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न्यूज क्लिपिंग्स् | खेतों में पसीना बहा रहा नक्सली बद्री राय

खेतों में पसीना बहा रहा नक्सली बद्री राय

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published Published on May 13, 2013   modified Modified on May 13, 2013
दुमका : हरसंत का अतीत होता है और हर अपराधी का भविष्य. केंद्रीय कारा में लिखी इसी पंक्ति ने एक अपराधी का भविष्य सुधार दिया है. दुमका सहित आसपास के क्षेत्र में नक्सलियों का जनक माना जाने वाला हार्डकोर उग्रवादी बद्री राय जेल से छूटने के बाद मुख्यधारा में लौट आये हैं.

इन दिनों वह अपने गांव सरुवापानी में बंजर जमीन को खेतीलायक बनाने और फसल उपजाकर अपने जीवन को वह नयी दिशा देने में जुटे हैं. उनकी जमीन पर गेहूं की फसल लहलहा रही है. पहाड़ी तलहट पर बसे इस गांव में गेहूं की खेती शुरू करने वाला बद्री पहला शख्स है.

सरकारी स्तर पर भी उसे मुख्य धारा में लाने की कवायद हुई है. कृषि संबंधी प्रशिक्षण के लिए उसे चेन्नई व कनार्टक भी भेजा गया था. जेल में रहते हुए भी बद्री ने कृषि तकनीक का गुर सीखा था. पिछले दिनों ही ग्रामसभा की अनुशंसा पर बद्री राय की पत्नी इंदरावती देवी के नाम से इंदिरा आवास की स्वीकृति प्रदान की गयी है. बद्री का परिवार बीपीएल में है और उसका स्कोर 11 है.

- लंबे समय तक रह चुका जेल में
- संताल परगना में उसने ही नक्सली संगठन का विस्तार किया था.

पहले वह खुद नक्सली मामलों में लंबे समय तक जेल में रहा. उसके जमानत पर रिहा होने के बाद इस साल 15 फरवरी को ही उसका बेटा रामलाल राय गिरफ्तार हुआ था. बद्री के जेल जाने के बाद संगठन का काम देखने के लिए माओवादियों ने उसके बेटे रामलाल को जोनल कमांडर के रूप में जिम्मेदारी सौंपी थी. अपने बेटे को खुद बद्री ने ही संगठन से जोड़ा था.

विकास के अभाव में गलत रास्ते पर जाते हैं लोग : बद्री

विकास नहीं होता है, इसलिए लोग गलत रास्ते की ओर चलने लगते हैं. खुशहाल जिंदगी होगी, तो नक्सलवाद नहीं पनपेगा. आर्थिक अभाव, बेरोजगारी, गरीबी और शिक्षा की कमी इसकी असली वजह है. शिक्षक स्कूल में नहीं आयेंगे, पढ़ायी नहीं होगी, तो बच्चे ताड़ी चूआकर ही बेचेंगे. जवानी गयी, बूढ़े हो गये. हम खुद भी मेहनत कर रहे हैं. कृषि विभाग ने भी मदद किया है. अच्छी फसल हुई है. सार्वजनिक विकास के लिए कार्य होंगे, तो दशा बदलेगी. लिफ्ट इरीगेशन होगा, तो सालोभर और अच्छी फसल हमलोग ले पायेंगे.

दुमका में बद्री राय नक्सलियों का जनक माना जाता है. छह साल उसने जेल में गुजारा है. उसपर अपराध नियंत्रण अधिनियम के तहत भी कार्रवाई की गयी थी. उसके दो बेटे रामलाल व सहदेव भी नक्सली संगठन से जुड़े रहे हैं.

रामलाल पांच लाख का इनामी था, जिसे गिरफ्तार कर जेल भेज दिया गया है. अब बद्री खेती-बाड़ी कर जीवन यापन कर रहा है. यह अच्छी बात है. कोई व्यक्ति दुश्मन नहीं हो जाता. कानून तोड़ता है, तो उसपर कानूनी कार्रवाई होती है. प्रावधान के तहत सजा दी जाती है. अगर सुधार के लिए कोई आगे बढ़ता है, तो उसकी मदद जरूर करनी चाहिए’’
हेमंत टोप्पो, एसपी, दुमका
।। आनंद जायसवाल ।।


http://www.prabhatkhabar.com/node/293385


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