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न्यूज क्लिपिंग्स् | छत्‍तीसगढ़ में सूखती फसलों को भादो में मिली संजीवनी

छत्‍तीसगढ़ में सूखती फसलों को भादो में मिली संजीवनी

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published Published on Sep 22, 2015   modified Modified on Sep 22, 2015
रायपुर। भादो मास में हो रही लगातार बारिश से छत्तीसग़ढ़ की खेती-किसानी संभलने लगी है। एक ओर सूखती फसलों के लिए ये बारिश संजीवनी का काम कर रही है, वहीं रबी की फसलों के लिए भी ये जमीन तैयार कर रही है। खेती के जानकारों का कहना है कि लंबी अवधि की फसलों के लिए यह पानी फायदेमंद है।

पिछले चार दिनों की बारिश से राज्य के जलाशयों में पानी भर गया है और रबी फसल के लिए पानी भी स्टॉक हो गया है। अभी तक जलाशयों के खाली होने से पीने के पानी की चिंता शुरू हो गई थी और ऐसे समय में बारिश ने संजीवनी का काम किया है। हालांकि अभी लंबी अवधि के फसलों के लिए एक अभी एक बार और बारिश की जरूरत है।

किसानों का कहना है कि इस बारिश से जमीन काफी गीली हो गई हैं, जो रबी की बोनी के लिए उपयुक्त हैं। लगभग 20 दिनों के बाद उतेरा भी शुरू होगा। इसके लिए भी खेत तैयार हैं।

सोमवार को भी प्रदेश में मानसून सक्रिय रहा और कई स्थानों पर भारी से अतिभारी वर्षा हुई है। सर्वाधिक वर्षा दुर्गकोंदूल और बीजापुर में 18 सेमी रिकॉर्ड किया गया है। मौसम विभाग के मुताबिक आगामी चौबीस घंटे में भी प्रदेश में हल्की से मध्यम वर्षा होगी, लेकिन उत्तर छत्तीसगढ़ में जोरदार बारिश होने की संभावना है।

बारिश के आंकड़े सेमी में

बीजापुर-18, डोंगरग़ांव-17, डोंगरगढ़-16, पलारी-11,पथरिया-11, जैजैपुर-10, नगरी-9, बेमेतरा-9, पंडरिया-9, पेंड्रारोड-9, मरवाही-9, रायगढ़-9, तिल्दा-7,सिमगा-7, महासमुंद-7, मुंगेली-7

बारिश खेती के लिए संजीवनी का काम कर रही है। फसलों को पानी की बहुत जरूरत थी। सूख रहे फसलों को इससे बड़ी राहत मिली है और रबी के लिए भी यह उपयुक्तहै। जलाशयों में भी पानी भर गया है।

-एसआर पटेल, कृषि वैज्ञानिक, इंदिरा गांधी कृषि विवि रायपुर

जल्द पकने वाले धान के लिए बेहतर स्थिति बन गई है, लेकिन लंबी अवधि की किस्मों के लिए अभी और पानी चाहिए। सरगुजा जिला के लिए फायदा अधिक होगा। अभी बारिश थमेगी ।

- डॉ. एएसआरएस शास्त्री, कृषि मौसम वैज्ञानिक

सभी तरह की फसल के लिए अभी बारिश फायदेमंद है और अकाल भी नहीं रह गया। खेत में धान की फसल खड़ी है और पानी गिर रहा है, इसलिए नुकसान नहीं होगा, इसलिए किसानों को खुले मौसम में ही जल्द पकने वाला धान काटना चाहिए। यदि पानी रुक जाएगा तो देर से पकने वाले धान में थोड़ी दिक्कत होगी। हालांकि ये धान किसान उन्हीं खेतों में बोते हैं, जहां पानी को संचित करने की क्षमता अधिक होती है।

-डॉ. संदीप भंडारकर,कृषि वैज्ञानिक,एग्रीकल्चर विवि।

ओडिशा और बिहार के बीच बने कम दबाव के असर से प्रदेश में दो दिनों तक अच्छी बारिश हुई है। अब यह सरक कर आगे बढ़ चुका है, इसलिए केवल सरगुजा संभाग में इसका असर रहने की संभावना है।

-एम. गोपाल राव, मौसम विज्ञानी, लालपुर केन्द्र

 


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