज्यों को बेच दी है।

उन्होंने कहा कि एक तो सरकार कहती है कि किसी भी प्रकार का कच्चा माल राज्य से बाहर नहीं जा सकता और जो केवल तैयार माल जाता भी है तो उस पर एजीटी और वैट अदा करना पड़ना है जो कि कुल बिल का सात फीसदी बैठता है। हरियाणा को अवैध तरीके से जा रही खनन सामग्री के चलते विभाग को 60 लाख रुपए औसतन प्रति माह का खनन माफिया टैक्स चोरी के रूप में मोटा चूना लगा रहा है। खनन कार्य में जुटे लोगों के वाहनों से वैट लेना तो दूर 26 नंबर फार्म भी नहीं भरवाया जाता।बद्दी के एसपी गुरदेव शर्मा ने अवैध खनन सामग्री को चोरी करके बाहरी राज्यों को जाने वाले वाहनों पर जहां भारी भरकम जुर्माना ठोका है। कई मामले कोर्ट में हैं।

लोगों की मजबूरी

नौ जिलों में वन संरक्षण अधिनियम लागू होने के कारण प्रदेश में रेत, बजरी और ईंटों की आपूर्ति कम हो पाती है। वहीं प्रदेश में भवन निर्माण संबंधी क्रियाएं जोरों पर चल रही हैं। निर्माण के लिए वैध रूप से निर्माण सामग्री नहीं मिलने से लोग अवैध रूप से खरीदने को मजबूर हैं। आखिर में आम आदमी तो निर्माण सामग्री की ज्यादा ही कीमत दे रहा है। भूविज्ञान शाखा के अधिकारी कहते हैं कि माइनिंग अफसर, सहायक माइनिंग अफसर, माइनिंग गार्डो के दर्जनों पद खाली चल रहे हैं।

तीसरी बार में जेल

सरकार हर साल 2000 से अधिक लोगों के चालान काटती है। अवैध खनन करते हुए पकड़े गए ट्रक से पहली बार पांच हजार रुपए जुर्माना, दूसरी बार 25 तथा तीसरी बार जेल तक की सजा का प्रावधान है जबकि इसमें माफिया लाखों की कमाई करता है। अतिरिक्त मुख्य सचिव उद्योग हरिंदर हीरा ने कहा, अवैध खनन पर अंकुश लगाने को सरकार ने कई दूसरे विभागों के अधिकारियों को भी प्राधिकृत किया है। अवैध खनन रोकने के लिए किए गए प्रयासों की रिपोर्ट हाईकोर्ट को सौंप दी है।

15 लाख का रिकॉर्ड

पिछले साल अवैध जुर्माना वसूलने में सोलन टॉप पर था। इस साल अब तक जिला में अवैध खनन के 85 मामले आए हैं। खनन विभाग ने इन मामलों में तीन लाख रुपए का जुर्माना भी वसूल किया है। सोलन जिला में अधिकतर अवैध खनन के मामले बद्दी-बरोटीवाला-नालागढ़ के ही होते हैं। 2010 में जिला में 250 मामलों में खनन विभाग ने 15 लाख रुपए का जुर्माना वसूल किया था। यह जुर्माना पूरे प्रदेश में सबसे ज्यादा था। इस साल अभी तक तीन लाख रुपए का जुर्माना वसूला गया है।

http://www.bhaskar.com/article/HIM-OTH-mining-was-the-hollow-2125597.html?HT1=


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