Deprecated (16384): The ArrayAccess methods will be removed in 4.0.0.Use getParam(), getData() and getQuery() instead. - /home/brlfuser/public_html/src/Controller/ArtileDetailController.php, line: 150
 You can disable deprecation warnings by setting `Error.errorLevel` to `E_ALL & ~E_USER_DEPRECATED` in your config/app.php. [CORE/src/Core/functions.php, line 311]
Deprecated (16384): The ArrayAccess methods will be removed in 4.0.0.Use getParam(), getData() and getQuery() instead. - /home/brlfuser/public_html/src/Controller/ArtileDetailController.php, line: 151
 You can disable deprecation warnings by setting `Error.errorLevel` to `E_ALL & ~E_USER_DEPRECATED` in your config/app.php. [CORE/src/Core/functions.php, line 311]
Warning (512): Unable to emit headers. Headers sent in file=/home/brlfuser/public_html/vendor/cakephp/cakephp/src/Error/Debugger.php line=853 [CORE/src/Http/ResponseEmitter.php, line 48]
Warning (2): Cannot modify header information - headers already sent by (output started at /home/brlfuser/public_html/vendor/cakephp/cakephp/src/Error/Debugger.php:853) [CORE/src/Http/ResponseEmitter.php, line 148]
Warning (2): Cannot modify header information - headers already sent by (output started at /home/brlfuser/public_html/vendor/cakephp/cakephp/src/Error/Debugger.php:853) [CORE/src/Http/ResponseEmitter.php, line 181]
न्यूज क्लिपिंग्स् | गेहूं की तरह अब किसान धान की भी करें बुआई

गेहूं की तरह अब किसान धान की भी करें बुआई

Share this article Share this article
published Published on Jun 15, 2015   modified Modified on Jun 15, 2015
मौसम के उतार-चढ़ाव और सूखे की आशंका के बीच इस साल धान की खेती बड़ी चुनौती है। मॉनसून आने की आहट के बीच मौसम विशेषज्ञ इस वर्ष सामान्य से कम वर्षापात की घोषणा भी कर चुके हैं। ऐसे में कृषि वैज्ञानिक धान की सीधी बुआई को सटीक विकल्प बता रहे हैं। यह खेती बिल्कुल गेहूं की खेती जैसी होती है।

पिछले चार साल से पूसा कृषि विश्वविद्यालय, समस्तीपुर धान की सीधी बुआई पर रिसर्च चल रहा था। प्रयोग सफल रहा तो चार साल तक किसानों के यहां प्रत्यक्षण किया गया। फिर पिछले साल सूबे के सात जिलों में सीधी बुआई विधि से धान की खेती हुई। इसमें सारण भी शामिल था। यहां 2912 एकड़ में इस विधि से धान की खेती की गई। परिणाम भी अच्छे रहे और उपज संतोषजनक रही। इस वर्ष 86 हजार हेक्टेयर में धान की खेती का लक्ष्य रखा गया है। इसमें से 3613 हेक्टेयर भूमि में सीधी बुआई विधि से धान की खेती का लक्ष्य निर्धारित किया गया है।

 

अल्प से मध्य अवधि तक के किस्मों की होगी खेती
मौसम के बदलते परिवेश में धान की खेती गेहूं की तरह कर सकते हैं। अल्प से लेकर मध्य अवधि तक के धान की किस्मों की खेती इस विधि से की जा सकती है। कृषि वैज्ञानिकों ने सीधी बुआई के लिए प्रभात, राजेन्द्र भगवती, रिछारिया, धन लक्ष्मी, पूसा 814, नरेन्द्र 97 और संकर धान की खेती करने का सुझाव दिया है। धान की बुआई 15 जून से 10 जुलाई तक की सकती है। इस विधि में 12-14 किलो बीज प्रति एकड़ इस्तेमाल किया होगा।

 

 

खर-पतवार से बच गई फसल तो उपज अच्छी
गेहूं की तरह सीधी बुआई कर धान की उपज किसान रोप विधि के बराबर या इससे अधिक भी ले सकते हैं। लेकिन इस खेती में सतर्कता बहुत जरूरी है। किसानों को सतर्कता यह बरतनी होगी कि धान का बावग करने के बाद उस खेत में खर-पतवार न उपजे। फसल खर-पतवार से बच गयी तो उपज उतनी ही होगी, जितनी रोप विधि से होती है। इसके लिए धान की बुआई के 48 घंटे बाद पेडिमिथिलिन नामक खर-पतवार नाशक दवा का उपयोग खेत में करें। इस दवा के छिड़काव से खेत में घास नहीं उगेगी।

 

 

सीधी बुआई विधि की खेती से लागत में बचत 
धान की खेती रोप विधि से न कर सीधी बुआई विधि से करने में किसानों की लागत व्यय कम होगी। बिचड़ा डालने के लिए खेत तैयार करना। उसमें उर्वरक और पानी का खर्च। बिचड़ा उखाड़ने और रोपने में मजदूरों पर होने वाले खर्च। बरसात नहीं होने की स्थिति में धान की रोपनी के लिए खेत में पानी का प्रबंध कर कीचड़ तैयार करने आदि के खर्च बचेंंगे। सीधी बुआई से किसानों को प्रति एकड़ करीब पंद्रह हजार रुपये की बचत होगी। फसल भी पहले तैयार हो जायेगी और करीब दस दिन पहले फसल की कटाई भी हो जाएगी। एक तरफ लागत खर्च कम होगी तो दूसरी तरफ उपज रोपाई के बराबर होगी।

 

 

धान की रोपाई वाली खेती से पर्यावरण पर खतरा
धान की रोपाई वाली खेती पर्यावरण के लिए भी संकट खड़ा करती जा रही है। पर्यावरण व कृषि विशेषज्ञों के अनुसार धान की सीधी बुआई करने से धान के खेत से मिथेन गैस का उत्सर्जन नहीं होता है। रोप विधि में मिथेन गैस ओजोन परत में टकराकर छेद करती है। इससे ग्लोबल वार्मिंग का खतरा बढ़ता है और मौसम का बदलाव होते जा रहा है। ऐसे में पर्यावरण सुरक्षा की दृष्टि से भी किसानों को धान की रोपाई छोड़कर बुआई को अपनाने की जरूरत है।

 

 

क्या कहते हैं कृषि वैज्ञानिक
धान की रोपाई विधि से सीधी बुआई विधि को अपना किसान खेती की लागत को काफी कम कर सकते हैं। इस विधि से खेती करने से उपज में कोई अंतर नहीं आयेगा। बशर्ते कि बुआई के बाद खेत में खर-पतवार न उपजे। पर्यारण सुरक्षा की दृष्टि से भी धान की खेती में रोप विधि का परित्याग अवश्यक बन गया है। किसानों को इसे समझने की जरूरत है।
डॉ. रत्नेश झा, कृषि वैज्ञानिक
कृषि विज्ञान केन्द्र, मांझी, सारण

 


http://www.livehindustan.com/news/bihar/article1-story-483252.html


Related Articles

 

Write Comments

Your email address will not be published. Required fields are marked *

*

Video Archives

Archives

share on Facebook
Twitter
RSS
Feedback
Read Later

Contact Form

Please enter security code
      Close