Deprecated (16384): The ArrayAccess methods will be removed in 4.0.0.Use getParam(), getData() and getQuery() instead. - /home/brlfuser/public_html/src/Controller/ArtileDetailController.php, line: 150
 You can disable deprecation warnings by setting `Error.errorLevel` to `E_ALL & ~E_USER_DEPRECATED` in your config/app.php. [CORE/src/Core/functions.php, line 311]
Deprecated (16384): The ArrayAccess methods will be removed in 4.0.0.Use getParam(), getData() and getQuery() instead. - /home/brlfuser/public_html/src/Controller/ArtileDetailController.php, line: 151
 You can disable deprecation warnings by setting `Error.errorLevel` to `E_ALL & ~E_USER_DEPRECATED` in your config/app.php. [CORE/src/Core/functions.php, line 311]
Warning (512): Unable to emit headers. Headers sent in file=/home/brlfuser/public_html/vendor/cakephp/cakephp/src/Error/Debugger.php line=853 [CORE/src/Http/ResponseEmitter.php, line 48]
Warning (2): Cannot modify header information - headers already sent by (output started at /home/brlfuser/public_html/vendor/cakephp/cakephp/src/Error/Debugger.php:853) [CORE/src/Http/ResponseEmitter.php, line 148]
Warning (2): Cannot modify header information - headers already sent by (output started at /home/brlfuser/public_html/vendor/cakephp/cakephp/src/Error/Debugger.php:853) [CORE/src/Http/ResponseEmitter.php, line 181]
न्यूज क्लिपिंग्स् | खो न जाएं ये तारे जमीं पर

खो न जाएं ये तारे जमीं पर

Share this article Share this article
published Published on Jul 1, 2011   modified Modified on Jul 1, 2011

मुजफ्फरपुर [राजेश श्रीवास्तव]। सकरा प्रखंड की बरियारपुर पंचायत के बरियारपुर गाव में कुंद होने के कगार पर हैं दो विलक्षण प्रतिभाएं। जी हा, विलक्षण प्रतिभाएं। ठीक गणितज्ञ वशिष्ठ नारायण सिंह और तथागत अवतार तुलसी जैसी प्रतिभाएं। दोनों भाई-बहन हैं। नाम हैं भास्कर और दिव्याणी, उम्र क्रमश: दस और ग्यारह वर्ष। इसे कुदरत का करिश्मा कहिए या कुछ और, दोनों गणित के बड़े और कठिन सवालों को खेल की तरह हल करते हैं।

जानकर हैरानी होगी कि इतनी कम उम्र के ये बच्चे एमएससी और आईआईटी तक के भौतिकी विज्ञान व गणित से संबंध कैलकुलश के कठिन से कठिन सवालों को पलक झपकते हल कर देते हैं। आरएस अग्रवाल की 11वीं की गणित की पुस्तक हो या एनसीईआरटी की, टू-गेदर बिद हो या केसी सिन्हा की बारहवीं की गणित की पुस्तक, टाटा माईग्रो हिल मैथमेटिक्स फार आईआईटी व जेई हो या जीएन बर्मन मैथ व आइ ए मैरून मैथ की किताब ं हो, कोई ऐसा सवाल नहीं है, जिसे वे हल नहीं कर पाते हों। कोटा आईआईटी के सिलेबस भी वे साल्व कर चुके हैं।

दुर्दशा देखिए, ये बच्चे किसी स्कूल के छात्र नहीं हैं। उनके माता-पिता ने अपनी हैसियत के मुताबिक 2005 में गाव के ही झोपड़पट्टी में चल रहे एक निजी विद्यालय विद्या निकंज में उनका दाखिला कराया था।

विद्यालय प्रबंधन ने दिव्याणी को तीसरी और भास्कर को दूसरी कक्षा में शामिल किया। वहा वे छह महीने ही जा पाए। कारण, जो पढ़ाया जा रहा था, उनके पास उससे बहुत आगे का ज्ञान था। उन्होंने खुद ही स्कूल जाना छोड़ दिया। सुदूर गाव के खपरैल मकान और झोपड़ी में ही इनकी पूरी दुनिया है। भाई-बहन करीब 18 घटे गणित और भौतिकी की किताबों से खेलते हैं। पिता अरविंद कुमार पाठक किसान हैं और माता सरिता आगनवाड़ी सेविका। इनकी कुल चार संतानें हैं। सबसे बड़ी बहन कल्याणी और सबसे छोटी जागृति है। कल्याणी भी स्कूल नहीं जाती, लेकिन मैट्रिक की तैयारी कर रही है। गरीबी के कारण उसका स्कूल में दाखिला नहीं हो पाया। छोटी बहन जागृति गाव के एक स्कूल में पढ़ती है।

भास्कर और दिव्याणी के चाचा उदय पाठक पढ़े-लिखे बेरोजगार हैं, पर उन्होंने दोनों प्रतिभावान बच्चों के लिए किताबों की व्यवस्था कराई है। कैलकुलश के सवाल हल करने के अलावा उन्हें और किसी भी काम में रुचि ही नहीं है। बताते हैं कि बच्चे दो साल पहले तक बैडमिंटन खेला करते थे, पर अब उधर भी ध्यान नहीं देते। पढ़ाई और गणित के सवालों को हल करने में रमे रहते हैं।

16 अप्रैल 2008 को तथागत अवतार तुलसी भी भास्कर और दिव्याणी से मिल चुके हैं। मुजफ्फरपुर के तत्कालीन जिलाधिकारी विपिन कुमार, तत्कालीन डीआईजी अरविंद पाडेय, तत्कालीन एसडीओ-पूर्वी कुमार रवि मिलकर इन बच्चों का टेस्ट ले चुके हैं। कुमार रवि ने तो इन बच्चों को जबानी सवाल बताया था और उन्होंने पलक झपकते उसक हल बता दिया था। तथागत को बच्चों से मिलवाने में डीआईजी पाडेय ने पहल की थी। तथागत के सवालों का भी उन्होंने सफलतापूर्वक जवाब दिया था। डीएम विपिन कुमार ने बच्चों के भविष्य के लिए राज्य सरकार से लेकर आईआईटी संस्थानों व नासा तक को पत्र लिखने का आश्वासन दिया था। पर, बच्चे आज भी गाव की झोपड़ी में ही पड़े हैं। इन्हें आगे कैसे अवसर उपलब्ध कराया जाए और यह कराएगा कौन, यह बड़ा सवाल बना है।


http://in.jagran.yahoo.com/news/national/general/5_1_6196673.html


Related Articles

 

Write Comments

Your email address will not be published. Required fields are marked *

*

Video Archives

Archives

share on Facebook
Twitter
RSS
Feedback
Read Later

Contact Form

Please enter security code
      Close