Deprecated (16384): The ArrayAccess methods will be removed in 4.0.0.Use getParam(), getData() and getQuery() instead. - /home/brlfuser/public_html/src/Controller/ArtileDetailController.php, line: 150
 You can disable deprecation warnings by setting `Error.errorLevel` to `E_ALL & ~E_USER_DEPRECATED` in your config/app.php. [CORE/src/Core/functions.php, line 311]
Deprecated (16384): The ArrayAccess methods will be removed in 4.0.0.Use getParam(), getData() and getQuery() instead. - /home/brlfuser/public_html/src/Controller/ArtileDetailController.php, line: 151
 You can disable deprecation warnings by setting `Error.errorLevel` to `E_ALL & ~E_USER_DEPRECATED` in your config/app.php. [CORE/src/Core/functions.php, line 311]
Warning (512): Unable to emit headers. Headers sent in file=/home/brlfuser/public_html/vendor/cakephp/cakephp/src/Error/Debugger.php line=853 [CORE/src/Http/ResponseEmitter.php, line 48]
Warning (2): Cannot modify header information - headers already sent by (output started at /home/brlfuser/public_html/vendor/cakephp/cakephp/src/Error/Debugger.php:853) [CORE/src/Http/ResponseEmitter.php, line 148]
Warning (2): Cannot modify header information - headers already sent by (output started at /home/brlfuser/public_html/vendor/cakephp/cakephp/src/Error/Debugger.php:853) [CORE/src/Http/ResponseEmitter.php, line 181]
न्यूज क्लिपिंग्स् | खाप पंचायतों के फरमान गैरकानूनी: सुप्रीम कोर्ट

खाप पंचायतों के फरमान गैरकानूनी: सुप्रीम कोर्ट

Share this article Share this article
published Published on Jan 15, 2013   modified Modified on Jan 15, 2013

नई दिल्ली. सुप्रीम कोर्ट ने मोबाइल के इस्तेमाल और ड्रेस कोड को लेकर महिलाओं पर प्रतिबंध संबंधी खापों (जातीय पंचायतें) के फरमान गैरकानूनी करार दिए हैं। जस्टिस आफताब आलम और रंजना प्रकाश देसाई की बेंच ने सोमवार को कहा, 'यह (खापों के फरमान) कानून का उल्लंघन हैं।

कोई किसी को कैसे कह सकता है कि वह मोबाइल फोन न रखे।Ó अदालत ने इसे 'जीवन के मौलिक अधिकार का उल्लंघनÓ भी बताया। उत्तर प्रदेश और हरियाणा की कई खापों के नेता और दोनों प्रदेशों के वरिष्ठ पुलिस अधिकारी सुप्रीम कोर्ट में पेश हुए।

4 जनवरी को पिछली सुनवाई में कोर्ट ने उन्हें इस किस्म के फरमानों, अंतरजातीय विवाहों और ऑनर किलिंग जैसे मसलों पर अपना पक्ष रखने के लिए बुलाया था।


मामले की अगली सुनवाई के लिए 5 मार्च की तारीख तय की गई है। तब तक सभी पक्षों से अपने-अपने जवाब दाखिल करने को कहा गया। अतिरिक्त महाधिवक्ता (एएसजी) इंद्रा जयसिंह ने खाप पंचायतों की कार्यप्रणाली का पुरजोर विरोध किया। उन्होंने कहा कि खापें समानांतर अदालतें चलाती हैं।

एएसजी ने कहा कि ऐसे फरमानों की इजाजत कतई नहीं दी जा सकती है। जयसिंह ने ऐसे मामलों में सख्त कार्रवाई नहीं करने के लिए पुलिस को कठघरे में खड़ा किया। मामले में अदालत मित्र नियुक्ति किए वरिष्ठ अधिवक्ता राजू रामचंद्रन ने भी कहा कि अजीबोगरीब फरमानों से महिलाओं के खिलाफ माहौल तो बनता ही है।


कन्या भ्रूण हत्या रोकने में भूमिका की सराहना भी: हरियाणा और उत्तर प्रदेश के पुलिस अफसरों ने जब खाप पंचायतों के कन्या भू्रण हत्या रोकने के प्रयासों को अदालत के सामने रखा तो कोर्ट ने उनकी इस भूमिका की सराहना की।

तालिबान की तरह प्रोजेक्ट करने का विरोध


खापों की ओर से पेश हुए वकीलों ने अदालत में कहा कि उनके बारे में कई तथ्यों को तोड़-मरोड़कर पेश किया गया है। खापें ऑनर किलिंग में शामिल नहीं हैं और न ही ऐसा कोई फरमान जारी करती हैं। हत्याएं हर जगह हो रही हैं। यहां तक कि दिल्ली में भी।

खापें ऐसी हत्याओं के लिए दोषी नहीं हैं, लेकिन याचिकाकर्ता खापों को तालिबान की तरह प्रोजेक्ट कर रहे हैं। दोनों राज्यों के अतिरिक्त पुलिस महानिदेशक (कानून-व्यवस्था) ने माना कि खापों ने 'अजीबोगरीब फरमानÓ जारी किए हैं। लेकिन साथ ही जोड़ा कि वे सीधे तौर पर ऑनर किलिंग से जुड़ी हुई नहीं हैं।

यह है मामला


स्वयंसेवी संगठन (एनजीओ) शक्ति वाहिनी ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर कर कहा है कि खापें प्रेमी जोड़ों को प्रताडि़त कर रही हैं। पारिवारिक शान की खातिर उन्हें मरवा रहीं हैं। खास तौर पर अंतरजातीय व एक गोत्र में विवाह करने पर महिलाओं को।

संगठन ने अदालत से इन पंचायतों पर कार्रवाई करने के लिए सरकारों को निर्देश देने की मांग की है। एनजीओ ने आरोप लगाया है कि हरियाणा, पंजाब, उत्तर प्रदेश और पश्चिम बंगाल में ऑनर किलिंग के बढ़ती घटनाओं के बावजूद न तो केंद्र और न ही राज्य सरकारों ने इस बुराई को रोकने के लिए कदम उठाया।

ऐसा वोट बैंक की राजनीति के लिए किया जा रहा है। देशभर में बढ़ते ऑनर किलिंग के मामलों के मद्देनजर शीर्ष अदालत ने जून 2010 में केंद्र व राज्य सरकारों को नोटिस जारी किए थे।

खापों का दूध-खून के रिश्ते की गरिमा बनाए रखने पर जोर


रोहतक. खाप प्रतिनिधियों ने 72 पन्नों की रिपोर्ट दाखिल कर हिंदू विवाह अधिनियम में बदलाव पर जोर दिया। खाप प्रतिनिधियों ने कहा कि दूध और खून के रिश्ते की गरिमा बनाए रखने के लिए यह जरूरी है। रिपोर्ट में कई ऐसी बीमारियों का जिक्र किया गया, जो समगोत्र शादी करने वाले समुदायों में बढ़ रही हैं।

खापों की तरफ से संयुक्त राष्ट्र संघ द्वारा 8 दिसंबर 1992 को पारित प्रस्ताव अदालत के समक्ष रखा गया, जिसमें हर देश व समाज को अपनी परंपराओं की रक्षा करने का अधिकार है। धनखड़ खाप के प्रधान डॉ. ओमप्रकाश धनखड़ ने बताया कि दर्जन भर खापों के 300 से अधिक प्रतिनिधि सोमवार सुबह सुप्रीम कोर्ट में पहुंचे।


http://www.bhaskar.com/article/HAR-HIS-khap-panchayats-decree-illegal-supreme-court-4148719-NOR.html


Related Articles

 

Write Comments

Your email address will not be published. Required fields are marked *

*

Video Archives

Archives

share on Facebook
Twitter
RSS
Feedback
Read Later

Contact Form

Please enter security code
      Close