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न्यूज क्लिपिंग्स् | घरवालों ने बनाया बालिका वधू, कानून ने किया अनाथ

घरवालों ने बनाया बालिका वधू, कानून ने किया अनाथ

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published Published on Jul 8, 2016   modified Modified on Jul 8, 2016
सुमेधा पुराणिक चौरसिया, इंदौर। केस- इंदौर की 16 वर्षीय मनीषा की परिवार ने शादी करा दी। वह महीनाभर ससुराल में रही। इस बीच बाल विवाह की शिकायत हो गई। प्रशासन ने उसे ससुराल से मुक्त कराकर निराश्रित बच्चों की संस्था में रखवा दिया। उसे महीनेभर का गर्भ था। हाल ही में उसका प्रसव हुआ।

केस- महाराष्ट्र की 17 वर्षीय कमला का परिवार ने बाल विवाह कराया। वह पंद्रह दिन ससुराल में रही। बाल विवाह की शिकायत होने पर प्रशासन ने उसे ससुराल से निकालकर संस्था में रखवा दिया। मायके पक्ष पर भी बाल विवाह कानून के तहत केस दर्ज हुआ तो वे लड़की को घर भी नहीं ले गए। दो महीने से वह संस्था में है।

मनीषा और कमला की तरह ही और भी नाबालिग लड़कियां 'अपनों" के किए की सजा भुगत रही हैं। बाल विवाह की शिकायत मिलने के बाद 10 लड़कियों को इस साल बाल कल्याण समिति ने अनाथालय में शरण दिलाई है। ये वो लड़कियां हैं, जिन्हें उनके ही घरवालों ने नाबालिग दुल्हन बनाया तो कानून ने अनाथ बना दिया।

शादी शून्य, पर बच्चों को दिया जन्म

राऊ स्थित जीवन ज्योति संस्था, श्रद्धानंद बाल आश्रम, वामा महिला उत्थान, बा का घर में ज्यादातर बाल विवाह से पीड़ित लड़कियों को रखा गया है। जीवन ज्योति में तो दो नाबालिग गर्भावस्था में पहुंची थीं। कानून के मुताबिक उनकी शादी शून्य घोषित कर दी गई थी। नियमानुसार अब वे ससुराल से संबंध नहीं रख सकतीं, वहीं मायकेवाले भी उन्हें नहीं ले गए। संस्था ने उनका प्रसव कराया। एक लड़की को तो 18 साल का होने पर ससुराल ने अपना लिया, लेकिन दूसरी को कस्तूरबा ग्राम भेज दिया गया।


ससुराल ने नहीं अपनाया तो क्या होगा?

नाबालिग दुल्हन निर्मल और शीतल ने नईदुनिया से परेशानी साझा की। उन्होंने बताया कि हमें ससुराल से तो निकाल दिया गया, पर आगे कुछ समझ नहीं आ रहा कि क्या करें? स्कूल की पढ़ाई छूट गई, माता-पिता भी समाज के डर से साथ नहीं रख रहे। संस्था में कितने दिन रहना है, पता नहीं। 18 साल का होने के बाद ससुरालवाले स्वीकार करेंगे या नहीं, इस पर भी शक है।


लड़कियों को स्वावलंबी बनाते हैं

इस साल सबसे ज्यादा बाल विवाह होने की शिकायत मिली थी। सभी नाबालिग दुल्हनों को ससुराल से मुक्त कराकर अलग-अलग संस्थाओं में रखा गया है। ज्यादातर मामलों में परिवार समाज के डर से लड़कियों को फिर से घर नहीं ले जाता। कई बार लड़कियां खुद भी मायके नहीं जाना चाहतीं। 18 साल का होने पर ससुराल भेजने का निवेदन करती हैं। कई बार ससुराल वाले भी पलट जाते हैं तो लड़की को संस्था में पढ़ा-लिखाकर उसे स्वावलंबी बनाते हैं। इसके बाद वह अपना निर्णय स्वयं ले सकती हैं।

- साधना परांजपे, अध्यक्ष, बाल कल्याण समिति

पहले शिकायतें करें तो जिंदगी खराब नहीं होगी

शिकायतकर्ता अगर शादी होने के पहले बाल विवाह की शिकायत प्रशासन से करेंगे तो दूल्हा-दुल्हन की जिंदगी खराब होने से बच जाएगी। शादी तय होने या शादी के आयोजन के बारे में पता लगने के बाद भी शादी रोकी जा सकती है। बाल विवाह होने के बाद कानून के तहत सबसे पहला दोषी बालिग पति को माना जाता है। इससे उसे जेल हो जाती है और नाबालिग लड़की को परिवार से अलग होना पड़ता है।


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