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न्यूज क्लिपिंग्स् | घर तक आयी गंगा, तो उड़ गयी शहर की नींद

घर तक आयी गंगा, तो उड़ गयी शहर की नींद

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published Published on Aug 22, 2016   modified Modified on Aug 22, 2016
पटना : गोलघर से दीघा तक गंगा की धार को राजधानी की सड़क से दूर रखने के लिए वर्षों पहले सुरक्षा बांध का निर्माण किया गया था. लेकिन, आज गंगा की पेटी यानी बांध के भीतर में हजारों घर बन गये हैं. इसमें एक बड़ी आबादी रह रही है, जो कि गंगा के बढ़े जल स्तर से डरी-सहमी है. रात के अंधेरे में गंगा नदी का डरावना तेज बहाव इनको चैन की नींद लेने नहीं दे रहा. ये लोग अपना घर छोड़ने को भी तैयार नहीं हैं. यह स्थिति तब है, जब कि जिला प्रशासन ने बांध के भीतर रहनेवाले लोगों को अलर्ट करते हुए उनको तुरंत किसी सुरक्षित स्थान पर चले जाने की अपील की है.

टूटे रास्तों पर रखा बालू का बोरा

गंगा बांध को तोड़ कर बीच-बीच में नदी के अंदर टापू व दियारे में जाने का रास्ता बनाया गया. इन रास्तों से ही पानी शहर में आने की आशंका अधिक है. ऐसे में गोलघर से दीघा तक के सभी द्वारों को आपातकाल में बंद करने के लिए जिला प्रशासन ने बालू से भरे बोरे का इंतजाम कर रखा है. वहां रहने वाले लोगों को कहा गया है कि अगर पानी बढ़े, तो तुरंत उस बोरे को द्वार पर लगा दें.

नाले से निकला गंगा का पानी

कुर्जी हॉस्पिटल के पहले ब्रज किशोर स्मारक प्रतिष्ठान के पास एक नाला है, जहां से पानी बाहर फेंक रहा है. जब इसकी जानकारी जिला प्रशासन को मिली, तो वहां पर एक पंपिंग सेट लगाया गया है, जो कि के मेन हॉल में डाल कर पानी को वापस गंगा में फेंक रहा है. इस रिसाव से सड़क किनारे कुर्जी हॉस्पिटल तक और ब्रज किशोर स्मारक के परिसर में भी पानी घुस गया है. अभी पानी घुसने का फ्लो काफी कम है, लेकिन गंगा का स्तर बढ़ा तो सड़क पर पानी तेजी से फेंकने लगेगा.

संत माइकल की दीवार से सटे इलाके में पानी घुसा : गंगा के बढ़े जल स्तर से संत माइक स्कूल से कुर्जी पुल के पास तक बने घरों में पानी घुस गया है. जिन घरों में पानी घुसा है, वह दूसरे अपने ऊपर के फ्लोर में शिफ्ट हो गये हैं. कुछ एक लोग अपने पास के पड़ोसियों के यहां रह रहे हैं, लेकिन उनकी हालत हर दिन बढ़ रहे पानी से बिगड़ती जा रही है. इस इलाके में 50 से अधिक मकान बने हुए हैं, जहां हर पल पानी का दबाव बढ़ रहा है.

गंगा टावर से नहीं निकल पा रहा है पानी : जिला प्रशासन की लाख कोशिशों के बाद भी गंगा का पानी गंगा टावर से नहीं निकल पा रहा है. अधिकारियों के मुताबिक सीवरेज को ब्लाॅक करने के बाद भी पानी का रिसाव अभी तक जारी है. फिलहाल वहां से पानी निकालने को लेकर काम चल रहा है, लेकिन गंगा के बढ़ते जल स्तर ने पानी का निकालने का कोई रास्ता नहीं बन रहा था.
राजापुर पुल से कुर्जी मोड़ तक गाड़ियों का परिचालन बंद : एलसीटी घाट स्थित गंगा अपार्टमेंट से जल निकासी के चलते रविवार को राजापुर पुल से कुर्जी मोड़ तक गाड़ियों का परिचालन बंद कर दिया गया.

गाड़ियों को राजापुर पुल से बोरिंग रोड की तरफ मोड़ दिया गया, तो कुर्जी मोड़ से दीघा की तरफ गाड़ियां नहीं जाने दी गयीं. ऑटो भी पाटलिपुत्रा होते हुए बोरिंग रोड से गांधी मैदान जा रहे थे. गंगा अपार्टमेंट की जल निकासी के लिए लगे मोटर की पाइप को सड़क से गंगा की तरफ गिराया गया. पानी निकासी दिनभर चलती रही, जिससे आवागमन बंद हो गया.

पानी में तैर रही जिंदगी

अभिमन्यु कुमार साहा

पटना : पटना सदर के पंचायत नकटा दियारे में सबकुछ डूब चुका है. घर, दालान, आंगन, फसल, अनाज, वर्षों की कमाई और साथ में लोगों के सपने भी. यहां जिंदगी पानी में तैर रही है, मर रहे हैं इंसान. कई घर जलमग्न हो चुके हैं तो कई धंस चुके हैं. घर की दीवारें गिर चुकी हैं, तो कुछ गिरने को हैं. फूस के मकान गंगा के बहाव में बह चुके हैं. बक्से में रखीं नयी साड़ियां, गहने-जेवरात और पैसे भी. बाढ़ की विभीषिका का तांडव पूरे सात किलोमीटर की परिधि में फैले नकटा दियारे में चल रहा है. कुछ बचा है तो आंखों में आंसू और मन में जीने की ललक.

महिलाएं और बच्चे घर-द्वार छोड़ राहत शिविर में चले गये हैं. अभिभावक घर को अगोर रहे हैं, कुछ बची चौकियां, खिड़की-दरवाजे और कुछ बरतन. शनिवार आधी रात एकाएक आये पानी के बहाव से बचे सामान को छप्पर और छतों पर रखा दिया गया है. फूस के घरों के मचानों पर रखे हैं कुछ गोइठा, कुछ किलो प्याज, जलावन और तकिया-चादर.

आंखें तटस्थ, पर हर पल नाप रहा जल स्तर : यहां घरों के अभिभावक खस के नाव पर बैठे जल बहाव के साथ हिल-डोल रहे हैं. आंखें तटस्थ हैं जल स्तर पर. हर पल जल स्तर को बांस से नापा जा रहा है. जिला प्रशासन की तरफ से दी जा रही खाद्य सामग्री लपकने आयी 55 वर्षीय सिरतिया देवी बताती हैं- बस जी रहे हैं सर... कब बह जायेंगे पता नहीं. मचान पर बैठ कर समय गुजार रहे हैं. एक अन्य पीड़ित धर्मराज पेड़ की शाखाओं पर शरण लिये हुए हैं. जिनके घर पक्के के हैं वह छतों पर आश्रय लिये हैं. आदमी तो आदमी, जानवर भी जान बचाने की जद्दोजहद में पानी में तैर रहे हैं. कुत्ते झोपड़ियों की छप्पड़ पर चढ़ चुके हैं.

खिड़कियों से निहारती हैं आंखें

पुरुष घर के बाहर खस पर निगरानी कर रहे हैं, तो महिलाएं और बच्चे आधी डूब चुकी खिड़कियों से जल स्तर निहार रही हैं. मीडिया के कैमरे देख वह झट से ओझल हो गयीं. बुलाने पर बच्चा खिड़की पर आया. कुछ खाया बाबू? इस पर वह कुछ न कहा, बस एकटक वह मुझे देखता रहा. ऐसा लगा कि जैसे मैं उनका गुनाहगार हूं. पेट अतड़ियों से सिमटी थी आंखों में कुछ आंसू.

अब बस राम नाम ही सहारा : दो किलोमीटर बाद एक घर में देमुनिया देवी चौकी पर बैठ राम नाम जप रही हैं. देखते ही आंचल फैला खाद्य सामग्री मांगती हैं. पास पहुंचा तो कही- अब राम नाम ही सहारा है. घर द्वार छोड़ नहीं जा सकते. उनके बगल में एक बुढ़िया काकी का शरीर अन्न बिना ऐंठ रहा है. कुछ दूर नाव पर अपने बचे कुछ सामान से शहर जा रही ममता देवी कहती हैं- किस्मत फूंट गयी. पैसा-कौड़ी, नयी साड़ी और जेवर सब पेटी में रखल बह गइल... अब तअ् कुछ बोरी अनाज बचल हा... ओही लेके अब शहर जा तानी. किराया पर रहम'

हर तरफ पानी, पर पीने को नहीं

घाट से करीब पांच किलोमीटर अंदर जयलाल खस के नाव पर बैठे हैं. ऊपर तपती धूप, नीचे अथाह पानी के बीच सूखे गले से कहते हैं- साहब... खाने को चूड़ा तो है, लेकिन पीने को कुछ नहीं है. इस दरिया में भी गला सूखा है. चापाकल डूब चुके हैं. प्यास से बेचैन होते हैं तो दो घूंट इसी दरिया के पानी से गला तर कर लेते हैं. हर तरफ तबाही का मंजर है. ग्रामीणों की आंखों के सामने ही उनका सर्वस्व बह रहा है. नजर की छोर तक सिर्फ पानी है.

30 राहत शिविर खुले

पटना : दियारे में जिला प्रशासन की अोर से लोगों को निकालने के लिए एनडीआरफ की टीम को लगाया गया है. रविवार को जिलाधिकारी संजय कुमार अग्रवाल ने एलसीटी घाट, कुर्जी, दीघा घाट का निरीक्षण किया. जिले में 335 नाव चलायी जा रही हैं. वहीं, 30 स्थानों पर चल रहे राहत शिविर लगाये गये हैं.

कहां कितने शिविर

पटना सदर अनुमंडल: दीघा आइटीआइ, बिहार विद्यापीठ, कुर्जी, कन्या मध्य विद्यालय दीघा पोस्ट ऑफिस रोड व मध्य विद्यालय दीघा पोस्ट ऑफिस रोड. इसके अलावा बिंद टोली में पूर्व से ही राहत शिविर चल रहा है.

दानापुर अनुमंडल : मिशन स्कूल मनेर, मध्य विद्यालय महियावां, बलदेव उच्च विद्यालय, दानापुर व पंचायत भवन आनंदपुर बिहटा व एवं त्रिभुवन पार्क.

बाढ़ अनुमंडल : सबनीमा मध्य विद्यालय, अथमलगोला कुंवर उच्च विद्यालय अथमलगोला, फौजदार सिंह उच्च विद्यालय एवं मध्य विद्यालय बुढ़रा अथमलगोला, बख्तियारपुर प्रखंड में नुनूवती कॉलेज धनसुरपुर, घोषवरी मध्य विद्यालय एवं बेनीपुर मध्य विद्यालय, मोकाम प्रखंड में कसहा दियारा एवं जंजीरा एवं मध्य विद्यालय घोसवरी.

पटना सिटी : नगर पंचायत वार्ड नंबर 2,6,8 व मध्य विद्यालय खुशरुपुर में आपदा राहत शिविर शुरू किया गया है.

पीएमसीएच अलर्ट पर

पीएमसीएच के इमरजेंसी में 10 बेड बाढ़ पीड़ितों के लिए सुरक्षित रखे गए हैं. आईसीयू में भी पर्याप्त दवाएं मंगा ली गयी हैं. डॉक्टरों की छुट्टी रद्द हो गई है.

रेस्क्यू के लिए नोडल ऑफिसर तैनात

जिलाधिकारी संजय कुमार अग्रवल के निर्देश पर रविवार को पटना जिला के गंगा के तटवर्ती प्रखंडों में प्रभावित परिवारों को सुरक्षित स्स्थानों व राहत शिविर में पहुंचाने के साथ-साथ उनको सारी सुविधाएं मुहैया कराने के लिए प्रखंड स्तर पर नोडल ऑफिसर पदाधिकारी प्रतिनियुक्त किये गये हैं. डीएम ने कहा कि राहत के कामों में कोताही करने वाले किसी भी अधिकारी को बर्दास्त नहीं किया जायेगा. जिले में चल रहे सभी 30 राहत शिविर में भी नोडल पदाधिकारी प्रतिनियुक्त किया गया है.

हेल्पलाइन नंबर

पटना सदर : कुमार मिथिलेश प्रसाद , मोबाइल नंबर 8544412369.
पटना सिटी, फतुहा और खुसरूपुर : ललित भूषण रंजन, मोबाइल नंबर 8544412368 एवं संतोष कुमार श्रीवास्तव मोबाइल 9572670641.
बाढ़ : कारी प्रसाद महतो 9431005020
बख्तियारपुर : अधवेश राम मोबाइल 9431818402
अथमलगोला : संजय कुमार सिंह , मोबाइल नंबर 7250119830
पंडारक व मोकाम: बीएन सिंह,मोबाइल 9430039286.
दानापुर : मुरली प्रसाद सिंह, मोबाइल 9471902752.
मनेर : वृंदा लाल , मोबाइल 8544412365

घर ढहा, कहां जायेंगे हम लोगों की पीड़ा : बेघर व बेबस

पटना : नकटा दियारा से दीघा में लगे कैंप में आये बच्चे, महिलाओं और बुजुर्गों का दर्द बहुत बड़ा है. रंजीत राय कहते हैं कि घर ढह गया है और मेरा जानवर वहीं फंसा है. अब पता नहीं आगे हमारा गुजर-बसर कैसे होगा.

उनके मुताबिक उनके घर में छाती तक पानी आ चुका था, इस कारण उन्हें कुछ जरूरी सामान लेकर यहां आना पड़ा. ऐसे ही एक मिनिस्टर राय हैं. इनका भी आधा घर बाढ़ में विलीन हो गया है. बच्चों व महिलाओं को लेकर इधर आ गये हैं, लेकिन जब दूसरी
बार जानवरों को लाने गये, तो उनका घर ही गायब हो गया था. क्योंकि

बाढ़ में घर ढह गया और सारा

सामान उसी में बह गया. इनके जैसे 100 से अधिक परिवारों का यही हाल है, जिनका घर बाढ़ में बह गया है. हड़ताली मोड़ के पास पंक्चर की दुकान चलाने वाले अकीलपुर के संतोष ने बताया कि बाढ़ की वजह से उनकी हजारों रुपये की मूली व सब्जी की खेती बर्बाद हो गयी है. हालांकि, उनका परिवार अब भी उसी जगह पर रह रहा है.

बहन के इंतजार में घंटों परेशान रहे मुन्ना

बाढ़ की चपेट में आये लोगों को जब रेसक्यू कर एनडीआरएफ की टीम दीघा की ओर ला रही थी, तो मुन्ना अपने दादा के साथ चला आया. लेकिन, उसकी छोटी बहन पुष्पा उधर ही अपने पिताजी के साथ रह गयी. जब मुन्ना अपनी बहन से बिछड़ कर दादा के साथ राहत कैंप में पहुंच गया, तो वह अपनी बहन को खोजने लगा और रोने लगा. लगभग दो घंटे तक बच्चा बहन का इंतजार कर रोता रहा है, लेकिन जैसे ही एनडीआरएफ की टीम उसकी बहन व पिता को लेकर इधर आयी, तो बच्चा खुश हो गया. दोनों एक-दूसरे के साथ खेलने लगे. वहीं ऐसे कई बच्चे थे, जो अपने परिवार के अन्य लोगों का इस पार आने का इंतजार कर रहे थे.

बिहार विद्यापीठ में आसरा

बिहार विद्यापीठ में नकटा दियारा, बिंद टोली सहित गंगा तट पर बसे सैकड़ों लोगों को रहने की जगह मुहैया करायी गयी. प्रशासन की ओर से राहत सामग्री दी गयी. लेकिन, राहत पहुंचने में देर होने पर कई लोगों ने हंगामा भी किया.

वेदर अलर्ट : तेज व हल्की बारिश

पटना : बंगाल की खाड़ी में बने कम दबाव के क्षेत्र से दक्षिण बिहार में तेज व उत्तर बिहार में हल्की बारिश की संभावना है. मौसम विज्ञान केंद्र के मुताबिक मौसम का यह बदलाव बस सोमवार तक रहेगा. क्योंकि कम दबाव का क्षेत्र झारखंड होते हुए सोमवार रात तक छत्तीसगढ़ की ओर शिफ्ट हो जायेगा और इसके मंगलवार से दोबारा से मौसम में बदल जायेगा.

मौसम विज्ञान केंद्र के फोरकास्ट में भागलपुर के कुछ जगहों पर भारी बारिश भी हो सकती है. मौसम विज्ञान केंद्र के निदेशक एके सेन ने बताया कि मौसम का बदलाव सिर्फ सोमवार को रहेगा. उसके बाद दोबारा से मौसम ठीक हो जायेगा. खाड़ी में बना लो प्रेशर का दबाव झारखंड के रास्ते निकल जायेगा. इस कारण से इसका प्रभाव एक दिन ही बिहार में देखने को मिलेगा.

कुछ समझ में भी नहीं आया और घरों में घुस गया पानी

रजी अहमद, पूर्व सांसद4पटना

1975 की बाढ़ को याद कर गांधी संग्रहालय के सचिव डा रजी अहमद एक एक घटना की जानकारी देते हुए कहा कि वह बाढ़ इतना कम समय में आया कि लोगों को समझ में भी नहीं आया और पानी घरों में प्रवेश कर गयी. लोग किसी तरह अपने घरों की छतों पर जान बचाया. उन्होंने कहा कि वे गांधी संग्रहालय में थे. चारों ओर पानी भर गया था. जानकारी मिली कि उनके एक मित्र की बहु का डिलिवरी हुआ है. कहीं दवा या डॉक्टर मिलने की संभावना नहीं थी. कुर्जी अस्पताल भी डूब चुका था. विद्यापीठ का परिसर डूब चुका था. बड़ी संख्या में लोग ब्रज किशोर भवन के पहले तल्ले पर पनाह लिये हुए थे. मैं किसी तरह दवा का इंतजाम कर ब्रज किशोर भवन पहुंचा और दवा दी. हमारे कई स्टॉफ भी यहां पनाह लिये हुए थे.

उन लाेगों को भी दवा उपलब्ध कराया. उनलोगों को खने के लिए पांव रोटी पहुंचाया. एक घटना की जानकारी देते हुए उन्होंने बताया कि पूर्व राष्ट्रपति राजेंद्र प्रसाद के पुत्र मृत्युंजय बाबू पाटलिपुत्रा कॉलोनी में अपने आवास में बैठे थे. किसी ने फाेन कर कहा कि सोन नदी का तटबंध टूट गया है. पटना डूब जायेगा. वे पानी आने का हिसाब करने लगे कि पानी कितना देर में पटना शहर में प्रवेश करेगा. वे हिसाब कर ही रहे थे कि अचानक पानी उनके पास पहुंच गया. वे किसी तरह अपने घर के छत पर पनाह ली.

रजी अहमद ने बताया कि तारकेश्वरी सिन्हा सिर पर सूटकेश लिये पानी को पार करते हुए डाकबंगला चौराहा तक पहुंची. एसकेपुरी, राजेंद्र नगर, कदमकुआं, पाटलिपुत्रा कॉलोनी सब डूब गया था. सरकारी इंतजाम की प्रशंसा करते हुए उन्होंने बताया कि हेलीकॉप्टर से लोगों तक फूड पैकेट पहुंचाया जाता था. पूरी और सब्जी पैकेट में होता था. पैकेट गिरते ही लोग उस पर टूट पड़ते थे. एक सप्ताह तक रही बाढ़ से परेशानी की जानकारी देते हुए उन्होंने बताया कि गांधी मैदान के पास फूड पैकेट पैकेट गिराया जाता था. लोगों को पर्याप्त मात्रा में पानी शुद्ध करने के लिए क्लोरीन की गोली मिलती थी. गांधी संग्रहालय को मेडिकल कैंप के तरह उपयोग हो रहा था. उन दिनों पीएमसीएच की स्थिति अच्छी थी, लोगो को पर्याप्त दवा मिल जाता था.

उन्होंने कहा कि वह समय आंदोलन का दौर था. बड़ी संख्या में नेताओं को जेल में बंद कर दिया गया क्क्था. नेताओं ने जेल से ही राहत चलाने का आह्वान किया था. आह्वान पर बड़ी संख्या में लोग फूड पैकेट बनाकर सरकार को देते थे. जिसे हेलीकॉप्टर से लोगों तक पहुंचाया जाता था. इस दौरान कुछ लोगों को रिलिफ के लिए जेल से छोड़ भी दिया गया था. उन्होंने बताया कि बाए़ के कारण लोगों को अखबार मिलना मुश्किल था.

खतरा बरकरार : परेशानी बढ़ी

पटना : गंगा नदी में पानी बढ़ने से पटना और वैशाली जिले के दियारा के साथ-साथ अन्य जिलों के दियारे की भी हालत ठीक नहीं है. बड़े पैमाने पर लोग सुरक्षित ठिकानों पर पर पहुंच रहे हैं. अचानक पानी के स्तर में वृद्धि से व्यापक पैमाने पर गृह और फसल की क्षति हुई है. आपदा प्रबंधन विभाग के प्रधान सचिव व्यास जी ने बताया कि पटना और वैशाली जिले के अन्य जिलों के दियारा में भी पानी बढ़ने से लोगों की परेशानी बढ़ी है.

बाढ़ग्रस्त पटना और वैशाली जिले के हवाई सर्वेक्षण के बाद प्रधान सचिव ने बताया कि दियारा में पानी के स्तर में काफी वृद्धि हुई है. लोगों को सुरक्षित जगहों पर पहुंचाने सभी प्रयास किये जा रहे हैंं. बड़ी संख्या में बाढ़ पीड़ित राहत शिविर में पहुंच रहे हैं. सोन नदी में पानी बढ़ने के कारण दियारा के क्षेत्रों में बाढ़ की गंभीर स्थिति बन गयी है. प्रधान सचिव ने बताया कि दानापुर कैंटोनैंट पूरी तरह से सुरक्षित है. यहां बाढ़ का कोई खतरा नहीं है. मध्यप्रदेश, उत्तर प्रदेश और झारखंड में भारी बारिश के कारण राज्य के 12 जिलों के दियारा में ही फिलहाल बाढ़ की स्थिति बनी हुई है.

इधर इंडियन मेडिकल एसोसिएशन ने कहा है कि पटना में बाढ़ के खतरे को देखते हुए आइएमए ने छह सदस्यीय टीम का गठन किया है. इसमें 30 डॉक्टर रहेंगे. इसमें बाढ़ पीड़ित लोगों की बीमारी, दवा वितरण आदि सभी तरह की सेवा करेंगे.

http://www.prabhatkhabar.com/news/patna/story/847424.html


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