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न्यूज क्लिपिंग्स् | गरीब लड़कियों पर कैंसर रोधी टीके का टेस्ट रुका

गरीब लड़कियों पर कैंसर रोधी टीके का टेस्ट रुका

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published Published on Apr 18, 2010   modified Modified on Apr 18, 2010

नई दिल्ली [जागरण ब्यूरो]। चौतरफा विरोध के बाद आखिरकार सरकार को गरीब लड़कियों पर कैंसर के विवादित टीकों का परीक्षण रोकना पड़ा है। इस परीक्षण का लगातार बचाव करता रहा स्वास्थ्य मंत्रालय अब मान रहा है कि इस अध्ययन के दौरान गरीब लड़कियों और उनके परिवार वालों को धोखे में रखा गया। लंबे समय से इस अध्ययन का बचाव कर रहा भारतीय चिकित्सा अनुसंधान परिषद [आईसीएमआर] भी अब विवाद के घेरे में आ गया है।

शुक्रवार को संसद में एक सवाल के जवाब में स्वास्थ्य राज्य मंत्री एस. गांधीसेल्वन ने माना कि राज्यों को सलाह दी गई है कि वे फिलहाल इन टीकों का इस्तेमाल रोक दें। स्वास्थ्य मंत्रालय ने माना है कि इस अध्ययन के दौरान आंध्र प्रदेश में चार और गुजरात में दो लड़कियों की मौत हुई हैं। इन्हीं की वजह से फिलहाल परीक्षण रोकने का फैसला किया गया है।

ये टीके बनाने वाली कंपनियां आईसीएमआर की साझेदारी में 25 हजार गरीब लड़कियों पर यह अध्ययन कर रही हैं। इस अध्ययन को लेकर कई तरह के आरोप लगने और फिर इस दौरान कई मौतें होने के बाद स्वास्थ्य मंत्रालय ने आईसीएमआर को ही पूरे मामले की जांच करने के लिए भी कहा था। इसी महीने की पहली तारीख को सौंपी अपनी रिपोर्ट में आईसीएमआर ने अध्ययन की पूरी प्रक्रिया को यह कहते हुए हरी झंडी दे दी थी कि इस दौरान जो मौतें हुई हैं उनकी वजह टीके के कुप्रभाव नहीं थे।

आईसीएमआर की ओर से इस परीक्षण का बचाव किए जाने के बाद माकपा सांसद बृंदा करात ने पूरे मामले को ले कर आंदोलन की धमकी दी। तब आईसीएमआर ने एकाएक पलटी मारते हुए परीक्षण रोक देने का आदेश जारी कर दिया है।

स्वास्थ्य मंत्रालय के वरिष्ठ अधिकारी बताते हैं कि आईसीएमआर ने अपनी जांच में सिर्फ परीक्षण के दौरान हुई मौतों की जांच की थी। इसने रिपोर्ट में नैतिक और व्यावहारिक पहलुओं की जांच नहीं की। आरोप लग रहे हैं कि गरीब लड़कियों के परिवार वालों को सिर्फ यह बताया गया कि उन्हें मुफ्त में यह टीका लगाया जा रहा है और इसका कोई खतरा नहीं है।

ये टीके कुप्रभावों के साथ ही कई और कारणों से भी विवाद में रहे हैं। अक्तूबर 2008 में दो बहुराष्ट्रीय कंपनियों को बिना क्लीनिकल परीक्षण के ही ये टीके बेचने की इजाजत दे दी गई थी। इसी तरह विज्ञापन की इजाजत नहीं होने के बावजूद इनमें से एक कंपनी ने इस साल की शुरुआत में भ्रामक विज्ञापन जारी कर दिए थे। बाद में इन विज्ञापन पर रोक लगाई थी।


http://in.jagran.yahoo.com/news/national/general/5_1_6341780.html
 

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