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न्यूज क्लिपिंग्स् | खेल की आड़ में अश्लीलता का कारोबार- विनय तिवारी/संतोष कुमार सिंह

खेल की आड़ में अश्लीलता का कारोबार- विनय तिवारी/संतोष कुमार सिंह

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published Published on Sep 1, 2010   modified Modified on Sep 1, 2010
नयी दिल्ली : कॉमनवेल्थ गेम्स को लेकर दिल्ली इन दिनों सेक्स मंडी बनता जा रहा है. अक्टूबर में आयोजित होनेवाले खेलों में भारी मात्रा में विदेशियों के आने की संभावना है. और उन लोगों को सेक्स परोसने की कवायद अभी से शुरू हो गयी है.

इस काम के लिए अभी से एडवांस बुकिंग भी हो रही है. बाकायदा रेट कार्ड तैयार कर लिया गया है. इसके लिए एक वेबसाइट  भी बनायी गयी है. 20 मई 2010 को मुंबई के एक दैनिक में खबर छपी थी की इस वेबसाइट पर राष्ट्रमंडल खेल के लोगो का अवैध रूप से इस्तेमाल किया जा रहा है. उसके बाद वेबसाइट से लोगो को हटा लिया गया.

इस एजेंसी को फोन करने पर एक व्यक्ति जो खुद को सैम बताता है. आमने-सामने के सौदे के लिए महिपालपुर बुलाता है. वहीं, एक दूसरी एजेंसी से बात करने पर पता चलता है कि राष्ट्रमंडल खेलों के लिए एडवांस बुकिंग जारी है, और अलग-अलग प्रोफाइल की लड़कियों के लिए अलग दर हैं.

कांग्रेस के वरिष्ठ नेता मणि शंकर अय्यर भी एक टीवी प्रोग्राम पर राष्ट्र मंडल खेलों के सेक्स पहलू पर कड़ी आपत्ति जता चुके हैं. मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक खेल गांव परिसर में 150 कंडोम वेंडिंग मशीन लगाये जाने हैं. इस पर अय्यर कहते हैं, रिपोर्ट के अनुसार लगभग 3,300 पैकेट कंडोम प्रतिदिन इन मशीनों से बेचे जायेंगे.

कॉमनवेल्थ की आड़ में ये कैसा खेल खेला जा रहा है? यह खेल पर्यटन है या सेक्स पर्यटन? अय्यर ने तो यहां तक कह दिया कि राष्ट्रमंडल खेलों से भारत में वेश्यावृत्ति को बढ़ावा मिलेगा.  वहीं आइएटीओ (इंडियन एसोसिएशन ऑफ टूर ऑपरेटर) के अध्यक्ष विजय ठाकुर ने भारतीय पर्यटन मंत्रालय को बताया है कि गेम्स के दौरान पर्यटक के रूप में विदेशी वेश्याएं भी हमारे देश में आ सकती हैं.

ये सेक्स वर्कर रूस और उसके पड़ोसी देशों से आ सकते हैं. भारत सरकार ने कॉमनवेल्थ खेलों के दौरान सेक्स वर्करों की मौजूदगी को देखते हुए कोड ऑफ़ ऐथक्स जारी किया है. इसके अलावा कई गैर सरकारी संगठन भी सेफ़ सेक्स के लिए जागरूकता अभियान चला रहे हैं.

लड़कियों की तस्करी में वृद्धि

इसके अलावा देश के गरीब राज्यों से लड़कियों को गेम्स में काम दिलाने के बहाने सुदूर गांवों से दिल्ली लाकर उन्हें बेचने का धंधा तेजी से बढ़ा है. नौकरी पाने के लालच में लड़कियां तस्करों की जाल में फ़ंस कर दिल्ली की कोठे पर पहुंच रही हैं. दिल्ली के तीन प्रमुख रेलवे स्टेशनों से पिछले दो महीनों में पुलिस ने 100 से ज्यादा लड़कियों को दलालों के चंगुल से छुड़ाया है. इनमें ज्यादातर गरीब नाबालिग लड़कियां हैं, जिन्हें गेम्स के दौरान काम दिलाने का झांसा देकर दलालों ने अपने जाल में फ़ंसाया.

दिल्ली पुलिस के आंकड़े  बताते हैं कि पिछले सात महीनों में नयी दिल्ली रेलवे स्टेशन से 35, पुरानी दिल्ली रेलवे स्टेशन से 23 और निजामुद्दीन रेलवे स्टेशन से एक दर्जन से ज्यादा लड़कियां मुक्त करायी जा चुकी हैं.  हाल में ही दिल्ली पुलिस ने दो लोगों को गिरफ्तार कर इनके चंगुल से14 लड़कियों को आजाद कराया था. पुलिस का मानना है कि इन लड़कियों को काम के बहाने दिल्ली लाया जाता हैं.

दरअसल दिल्ली में कॉमनवेल्थ के दस्तक ने मानव तस्करी का नया बहाना दे दिया है. कई संगठित गिरोहों ने खेलों के मौसम में एक नये खेल की शुरुआत कर दी है. इन गिरोहों के निशाने पर झारखंड, पश्चिम बंगाल, असम और छत्तीसगढ़ की गरीब लड़कियां हैं. इन गिरोहों के एजेंटों ने गेम्स में कई तरह के काम दिलाने की बात इन राज्यों मे फ़ैलायी और फिर गरीब मां-बाप की ममता बेचने की गहरी साजिश पर अमल शुरू कर दिया.

नाबालिग लड़कियों की तस्करी कोई नयी बात नहीं, मगर कॉमनवेल्थ गेम्स के नाम पर इस समय की जा रही तस्करी ने पुलिस और समाजसेवी संस्थाओं की नींद उड़ा दी है. एक एनजीओ शक्ति वाहिनी के मुताबिक झारखंड, ओड़िशा, पश्चिम बंगाल और छत्तीसगढ़  से लड़कियों को दिल्ली लाया जा रहा है.

शक्ति वाहिनी के र्षिकांत जो बच्चों की तस्करी पर सरकार की केंद्रीय सलाहकार समिति के सदस्य भी हैं, बताते हैं कि इन दिनों ग्रामीण क्षेत्र की लड़कियां आजीविका के लिए भारी संख्या में पलायन कर रही हैं, मगर यहां आने पर उन्हें देह व्यापार  में धकेला जा रहा है.

आयोजन समिति से भी ज्यादा तेज हैं इनकी तैयारियां

कॉमनवेल्थ गेम के लिए भले ही अभी तक पूरी तैयारी नहीं हो पायी हो, लेकिन सेक्स रैकेट चलानेवाले खिलाड़ियों ने अपनी पूरी तैयारी कर ली है.

सेक्स रैकेट में शामिल होने के लिए देश-विदेशों के वेश्यालयों से वेश्याओं के आने के ऑर्डर दिये जा चुके हैं. साथ ही उनका कांट्रेक्ट भी साइन हो चुका है. अब बस इंतजार है तो राष्ट्रमंडल खेल के शुरू हाने का. इधर, वह खेल शुरू हुआ, उधर, उनका धंधा भी परवान चढ़ने लगेगा. सेक्स रैकेट के दलालों ने दिल्ली पुलिस से लेकर हॉटलों तक की सेटिंग कर ली है.

17 दिनों का कांट्रेक्ट

दिल्ली से प्रकाशित एक अंगरेजी अखबार के मुताबिक, सेक्स रैकेट से जुड़े व्यक्ित ने बताया  उन्हें इस दौरान काफी कमाई की उम्मीद है. इसके लिए विदेशों में कार्य कर रही कई कॉल गर्ल से कांट्रेक्ट साइन किया गया है. यह कांट्रेक्ट 17 दिनों के लिए किया गया है.

दक्षिण दिल्ली बना मुख्य अड्डा

अखबार के अनुसार, यूं तो पूरे दिल्ली में सेक्स का बाजार सज गया है. लेकिन इस धंधे से जुड़े दलाल दक्षिण दिल्ली को अपना सबसे सेफ जोन मानते हैं. इसके पीछे उनका तर्क है कि यहां पुलिस का डर भी कम है, साथ ही यहां रेट भी उन्हें अन्य जगहों की तुलना में अधिक मिलता है. दक्षिणी दिल्ली  में होटल और गेस्ट हाउसों की भरमार के अलावा कई हजार फ़ार्म हाउस बने हए हैं.

सैनिक फ़ार्म, महरौली, छतरपुर, भाटी माइंस, एमजी  रोड, वसंत कुंज, रजोकरी, समालखा, नजफ़गढ़ और कापसहेड़ा में हजारों फ़ार्म हाउस हैं. जहां यह अपने आप को सबसे ज्यादा सुरक्षित मानते हैं. अखबार के मुताबिक, इस धंधे में पहले ये लोग लड़की को क्लाइंट के पास होटल में भेजते थे, लेकिन इस बार लड़की को होटलों में रूम बुक करके दिया जायेगा. एक होटल व्यवसायी का कहना है कि गेम के दौरान पर्यटकों की बुकिंग कम, धंधा करनेवालों की बुकिंग ज्यादा होने की संभावना है.

आदिवासियों का फूटने लगा गुस्सा

रांची : मुरहू में 27 अगस्त की सुबह तीन बजे ग्रामीणों ने एमन पुर्ती और बेंजामिन मुंडरी को सजा-ए-मौत दे दी. पहले ग्रामीणों ने घेर कर पकड़ा, हाथ बांधा और गला रेत दिया. इन पर भोली-भाली और मासूम आदिवासी लड़कियों की तस्करी का आरोप था.

ग्रामीणों ने बताया कि दोनों दिल्ली से रांची आने के बाद बाइक से अपने गांव आये थे. मुरहू समेत कई गांवों के ग्रामीणों ने सभा कर ओदवासी युवतियों को बहला फुसला कर दिल्ली ले जाने वाले तस्करों को चेताया कि अपना धंधा बंद कर दो, वरना सबका अंजाम एमन-बेंजामिन जैसा होगा.

झारखंड-बिहार से लायी जा रही हैं नाबालिग लड़कियां

नयी दिल्ली : राजधानी दिल्ली में इन दिनों सरकार से लेकर कॉरपोरेट तक सभी किसी न किसी रूप में राष्ट्रमंडल खेल की तैयारियों में लगे हुए हैं. लेकिन समाज का एक वर्ग ऐसा भी है, जो विदेशी व देसी मेहमानों का दिल बहलाने के लिए ह्यूमन ट्रैफ़िकिंग को बढ़ावा देने का काम कर रहे हैं.

इन दलालों का शिकार बन रही हैं बिहार, झारखंड, ओड़िशा, पश्चिम बंगाल, जैसे राज्यों की नाबालिग और गरीब लड़कियां. अगर आंक ड़ों पर गौर करें, तो इसी माह करीब 45 लड़कियां और बच्चे नयी दिल्ली रेलवे स्टेशन व रेड लाइट एरिया से छुड़ाये गये हैं.

ह्यूमन ट्रैफ़िकिंग के क्षेत्र में काम करनेवाले एनजीओ शक्तिवाहिनी से जुड़े लोगों का कहना है कि इन राज्यों में बेरोजगारी की समस्या का फ़ायदा उठाते हुए बिचौलिये इन्हें कॉमनवेल्थ गेम्स के दौरान काम दिलाने का झांसा देकर दिल्ली ला रहे हैं.         

शक्तिवाहिनी के प्रेसिडेंट रविकांत ने प्रभात खबर  से बातचीत में कहा कि लड़कियों की संख्या का सही-सही आंकड़ा तो नहीं बताया जा सकता, लेकिन पहले की तुलना में इनकी संख्या में खेलों के आयोजन के मद्देनजर काफ़ी बढ़ोतरी हुई है.

उनका कहना है कि बिचौलियों के जरिये ये लड़कियां पहले भी दिल्ली लायी जाती रही हैं. बिचौलिये काम दिलाने का लालच देकर बच्चों और नाबालिग लड़कियों को दिल्ली लाते हैं. यहां लाकर रेड लाइट एरिया या अलग-अलग प्लेसमेंट एजेंसियों को बेच दिया जाता है. दिल्ली में लगातार हो रही इन बरामदगियों को देखते हुए कई एनजीओ इन दिनों रेलवे स्टेशन पर सक्रिय हैं.

एनजीओ कार्यकर्ताओं का मानना है कि ज्यादातर लड़कियां या बच्चे रात को दिल्ली पहुंचनेवाली ट्रेनों से यहां लाये जाते हैं, ताकि वे आसानी से अपनी नियत जगहों पर पहुंचाये जा सके. पतिता उद्धार संघ के बैनर तले जीबी रोड के आसपास के इलाकों में वर्षो से काम कर रहे खैराती लाल भोला का कहना है कि कॉमनवेल्थ गेम्स में भले ही इनकी संख्या में बढ़ोतरी हुई हो, लेकिन पहले भी और खेल के बाद भी ह्यूमन ट्रैफ़िकिंग जारी रहेगा.

कहने को तो हम विदेशी मेहमानों के स्वागत की तैयारी कर रहे हैं, लेकिन इसी बहाने हम अपने देश के गरीब इलाकों से दलालों के जरिये दिल्ली पहुंचाये जानेवाले लोगों को बीमारियां बांटने की तैयारी कर रहे हैं. जब दिल्ली में ऐशयन गेम्स का आयोजन हुआ था तब इन्हीं विदेशी मेहमानों द्वारा देश में एड्स की बीमारी लायी गयी. इससे सरकार ने कोई सबक नहीं लिया.

 

कॉमनवेल्थ-2014 की चिंता अभी से

लंदन : ब्रिटेन के ग्लासगो शहर में 2014 का कॉमनवेल्थ गेम होना है. इसके लिए वहां अभी से चिंता होने लगी है. बीबीसी की एक रिपोर्ट के अनुसार, 2014 में ग्लासगो में होनेवाले कॉमनवेल्थ गेम्स के मद्देनजर ह्यूमन ट्रैफ़िकिंग वहां एक बड़ा मुद्दा बन कर उभरा है. इसकी आवाज संसद तक भी उठ चुकी है. वहां फ़िलहाल ब्राजील, चीन व नाइजीरिया जैसे देशों से लड़कियां लाकर उन्हें बड़े पैमाने पर देह व्यापार की दुनिया में धकेल दिया जाता है.

राष्ट्रमंडल खेलों से भारत में वेश्यावृत्ति को बढ़ावा मिलेगा, कॉमनवेल्थ की आड़ में ये कैसा खेल खेला जा रहा है? यह खेल पर्यटन है या सेक्स पर्यटन.
मणि शंकर अय्यरनेता, कांग्रेस

गेम्स के दौरान पर्यटक के रूप में विदेशी वेश्याएं भी हमारे देश में आ सकती हैं.
विजय ठाकुर अध्यक्ष, आइएटीओ

http://www.prabhatkhabar.com/news/46669.aspx


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