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न्यूज क्लिपिंग्स् | खाप पंचायत समानांतर न्यायपालिका नहीं

खाप पंचायत समानांतर न्यायपालिका नहीं

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published Published on Feb 2, 2010   modified Modified on Feb 2, 2010
खाप पंचायतों को इस तरह का कोई अधिकार नहीं है कि वे किसी दंपती को भाई-बहन बना दें और जो उसके आदेश का पालन न करे, उसे मौत के घाट उतार दें। यह एक सामाजिक बुराई है। इन खाप पंचायतों को समानांतर न्याय पालिका चलाने की अनुमति नहीं दी जा सकती। '

यह टिप्पणी पंजाब एंड हरियाणा हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस मुकुल मुदगल व जस्टिस जसबीर सिंह की खंडपीठ ने खेडी महम में खाप पंचायत द्वारा दंपती को भाई-बहन घोषित करने पर एक जनहित याचिका की सुनवाई करते हुए की। हालांकि खंडपीठ ने कहा कि हम खाप पंचायतों की परंपराओं का आदर करते हैं। इन परंपराओं के अनुसार कुछ विवाह अवैध हो सकते हैं।

याचिका में खाप पंचायतों के खिलाफ कार्रवाई की मांग की गई है। मामले की सुनवाई के दौरान एडवाकेट नव किरण सिंह ने एक समाचार पत्र में छपी उस खबर की तरफ कोर्ट का ध्यान दिलाया जिसमें रोहतक के गांव खेड़ी महम में एक दंपती को भाई-बहन की तरह रहने का आदेश जारी किया गया था। इस दंपती की तीन साल पूर्व मैरिज हुई थी और उनका लगभग एक साल का बच्चा भी है। इस पर चीफ जस्टिस ने हरियाणा के एडीशनल एडवोकेट जनरल को कहा कि वो कोर्ट को यह बताएं कि इस समाचार में कितनी सच्चाई है।

चीफ जस्टिस ने कहा कि अगर यह सच है तो यह बहुत गलत है। सरकार को इस पर सोचना चाहिए और ठोस कदम उठाना चाहिए। खंडपीठ ने हरियाणा सरकार को दंपती को उचित सुरक्षा मुहैया करवाने का भी आदेश जारी किया।

चीफ जस्टिस ने एडीशनल एडवोकेट जनरल को कहा कि यह उनका क्षेत्र है। उनको देखना चाहिए कि उनके राज्य में क्या हो रहा है और क्या कदम उठाने चाहिए। उन्होंने कहा कि आप यह देखें कि गैर कानूनी कार्य करने वाली खाप पंचायतों का प्रबंधन किन लोगों के हाथों में है और उनके खिलाफ एक्शन लें। खंडपीठ ने सुनवाई के दौरान पूछा कि आप के राज्य में ऐसे कितने मामले हो चुके हैं। साथ ही कटाक्ष किया कि क्या वे सभी सिद्धांतों पर आधारित हैं।

वैसे खाप पंचायतों द्वारा दिए गए निर्णयों के खिलाफ हाईकोर्ट की खंडपीठ का रूख सदा ही कड़ा रहा है। इस मामले में पहले भी हाईकोर्ट हरियाणा सरकार से यह पूछ चुका है कि वह कानून के खिलाफ काम करने वाली व तुगलकी फरमान जारी करने वाली खाप पंचायतों के खिलाफ कार्रवाई क्यों नहीं कर रही। हाईकोर्ट ने कहा था कि इन पंचायतों द्वारा इस तरह के आदेश जारी करना कानूनी अवैध है। इस तरह के आदेश कंगारू ला की तरह हैं और उनको रोकना जरूरी है। यह अफगानिस्तान नही है, यह भारत है। यहां पर तालिबान कोर्ट को मान्यता नहीं दी जा सकती। चीफ जस्टिस ने यह बात उस वकील को कही थी जिसने कोर्ट में एक जवाब फाइल कर खाप पंचायतों के कदम व उनकी कार्रवाई को सही ठहराया था।

ज्ञात रहे कि गैर सरकारी संगठन लायर फार ह्यूमन राइट इंटरनेशनल ने हाईकोर्ट में एक जनहित याचिका दाखिल कर खाप पंचायतों द्वारा गैर कानूनी व तानाशाही आदेश जारी करने के खिलाफ कार्रवाई करने व इन खाप पंचायतों पर रोक लगाने की माग की है। साथ ही याचिका में माग की गई है कि सिंगवाल नरवाना में खाप पंचायत द्वारा मारे गए युवक वेदपाल के मामले की जाच के लिए वरिष्ठ आईपीएस अधिकारी की अगुवाई में एक एसआईटी बनाई जाए जो हाईकोर्ट की निगरानी में काम करे। इस मामले की सुनवाई के लिए एक स्पेशल कोर्ट भी बनाई जाए जो इस मामले में शामिल लोगों को जल्दी सजा दे सके।


http://in.jagran.yahoo.com/news/local/haryana/4_6_6150467.html
 

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