Deprecated (16384): The ArrayAccess methods will be removed in 4.0.0.Use getParam(), getData() and getQuery() instead. - /home/brlfuser/public_html/src/Controller/ArtileDetailController.php, line: 150
 You can disable deprecation warnings by setting `Error.errorLevel` to `E_ALL & ~E_USER_DEPRECATED` in your config/app.php. [CORE/src/Core/functions.php, line 311]
Deprecated (16384): The ArrayAccess methods will be removed in 4.0.0.Use getParam(), getData() and getQuery() instead. - /home/brlfuser/public_html/src/Controller/ArtileDetailController.php, line: 151
 You can disable deprecation warnings by setting `Error.errorLevel` to `E_ALL & ~E_USER_DEPRECATED` in your config/app.php. [CORE/src/Core/functions.php, line 311]
Warning (512): Unable to emit headers. Headers sent in file=/home/brlfuser/public_html/vendor/cakephp/cakephp/src/Error/Debugger.php line=853 [CORE/src/Http/ResponseEmitter.php, line 48]
Warning (2): Cannot modify header information - headers already sent by (output started at /home/brlfuser/public_html/vendor/cakephp/cakephp/src/Error/Debugger.php:853) [CORE/src/Http/ResponseEmitter.php, line 148]
Warning (2): Cannot modify header information - headers already sent by (output started at /home/brlfuser/public_html/vendor/cakephp/cakephp/src/Error/Debugger.php:853) [CORE/src/Http/ResponseEmitter.php, line 181]
न्यूज क्लिपिंग्स् | गांधी के पास देने को बहुत कुछ- आशुतोष चतुर्वेदी

गांधी के पास देने को बहुत कुछ- आशुतोष चतुर्वेदी

Share this article Share this article
published Published on Oct 3, 2017   modified Modified on Oct 3, 2017
अनेक विद्वानों का मानना है कि महात्मा गांधी को समझना आसान भी है और मुश्किल भी. दरअसल, गांधी की बातें सरल और सहज लगती हैं, लेकिन उनका अनुसरण करना बेहद कठिन होता है. हम सभी जानते हैं कि महात्मा गांधी भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन के एक प्रमुख नेता थे.

वह एक सफल लेखक भी थे. आप उनकी सक्रियता का अंदाजा इस बात से लगा सकते हैं कि 2 अक्तूबर, 1869 में उनका जन्म हुआ और 30 जनवरी, 1948 को उनकी दुखद हत्या हो गयी. इस दौरान उन्होंने जो लिखा और विचार व्यक्त किये, उसे भारत सरकार ने 100 खंडों में प्रकाशित किया है. इसके अलावा ऐसी व्यापक सामग्री और भी है, जो इनमें समाहित नहीं की जा सकी है. सार्वजनिक जीवन की व्यस्तताओं के बीच उन्होंने कई दशकों तक अनेक पत्रों का संपादन किया, जिसमें 'हरिजन', 'इंडियन ओपिनियन' और 'यंग इंडिया' शामिल है. उन्होंने 'नवजीवन' नामक पत्रिका निकाली.

अपनी भारी व्यस्तताओं के बावजूद वह हर रोज अनेक लोगों को पत्र लिखते थे और हर पत्र में कोई विचार होता था. समाचार पत्रों के लिए वह नियमित लेखन भी करते थे. गांधी ने अपनी आत्मकथा भी लिखी- सत्य के साथ मेरे प्रयोग. इसके अलावा सत्याग्रह और हिंद स्वराज जैसी पुस्तकें लिखीं. उन्होंने शाकाहार, भोजन और स्वास्थ्य, धर्म, सामाजिक सुधार, कहने का आशय यह कि जीवन के हर प्रश्न पर उन्होंने विस्तार से लिखा. गांधी अधिकतर गुजराती में लिखते थे, लेकिन अपनी किताबों का हिंदी और अंग्रेजी अनुवाद भी खुद कर दिया करते थे.

सन् 1909 में गांधी जी ने एक चर्चित पुस्तक 'हिंद स्वराज्य' लिखी थी. उन्होंने यह पुस्तक इंग्लैंड से अफ्रीका लौटते हुए जहाज पर लिखी थी. जब उनका सीधा हाथ थक जाता था, तो बायें हाथ से लिखने लगते थे.

यह पुस्तक संवाद शैली में लिखी गयी है. गांधी इसमें लिखते हैं कि हिंदुस्तान अगर प्रेम के सिद्धांत को अपने धर्म के एक सक्रिय अंश के रूप में स्वीकार करे और उसे अपनी राजनीति में शामिल करे, तो स्वराज स्वर्ग से हिंदुस्तान की धरती पर उतर आयेगा. महात्मा गांधी का मानना था कि नैतिकता, प्रेम, अहिंसा और सत्य को छोड़कर भौतिक समृद्धि और व्यक्तिगत सुख को महत्व देनेवाली आधुनिक सभ्यता विनाशकारी है. यही कारण है कि वह किसी सभ्यता के साथ थोपे जा रहे प्रभुत्व, हिंसा और सांस्कृतिक दासता का हमेशा विरोध करते थे.

ऐसे भी लोग हैं, जो गांधी को आज के दौर में आप्रसंगिक मान बैठे हैं. वे तर्क देते हैं कि गांधी एक विशेष कालखंड की उपज थे. लेकिन जीवन का कोई ऐसा विषय नहीं है, सामाजिक व्यवस्था का कोई ऐसा प्रश्न नहीं है, जिस पर महात्मा गांधी ने प्रयोग न किये हों और हल निकालने का प्रयास न किया हो.

महात्मा गांधी के पास अहिंसा, सत्याग्रह और स्वराज नाम के तीन हथियार थे. सत्याग्रह और अहिंसा के उनके सिद्धांतों ने न केवल भारत, बल्कि पूरी दुनिया के लोगों को अपने अधिकारों और अपनी मुक्ति के लिए संघर्ष करने की प्रेरणा दी. यही वजह है कि इतिहास का सबसे बड़ा आंदोलन अहिंसा के आधार पर लड़ा गया. सबसे बड़ी बात यह है कि गांधी अपने सिद्धांतों से कभी समझौता नहीं करते थे. एक बार वह तय कर लेते थे, तो वह उससे पीछे नहीं हटते थे. विपरीत परिस्थितियां भी गांधी को उनके सिद्धांतों से नहीं डिगा पायीं. गीता ने गांधीजी को सबसे अधिक प्रभावित किया था.

यह उनकी प्रिय आध्यात्मिक पुस्तक थी. गीता के दो शब्दों को गांधीजी ने आत्मसात कर लिया था. इसमें एक था- अपरिग्रह जिसका अर्थ है, मनुष्य को अपने आध्यात्मिक जीवन को बाधित करनेवाली भौतिक वस्तुओं का त्याग कर देना चाहिए. दूसरा शब्द है समभाव. इसका अर्थ है दुख-सुख, जीत-हार, सब में एक समान भाव रखना, उससे प्रभावित नहीं होना.

सफाई के प्रति गांधी जी को विशेष प्रेम था और वह बहुत जल्दी जान गये थे कि हम भारतीयों का सफाई के प्रति नकारात्मक रवैया है. भारतीय सफाई के लिए कोई प्रयास नहीं करते हैं और जो लोग सफाई के काम में जुटे होते हैं, उन्हें हम हेय दृष्टि से देखते हैं. महात्मा गांधी की एक बड़ी खासियत यह थी कि वह लोगों से किसी काम का अनुरोध बाद में करते थे, पहले उस पर खुद अमल करते थे. गांधी अपने मैले की सफाई खुद करते थे और अपने साथियों को भी इसके लिए प्रेरित करते थे. 11 फरवरी, 1938 को हरिपुरा अधिवेशन में सफाई कार्यकर्ताओं को संबोधित करते हुए गांधीजी ने कहा था- मुझे यह देखकर बड़ी खुशी हुई है कि आप लोगों ने यह काम अपने हाथ में ले लिया है.

यह काम प्रेम से और बुद्धिमत्तापूर्वक किया जाना चाहिए. प्रेम से इसलिए कि जो लोग गंदगी फैलाते हैं उन्हें यह नहीं मालूम कि वे क्या बुराई कर रहे हैं और बुद्धिमत्तापूर्वक इसलिए कि हमें उनकी आदत छुड़ानी है और उनका स्वास्थ्य सुधारना है.

गांधीजी ने धार्मिक स्थलों में फैली गंदगी की ओर भी ध्यान दिलाया था. अगर आप गौर करें तो पायेंगे कि आज भी अनेक धार्मिक स्थलों में गंदगी का अंबार लगा रहता है और उनकी सफाई की तत्काल आवश्यकता है. यंग इंडिया के फरवरी, 1927 के अंक में उन्होंने बिहार के पवित्र शहर गया की गंदगी के बारे में भी लिखा था. उनका कहना था कि उनकी हिंदू आत्मा गया के गंदे नालों में फैली गंदगी और बदबू के खिलाफ विद्रोह करती है.

गांधी वांङ्मय के अनुसार 1917 के गुजरात राजनीतिक सम्मेलन में गांधी ने कहा था- मैं पवित्र तीर्थ स्थान डाकोर गया था. वहां की पवित्रता की कोई सीमा नहीं है. मैं स्वयं को वैष्णव भक्त मानता हूं, इसलिए मैं डाकोर जी की स्थिति की विशेष रूप से आलोचना कर सकता हूं. उस स्थान पर गंदगी की ऐसी स्थिति है कि स्वच्छ वातावरण में रहनेवाला कोई व्यक्ति वहां 24 घंटे भी नहीं ठहर सकता.

महात्मा गांधी के जन्म दिवस के अवसर पर जाने-माने वैज्ञानिक आइंस्टीन ने कहा था- आनेवाली नस्लें शायद मुश्किल से ही विश्वास करेंगी कि हाड़-मांस से बना हुआ कोई ऐसा व्यक्ति भी धरती पर चलता फिरता था. यह वाक्य गांधी को जानने-समझने के लिए काफी है. गांधी जयंती का अवसर है. जो बातें और रास्ता समाज के विकास के लिए महात्मा गांधी दिखा गये हैं, उनमें से जो हमें अनुकूल लगे, उसका अनुसरण करें. गांधी को हम सब की यही सच्ची श्रदांजलि होगी.

http://www.prabhatkhabar.com/news/columns/story/1062428.html


Related Articles

 

Write Comments

Your email address will not be published. Required fields are marked *

*

Video Archives

Archives

share on Facebook
Twitter
RSS
Feedback
Read Later

Contact Form

Please enter security code
      Close