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न्यूज क्लिपिंग्स् | गुजरात के दुर्लभ जंगली गधों के संरक्षण के लिये आगे आए कच्छ में नमक बनाने वाले अगरिया

गुजरात के दुर्लभ जंगली गधों के संरक्षण के लिये आगे आए कच्छ में नमक बनाने वाले अगरिया

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published Published on Jan 30, 2024   modified Modified on Jan 30, 2024

मोंगाबे हिंदी, 30 जनवरी

नमक के मैदानों में डेरा डालने के लिए तेजल मकवाना अपना सामान पैक कर रही हैं। दशहरा के त्यौहार के बाद वह और उनके पति दानाभाई मकवाना किराए पर एक ट्रैक्टर लेंगे और इसमें प्लास्टिक की पानी वाली टंकियों में 20 दिन का पानी, सोलर पैनल, एक पंप, एक डीजल जनरेटर, नमक बनाने के औजार, खाने-पीने की चीजें और किचन के जरूरी सामान लादकर ले जाएंगे। इतने सामान के बलबूते ये लोग गुजरात के सुरेंद्रनगर जिले के अपने जूनागाम गांव से 10 किलोमीटर दूर लिटिल रण ऑफ कच्छ में अगले सात महीने बिताएंगे।

वहां पहुंचने के बाद सबसे पहला काम बांस के खंभों और जूट के बोरों की मदद से एक छपरा यानी झोपड़ी बनाने का होगा। पेड़ रहित इस जमीन पर गर्मियों तक के लिए यही इनका घर होगा। इस छपरे की जमीन को भारतीय जंगली गधों के गोबर से लीपा जाएगा जो कि इस क्षेत्र में खूब पाए जाते हैं। इसके बाद नमक बनाने की प्रक्रिया शुरू होगी। सबसे पहले कुंई या अस्थायी कुएं खोदे जाएंगे और इसी मरुस्थल में दो-दो फीट के गड्ढे बनाकर बड़े बर्तन जैसी आकृति बना दी जाएगी। जब इनकी सतह को कई प्रक्रियाओं के बाद मजबूत बना लिया जाएगा तब इस कुएं से नमकीन पानी निकाला जाएगा और इनमें भरकर फैला दिया जाएगा। सर्दियां बीतते-बीतते यह नमकीन पानी नमक में बदल जाएगा।

इस साल तेजल मकवाना को अपने साथ वह आइडेंटिटी कार्ड भी ले जाना होगा जो गुजरात के वन विभाग की ओर से उन्हें दिया गया है। यही कार्ड इस बात की पहचान है कि वह नमक बनाने वाले अगरिया समुदाय से आती हैं जिसे कि कई सालों के प्रतिबंधों के बाद हाल ही में कच्छ के रण में जाने की अनुमति दी गई है, ताकि ये लोग नमक बनाने के अपने पारंपरिक काम को कर सकें। 

पूरी रपट- मोंगाबे हिंदी


मोंगाबे हिंदी, 30 जनवरी https://hindi.mongabay.com/2024/01/25/traditional-salt-workers-contribute-to-wild-ass-conservation-and-regain-access-to-little-rann-of-kutch/
 

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