Deprecated (16384): The ArrayAccess methods will be removed in 4.0.0.Use getParam(), getData() and getQuery() instead. - /home/brlfuser/public_html/src/Controller/ArtileDetailController.php, line: 150
 You can disable deprecation warnings by setting `Error.errorLevel` to `E_ALL & ~E_USER_DEPRECATED` in your config/app.php. [CORE/src/Core/functions.php, line 311]
Deprecated (16384): The ArrayAccess methods will be removed in 4.0.0.Use getParam(), getData() and getQuery() instead. - /home/brlfuser/public_html/src/Controller/ArtileDetailController.php, line: 151
 You can disable deprecation warnings by setting `Error.errorLevel` to `E_ALL & ~E_USER_DEPRECATED` in your config/app.php. [CORE/src/Core/functions.php, line 311]
Warning (512): Unable to emit headers. Headers sent in file=/home/brlfuser/public_html/vendor/cakephp/cakephp/src/Error/Debugger.php line=853 [CORE/src/Http/ResponseEmitter.php, line 48]
Warning (2): Cannot modify header information - headers already sent by (output started at /home/brlfuser/public_html/vendor/cakephp/cakephp/src/Error/Debugger.php:853) [CORE/src/Http/ResponseEmitter.php, line 148]
Warning (2): Cannot modify header information - headers already sent by (output started at /home/brlfuser/public_html/vendor/cakephp/cakephp/src/Error/Debugger.php:853) [CORE/src/Http/ResponseEmitter.php, line 181]
न्यूज क्लिपिंग्स् | खेती बिना खेत के, आमदनी जेब भरके

खेती बिना खेत के, आमदनी जेब भरके

Share this article Share this article
published Published on May 11, 2011   modified Modified on May 11, 2011

घर में उत्पादन

-कृषि विश्वविद्यालय से प्रशिक्षण पाकर सफल हो रहे किसान

- बीज उत्पादन के गुर सिखाने से लेकर मदर कल्चर मिल रहा मुफ्त

- विश्वविद्यालय व कृषि विज्ञान केन्द्र से किसान उठा सकते बीज

अमरेन्द्र तिवारी,मुजफ्फरपुर : 'खेती बिना खेत के..' सुनकर आपको भले आश्चर्य लगे, लेकिन बात है सौ फीसदी सही। राजेन्द्र कृषि विश्वविद्यालय पूसा की पहल पर बिना खेत वाले लोग भी मशरूम की खेती कर अपनी जेबें भर रहे हैं। विश्वविद्यालय की पहल पर विश्वविद्यालय के परिसर से सटे पोखरैरा की रेहाना खातून तो इसका रोल मॉडल बन गई है। पति की मजदूरी से परिवार चलानेवाली रेहाना खुद अपनी मेहनत से एक छोटी सी झोपड़ी के अंदर मशरूम की खेती कर हर माह 15 सौ से दो हजार रुपये तक की आमदनी कर रही है। इनकी प्रेरणा से 20-25 महिलाएं अपने घर में मशरूम का उत्पादन कर रही हैं। इस गांव की सुलेखा राय, रीता देवी, अर्चना तिवारी व जरीना की मानें तो मशरूम की खेती गरीबों के लिए वरदान है। खाने के लिए सब्जी मिल जाती है वहीं इतनी मांग है कि घर से लोग खरीद कर ले जाते हैं।

कैसे हो रही लाभदायक

खेती करने वाली रेहाना बताती है कि दस किलो भूसा को उबालकर फिर उसे मोटरी बनाकर टांग देती है। सुबह में पांच बैग तैयार करती है। एक बैग में सौ ग्राम बीज डालकर पॉलीथीन में रखकर घर में टांग दिया जाता। 15 से 16 दिन में बाद फसल तैयार और एक बैग से 250 ग्राम से लेकर 300 ग्राम तक उत्पादन प्राप्त होता है। स्थानीय स्तर पर यह 150 रुपये से दो सौ रुपये किलो तक बिक जाता है। यह पौष्टिक होने के साथ-साथ इतना स्वादिष्ट होता है कि इसकी सब्जी, पकोड़ा आदि लोग खूब खाते हैं।

कब-कब करें खेती

कृषि वैज्ञानिक डा. दयाराम की मानें तो मशरूम सालों भर की खेती है। लेकिन, सितम्बर से मार्च तक बेहतर उत्पादन किया जा सकता है। 70 रुपये प्रति किलो की दर से बीज किसानों को उपलब्ध कराया जा रहा है। बीज 15 से 20 दिन में तैयार हो जाता है।

बोले कुलपति

राजेन्द्र कृषि विश्वविद्यालय पूसा के कुलपति मेवालाल चौधरी का कहना है कि बदलते बिहार में मजदूरों की माली हालत मजबूत करने में मशरूम की खेती वरदान साबित हो रही है। कम लागत में ज्यादा मुनाफा तथा बाजार की अपार संभावना। सभी कृषि विज्ञान केन्द्र के प्रभारी को आदेश दिया गया है कि वह मशरूम खेती के प्रशिक्षण के साथ-साथ इच्छुक लोगों को बीज उपलब्ध करावें। विश्वविद्यालय परिसर में सालों भर बीज उपलब्ध है। बिहार के सभी जिलों में एक अभियान के तहत जागरुकता कार्यक्रम चल रहा है। पर्याप्त उत्पादन होगा तो इसे मिड डे मिल योजना में शामिल कराने के लिए पहल होगी।


http://in.jagran.yahoo.com/news/local/bihar/4_4_7709084.html


Related Articles

 

Write Comments

Your email address will not be published. Required fields are marked *

*

Video Archives

Archives

share on Facebook
Twitter
RSS
Feedback
Read Later

Contact Form

Please enter security code
      Close