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न्यूज क्लिपिंग्स् | छत्‍तीसगढ़ ने उत्‍तर प्रदेश को कनहर बांध का निर्माण रोकने कहा

छत्‍तीसगढ़ ने उत्‍तर प्रदेश को कनहर बांध का निर्माण रोकने कहा

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published Published on May 1, 2015   modified Modified on May 1, 2015
रायपुर। छत्तीसगढ़ की सीमा से लगे उत्तर प्रदेश के सोनभद्र जिले में बन रहे कनहर बांध के निर्माण पर रोक लगाने के लिए मुख्यमंत्री डॉ. रमन सिंह के निर्देश पर मुख्य सचिव विवेक ढांड ने उत्तर प्रदेश के मुख्य सचिव को पत्र लिखा है।

मुख्य सचिव छत्तीसगढ़ शासन की ओर से उत्तरप्रदेश सरकार के मुख्य सचिव आलोक रंजन को लिखे पत्र में आग्रह किया गया है कि परियोजना में जब तक सहमति की शर्तों के अनुसार छत्तीसगढ़ राज्य के डूब क्षेत्र के विस्तृत सर्वेक्षण के बाद मुआवजा आदि मामलों का निराकरण नहीं हो जाता, तब तक कनहर बांध का निर्माण स्थगित रखा जाए।

नईदुनिया ने सबसे पहले कनहर बांध में छत्तीसगढ़ के ग्रामीणों के डूबने की आशंका और मुआवजा नहीं मिलने का मुद्दा प्रमुखता से उठाया था। बांध निर्माण का कांग्रेस, वाम दल और सामाजिक संगठन विरोध कर रहे हैं। मुख्यमंत्री डॉ. रमन सिंह ने कहा है कि छत्तीसगढ़ सरकार किसी भी हालत में किसानों और ग्रामीणों के हितों की अनदेखी नहीं होने देगी। छत्तीसगढ़ के प्रभावित होने वाले परिवारों के साथ अन्याय नहीं होने दिया जाएगा।

मुख्य सचिव ने पत्र में बताया कि उत्तर प्रदेश सरकार के सर्वेक्षण के अनुसार परियोजना में बलरामपुर-रामानुजगंज जिले के चार गांवों की भूमि प्रभावित हो रही है। उत्तरप्रदेश सरकार ने डुबान क्षेत्र के मुआवजा निर्धारण के लिए कलेक्टर सरगुजा को प्रस्ताव दिया था। इस प्रस्ताव के अनुसार बलरामपुर-रामानुजगंज जिले के चार गांव - झारा, कुशफर, सेमरूवा और त्रिशूली की 106.203 हेक्टेयर राजस्व भूमि, 9.368 हेक्टेयर निजी भूमि, 142.834 हेक्टेयर वन भूमि, इस प्रकार कुल 258.405 हेक्टेयर भूमि सहित ग्रामीणों की अन्य परिसम्पतियां एफटीएल 265.552 मीटर तक आंशिक रूप से प्रभावित हो रही हैं। सर्वे ऑफ इंडिया के सर्वेक्षण के अनुसार डूब क्षेत्र 263.40 हेक्टेयर अनुमानित है। श्री ढांड ने पत्र में लिखा है कि सर्वेक्षण के आधार पर उत्तरप्रदेश सरकार द्वारा पुनरीक्षित प्रस्ताव कलेक्टर सरगुजा (छत्तीसगढ़) को अब तक नहीं भेजा गया है।

शर्तों का पालन नहीं, तो एनओसी हो जाएगी निरस्त

तत्कालीन मध्यप्रदेश सरकार द्वारा छत्तीसगढ़ की 263.4 हेक्टेयर भूमि के डुबान हेतु 27 मार्च 1999 के पत्र में सशर्त सहमति दी गई थी। शर्तों का पालन करने के लिए उत्तरप्रदेश सरकार द्वारा सात अप्रैल 1999 को दोनों राज्यों की सचिव स्तरीय बैठक में सहमति व्यक्त की गई थी। इसके बाद केन्द्रीय जल आयोग के परामर्श पर बांध के एफआरएल और एफटीएल के मध्य डुबान में आने वाली छत्तीसगढ़ राज्य की 41.60 हेक्टेयर जमीन को डूब से बचाने के लिए सुरक्षात्मक रिंग बांध बनाने के उत्तरप्रदेश सरकार के सुझाव को मान्य कर छत्तीसगढ़ शासन के जल संसाधन विभाग द्वारा नौ जुलाई 2010 को सशर्त सहमति दी गई थी। इसमें शर्तों का पालन नहीं होने पर अनापत्ति प्रमाण पत्र स्वमेव निरस्त होने का उल्लेख है।

अभी शुरू हुआ है सर्वेक्षण

यूपी सरकार ने 28 जनवरी 2015 को सर्वेक्षण के लिए 40 लाख रुपए दिए हैं। इस राशि से सर्वेक्षण प्रारंभ कर दिया गया है। इसके बाद प्राप्त होने वाले विवरण के आधार पर भू-अर्जन प्रकरण, विस्थापन प्रकरण और केन्द्रीय वन संरक्षण अधिनियम 1980 के तहत वन भूमि प्रकरण निराकरण के लिए प्रस्तुत किए जाएंगे। मुख्य सचिव ने 29 अप्रैल को उत्तरप्रदेश के मुख्य सचिव को भेजे पत्र में लिखा है कि इन तथ्यों से यह स्पष्ट है कि छत्तीसगढ़ राज्य ने राष्ट्रीय सोच अपनाते हुए उत्तर प्रदेश के साथ लगातार सहयोग किया है, लेकिन उत्तरप्रदेश द्वारा असहयोगात्मक रुख अपनाकर पूर्व निर्धारित शर्तों का पालन नहीं किया जा रहा है। छत्तीसगढ़ के हितों की अनदेखी कर बांध का निर्माण शुरू कर दिया गया है।

 


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