Deprecated (16384): The ArrayAccess methods will be removed in 4.0.0.Use getParam(), getData() and getQuery() instead. - /home/brlfuser/public_html/src/Controller/ArtileDetailController.php, line: 150
 You can disable deprecation warnings by setting `Error.errorLevel` to `E_ALL & ~E_USER_DEPRECATED` in your config/app.php. [CORE/src/Core/functions.php, line 311]
Deprecated (16384): The ArrayAccess methods will be removed in 4.0.0.Use getParam(), getData() and getQuery() instead. - /home/brlfuser/public_html/src/Controller/ArtileDetailController.php, line: 151
 You can disable deprecation warnings by setting `Error.errorLevel` to `E_ALL & ~E_USER_DEPRECATED` in your config/app.php. [CORE/src/Core/functions.php, line 311]
Warning (512): Unable to emit headers. Headers sent in file=/home/brlfuser/public_html/vendor/cakephp/cakephp/src/Error/Debugger.php line=853 [CORE/src/Http/ResponseEmitter.php, line 48]
Warning (2): Cannot modify header information - headers already sent by (output started at /home/brlfuser/public_html/vendor/cakephp/cakephp/src/Error/Debugger.php:853) [CORE/src/Http/ResponseEmitter.php, line 148]
Warning (2): Cannot modify header information - headers already sent by (output started at /home/brlfuser/public_html/vendor/cakephp/cakephp/src/Error/Debugger.php:853) [CORE/src/Http/ResponseEmitter.php, line 181]
न्यूज क्लिपिंग्स् | गर्भवती महिलाओं का बढ़ता शोषण- रोहित कौशिक

गर्भवती महिलाओं का बढ़ता शोषण- रोहित कौशिक

Share this article Share this article
published Published on May 25, 2016   modified Modified on May 25, 2016
हाल ही में जारी राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन की एक रिपोर्ट में बताया गया है कि हमारे देश के अस्पतालों में सर्जरी के मामलों में वृद्धि हुई है। रिपोर्ट में 2009-10 से लेकर 2014-15 तक के तुलनात्मक आंकड़े पेश किए गए हैं। महाराष्ट्र के अस्पतालों में सर्जरी के मामले लगभग एक हजार फीसदी बढ़ गए हैं, जबकि छत्तीसगढ़ में ऐसे मामलों में 509 फीसदी की वृद्धि हुई है। रिपोर्ट के अनुसार, स्वास्थ्य बीमा योजना और जननी-शिशु सुरक्षा कार्यक्रम जैसी योजनाओं में बिना आवश्यकता के मरीजों की सर्जरी कर दी जाती है, क्योंकि ऐसी योजनाओं में या तो प्रोत्साहन राशि मिलती है या फिर बीमा कंपनी को लाभ होता है। इनमें सिजेरियन, हार्निया, गॉलब्लेडर, अपेंडिक्स आदि से संबंधित मामले अधिक हैं। यह दुखद है कि ऐसे मामलों में सबसे ज्यादा शोषण गर्भवती महिलाओं का हो रहा है।
जननी सुरक्षा योजना के तहत गरीब परिवारों की गर्भवती महिलाओं को मुफ्त नियमित जांच, दवाइयां उपलब्ध कराने और प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों में प्रसव की सुविधा मुहैया कराने का प्रावधान है, लेकिन विभिन्न विसंगतियों के चलते यह योजना अपने उद्देश्य में सफल नहीं हो पा रही है। एक तरफ सरकारी अस्पतालों में महिलाओं के प्रसव में लापरवाही बरती जा रही है, तो दूसरी तरफ निजी अस्पतालों में गर्भवती महिलाओं का शोषण हो रहा है। कुछ समय पूर्व विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) द्वारा जारी एक रिपोर्ट में बताया गया था कि भारत में जानबूझकर गर्भवती महिलाओं के प्रसव को कमाई का जरिया बनाया जा रहा है। हालांकि देश में अनेक डॉक्टर लगातार पेशेगत ईमानदारी का परिचय दे रहे हैं, लेकिन जब केवल पैसा कमाने के लिए यह सब किया जाए, तो डॉक्टरों पर उंगली उठाना स्वाभाविक है।

हमारे समाज में बहुत पहले से ही गर्भवती महिलाओं के प्रसव का कार्य दाइयां करती रही हैं। तब शहरों तक में डॉक्टरों की कमी थी। इसलिए एक आम महिला प्रसव के लिए डॉक्टर तक पहुंचने के बारे में सोच भी नहीं सकती थी। उस समय भी प्रसव के दौरान महिलाओं की मौत होती थी। इन मौतों के लिए दाइयों का अज्ञान और कुछ वातावरणीय कारक जिम्मेदार थे, पर दाइयों के अंदर उनके शोषण का भाव कतई नहीं था। दाइयों को बड़ी ही श्रद्धा के साथ प्रसव कराने के लिए पारिश्रमिक, कपड़े तथा अन्य चीजें दी जाती थीं।

दूसरी ओर डब्ल्यूएचओ के अनुसार, वर्तमान में हर पांच में से एक प्रसव ऑपरेशन के जरिये किया जा रहा है। रिपोर्ट के मुताबिक भारत, चीन, श्रीलंका, जापान और नेपाल समेत नौ एशियाई देशों में ऑपरेशन से होने वाले प्रसव में 27 फीसदी की वृद्धि हुई है। रिपोर्ट के अनुसार ऑपरेशन से प्रसव कराने के 15 फीसदी के मान्य स्तर सेे ऊपर के मामले आपात जरूरत के लिए नहीं, बल्कि आर्थिक लाभ के लिए किए जाते हैं। डब्ल्यूएचओ का कहना कि जब किसी गर्भवती महिला का प्रसव बिना वजह ऑपरेशन से कराया जाता है, तो उसके आईसीयू में भर्ती होने की संभावना 67 फीसदी बढ़ जाती है। डब्ल्यूएचओ के अनुसार ऑपरेशन से प्रसव सिर्फ आपात स्थितियों में ही कराया जाना चाहिए। लेकिन हमारे देश में पैसा कमाने के लिए डॉक्टर डब्ल्यूएचओ की सिफारिशें भी दरकिनार कर देते हैं, इस प्रवृत्ति को रोकने के लिए कारगर पहल की जरूरत है।


http://www.amarujala.com/columns/increased-exploitation-of-pregnant-women


Related Articles

 

Write Comments

Your email address will not be published. Required fields are marked *

*

Video Archives

Archives

share on Facebook
Twitter
RSS
Feedback
Read Later

Contact Form

Please enter security code
      Close