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न्यूज क्लिपिंग्स् | छत्‍तीसगढ़ में 25 फीसदी महिलाओं का घर में ही कराया जाता है प्रसव

छत्‍तीसगढ़ में 25 फीसदी महिलाओं का घर में ही कराया जाता है प्रसव

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published Published on Apr 23, 2015   modified Modified on Apr 23, 2015
रायपुर। छत्तीसगढ़ में प्रसव की वेदना झेल रहीं करीब महिलाओं को सुरक्षित प्रसव के लिए अस्पताल की सुविधा नहीं मिल पा रही है। राज्य में पिछले एक साल में तीन लाख 14 हजार से अधिक प्रसव हुए। इनमें से 80 हजार 591 महिलाओं की डिलिवरी अस्पताल में न होकर घर में हुई।

सरकारी भाषा में इसे गैर संस्थागत प्रसव कहा जाता है। छत्तीसगढ़ में यह स्थिति ऐसे समय पर है, जब पूरे प्रदेश में महतारी एक्सप्रेस के नाम से 300 गाड़ियां 24 घंटे इस काम के लिए चलाई जा रही हैं कि वे गर्भवती महिलाओं को अस्पताल लेकर आएं।

सरकारी अस्पताओं में इसी काम के लिए करीब साढ़े चार सौ एम्बुलेंस दी गई हैं। प्रदेश की स्वास्थ्य सेवाओं की कलई इस आंकड़े से भी खुल रही है कि सालभर में 317 गर्भवती महिलाओं और साढ़े 6 हजार से अधिक बच्चों की मौत हो चुकी है।

छत्तीसगढ़ में स्वास्थय सेवाओं की बदहाली का आलम यह है कि राज्य के गांवों में सरकारी अस्पतालों, प्राथमिक स्वास्थ्य सेवाओं की संख्या बहुत कम है। जहां अस्पताल हैं भी, वहां प्रशिक्षित डॉक्टर नहीं हैं, जहां डाक्टरों की पोस्टिंग है तो वहां विशेषज्ञ चिकित्सक नहीं हैं। और तो और, जहां अस्पताल और डॉक्टर हैं, वहां इलाज के लिए आवश्यक उपकरण और दवाएं नहीं हैं। नतीजतन गांवों के लोगों को अपने जीवन की रक्षा के लिए शहरों का रुख करना पड़ रहा है, जिनके पास इलाज का खर्च उठाने की ताकत नहीं है, वे मौत के मुंह में जा रहे हैं।

संस्थागत प्रसव में कमी

छत्तीसगढ़ में वर्ष 2014-15 में 3 लाख 14 हजार 949 महिलाओं के प्रसव सरकारी और प्राइवेट अस्पतालों में हुए, इनमें से 80 हजार 591 महिलाएं ऐसी हैं, जो अस्पताल तक नहीं पहुंचाई जा सकीं यानी करीब 25.59 महिलाओं ने घरों में ही बच्चों को जन्म दिया। इस मामले में सबसे खराब स्थिति मुंगेली जिले की है, जहां करीब 70 फीसदी महिलाओं की डिलिवरी घरों में हुई।

दंतेवाड़ा जिले में गैर संस्थागत प्रसव का प्रतिशत 45.89,बीजापुर का 47.23, सुकमा का 45.54, नारायणपुर का 44.51, बिलासपुर का 43.40 है। इतनी महिलाओं को प्रसव के लिए अस्पताल नसीब हुए। इस संबंध में स्वास्थ्य विभाग का पक्ष जानने स्वास्थ्य संचालक डॉ.आर. प्रसन्ना से कई बार संपर्क का प्रयास किया गया, लेकिन उनसे संपर्क नहीं हो पाया।

सबसे अधिक माताओं की मौत

2014-15 में माता एवं शिशु मृत्यु के आंकड़ों के अनुसार 317 माताओं की मौत हुई। इनमें सबसे अधिक 28 महिलाएं कोरबा जिले की हैं। इसी अवधि में कुल 6 हजार 651 शिशुओं की जानें गईं। सबसे अधिक 573 शिशु भी कोरबा जिले के हैं। इसके अलावा राजनांदगांव में 555,कांकेर में 468,बिलासपुर में 345, रायगढ़ में 381,बस्तर में 327 शिशुओं ने दम तोड़ा।

महतारी एक्सप्रेस पर 30 करोड़ का खर्च

राज्य में वर्ष 2013 में बिलासपुर से महतारी एक्सप्रेस शुरू की गई थी। प्रदेश के सभी 27 जिलों में 300 महतारी एक्सप्रेस चलाई जा रही है। इस पर सालाना 30 करोड़ रुपयों का खर्च आता है। यह एक्सप्रेस गर्भवती महिलाओं को उनके घर से अस्पताल तक लाती है, जरूरत पड़ने पर एक से दूसरे अस्पताल के लिए भी ले जाया जाता है। इस सेवा से जुड़े एक अधिकारी ने नईदुनिया से चर्चा में स्वीकार किया कि 80 हजार से अधिक महिलाओं की उनकी घरों में डिलिवरी होना चिंता की बात है।

इतनी बड़ी संख्या में महिलाओं को महतारी एक्सप्रेस का लाभ न मिलने के पीछे सबसे बड़ी वजह यह है कि महतारी एक्सप्रेस योजना का समुचित प्रचार प्रसार नहीं हो पाया है। यह सुविधा निःशुल्क फोन नबंर 102 पर फोन करके हासिल की जा सकती है, लेकिन लोगों को इसके बारे में जानकारी कम है।

पिछले एक साल में महतारी एक्सप्रेस के जरिए 2 लाख 4 हजार 177 महिलाओं को प्रसव के लिए अस्पताल लाया गया है। इसी एक्सप्रेस से शिशुओं को भी अस्पताल लाए जाने की सुविधा है। एक साल के भीतर 57 हजार 133 बच्चे घरों से अस्पताल लाए गए या एक से दूसरे अस्पताल ले जाए गए।

फैक्ट फाइल

प्रदेश में जिला अस्पलाल-27

सब सेंटर-5161

प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र-783

सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र-157

साल भर में कुल प्रसव- 314949

संस्थागत प्रसव-229020 (प्रतिशत,72.72)

गैर संस्थागत प्रसव-80591(प्रतिशत 25.59

कुल माताओं की मृत्य-317,

कुल शिशुओं की मृत्यु -6651

महतारी एक्सप्रेस की संख्या 300

सरकारी अस्पतलों में एबुंलेंस- करीब 450


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