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न्यूज क्लिपिंग्स् | छत्‍तीसगढ़ के अबूझमाड़ में घरों में संचालित हो रहे स्कूल

छत्‍तीसगढ़ के अबूझमाड़ में घरों में संचालित हो रहे स्कूल

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published Published on Jun 18, 2015   modified Modified on Jun 18, 2015
मो.इमरान खान, नारायणपुर(ब्यूरो)। प्रदेश के सबसे संवेदनशील इलाके में शुमार नारायणपुर जिले की शिक्षा व्यवस्था आजादी के 67 वर्षों के बाद भी पटरी में नहीं आ पाई है। मंगलवार से शाला प्रवेशोत्सव सरकारी कोरम पूरा करते शुरू कर दिया गया है। बड़े-बड़े वादों एवं नारों के साथ स्कूलों के पट खोले जाते है लेकिन सत्र की समाप्ति तक इन पर अमल नहीं हो पा रहा है।

स्कूली शिक्षा मंत्री केदार कश्यप के क्षेत्र में 150 स्कूल भवनविहीन हैं। भवन की व्यवस्था नहीं हो पाने से अबूझमाड़ के चार प्राथमिक शाला पुसालामा, आमासरा, आंदोपारा एवं लेकवाड़ के स्कूल ग्रामीणों के घरों में संचालित किए जा रहे हैं। स्कूल भवनों के निर्माण को लेकर नक्सलियों के द्वारा हरी झंडी मिलने के बाद भी भवन नही बनाया जाना कई सवाल खड़े करता है।

जिला मुख्यालय छोड़ दिया जाए तो अंदरुनी हिस्सों में शिक्षा व्यवस्था हासिए पर चल रहीं है। अबूझमाड़ में स्कूलों का नारायणपुर के मुकाबले सबसे बुरा हाल है। माड़ के अधिकांश गांवों में सरकारी पहुंच नहीं होने से यहां के बच्चों को नक्सलियों की पाठशाला में पढ़ाया जा रहा है।

नारायणपुर ब्लॉक में 376 स्कूल संचालित हो रहे हैं। इनमें 264 प्राथमिक शाला , 89 माध्यमिक शाला, 7 हाई स्कूल एवं 16 हायर सेकेंडरी हैं। इनमें 83 प्राथमिक शाला में भवन नही हैं। वहीं 21 पूर्व माध्यमिक शाला ,3 हाई स्कूल एवं एक हायर सेकेंडरी स्कूल के लिए भवन का निर्माण नहीं कराया गया है। वहीं ओरछा ब्लॉक में 85 स्कूल प्राथमिक से लेकर हायर सेकेन्डरी में संचालित हो रहे है।

यहां 40 प्राथमिक शाला में छत नहीं है। इसकी वजह से स्कूल झोपड़ी एवं पेड़ों के नीचे लग रहे हैं। कुछ साल पहले नक्सलियों के द्वारा जिन इलाकों में स्कूल भवन ध्वस्त कर दिया गया था वहां अब तक भवनों का निर्माण नहीं हो पाया है।

शौचालय का अभाव

जिले के नारायणपुर एवं ओरछा ब्लॉक के अधिकांश स्कूलों में शौचालय का निर्माण नहीं किया गया है। शौचालय के अभाव में बच्चों एवं महिला शिक्षकों को दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है। राजीव गांधी शिक्षा मिशन एवं लोक स्वास्थ्य यांत्रिकी विभाग की ओर से करोड़ों रुपए शौचालय के लिए खर्च किए जा रहे हैं फिर भी निर्धारित समय सीमा में निर्माण नहीं हो पा रहा है।

बिजली और पानी का टोटा

शिक्षा के अधिकार कानून के लागू होने के बाद स्कूलों में पेयजल, चपरासी, जलवाहक, स्वीपर, चौकीदार, रसोईया, विद्युतीकरण, रेम्प, खेल मैदान, कम्प्यूटर शिक्षा सहित अन्य सुविधाओं का विस्तार करने हाई कोर्ट के द्वारा निर्देशित किया गया है। बावजूद इसके जिले में बच्चों को इसका लाभ नहीं मिल रहा है। जिले के 461 स्कूलों में से नारायणपुर एवं ओरछा के पचास फीसदी स्कूलों में पेयजल की व्यवस्था नहीं हो पाई है। इसी प्रकार कई स्कूलों में विद्युतीकरण नहीं किया गया है। विकलांग बच्चों को बिना तकलीफ के स्कूल के अंदर प्रवेश करने के लिए स्कूलों में बनाए जाने वाले रेम्प भी नहीं बन पाएं हैं।

शिक्षकों की नहीं हुई भर्ती

शिक्षकों की समस्या से जुझ रहे जिले में शिक्षकों की भर्ती नहीं हो पा रही है। नारायणपुर एवं ओरछा ब्लॉक में वर्ग तीन के भी कई पद रिक्त पड़े हुए हैं। अतिशेष शिक्षकों की सूची जारी होने के बाद शिक्षको की भर्ती करने की कवायद थमी हुई है। अधिकांश स्कूलों में विषय विशेषज्ञ शिक्षक नहीं होने से कोर्स पूरा नहीं हो पाता है।

अभियान चलाकर बनाएं भवन

'जिले के पहुंचविहीन क्षेत्रों में स्कूल भवन बनाने में थोड़ी दिक्कत हो रही है। जिसे दूर कर भवन बनाने का कार्य किया जा रहा है। बारिश के बाद बडे पैमाने पर अभियान चलाकर अधूरे एवं भवनविहीन स्कूलों को पूरा करने का लक्ष्य रखा गया है, जिससे स्कूलों में मूलभूत सुविधाएं उपलब्ध हो जाएंगी।'

-टामनसिंह सोनवानी, कलेक्टर नारायणपुर

 


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