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न्यूज क्लिपिंग्स् | छह फीसद से ऊपर रह सकती है देश की आर्थिक विकास दर

छह फीसद से ऊपर रह सकती है देश की आर्थिक विकास दर

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published Published on Dec 1, 2017   modified Modified on Dec 1, 2017
नई दिल्ली। देश में जीएसटी लागू होने के बाद दूसरी तिमाही (जुलाई-सितंबर) में अर्थव्यवस्था के नतीजों पर सबकी निगाहें टिकी हैं। पहली तिमाही में आर्थिक विकास की दर 5.7 फीसद पर सिमट जाने के बाद अब चालू वित्त वर्ष की दूसरी तिमाही में इसके छह फीसद से ऊपर रहने की उम्मीद है। अर्थशास्त्रियों और आर्थिक विश्लेषक एजेंसियों का अनुमान है कि दूसरी तिमाही की आर्थिक विकास दर छह से 6.3 फीसद के बीच रह सकती है। केंद्रीय सांख्यिकी कार्यालय बुधवार को दूसरी तिमाही के आर्थिक आंकड़े जारी करेगा।


अर्थव्यवस्था को लेकर अर्थशास्त्रियों और उद्योग संगठनों के आकलन के मुताबिक दूसरी तिमाही में देश में मैन्यूफैक्चरिंग के हालात सुधरे हैं और मांग में इजाफा हुआ है। खासतौर पर ग्रामीण और अर्धशहरी क्षेत्र के बाजार से मांग में तेजी से सुधार हुआ है। यह अर्थव्यवस्था के आंकड़ों में सकारात्मक सहयोग करेगा।


दूसरी तिमाही के आकलन के संबंध में उद्योग संगठन फिक्की ने कहा कि नोटबंदी और वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) को लागू किए जाने की वजह से आई आर्थिक सुस्ती अब समाप्त हो रही है और चालू वित्त वर्ष की दूसरी तिमाही में विकास दर 6.2 प्रतिशत और तीसरी तिमाही में इसके बढ़कर 6.7 प्रतिशत पर पहुंचने का अनुमान है। मार्च में समाप्त हो रहे वित्त वर्ष में वित्तीय घाटा के 3.3 प्रतिशत पर और आर्थिक विकास दर 6.7 प्रतिशत रहने की संभावना है।


फिक्की के आर्थिक परिदृश्य सर्वेक्षण के अनुसार नोटबंदी का असर समाप्त हो चुका है, जीएसटी को लेकर आई अस्थिरता भी लगभग खत्म हो चुकी है। जहां तक जीडीपी की दर को लेकर सरकार के आकलन का सवाल है आर्थिक मामलों के सचिव सुभाष चंद्र गर्ग ने भी कहा है कि इसमें कमी का दौर अब खत्म हो चुका है। दूसरी तिमाही से इसमें सुधार के संकेत दिखने लगेंगे। गर्ग ने कहा "पहली तिमाही की तुलना में दूसरी तिमाही का आर्थिक प्रदर्शन काफी बेहतर रहेगा।"


फिक्की के मुताबिक नई अप्रत्यक्ष कर व्यवस्था अब स्थिर हो रही है और आगे अर्थव्यवस्था में सुधार देखने को मिल सकता है। रिपोर्ट में कहा गया है कि आर्थिक विकास दर में यदि अनुमान से अधिक की तेजी आई तो यह 7.1 प्रतिशत तक जा सकती है लेकिन यदि गिरावट आती है तो यह 5.9 प्रतिशत पर आ सकती है।


सर्वेक्षण में शामिल अर्थशास्त्रियों ने जीएसटी से जुड़े अनुपालन के बोझ को कम करने के लिए सरकार द्वारा उठाए गए कदमों और जीएसटी को सरलता से लागू करने की दिशा में जारी प्रयासों के साथ ही सरकारी बैंकों के पुनपूर्जीकरण की योजना, इन्फ्रास्ट्रक्चर क्षेत्र पर निवेश बढ़ाने जैसे कदमों को सराहा और कहा कि विकास में तेजी लाने की बाधाओं को सरकार ने स्पष्ट तौर पर दूर करने का प्रयास किया है।


दूसरी तरफ ब्रिटेन की अंतरराष्ट्रीय ब्रोकरेज एजेंसी एचएसबीसी का मानना है कि दूसरी तिमाही में जीवीए 6.3 फीसद रह सकता है। जुलाई से सितंबर की तिमाही में औद्योगिक उत्पादन की रफ्तार की दर चार फीसद से ऊपर रहने की उम्मीद है। लेकिन कृषि उपज में कमी के चलते अर्थव्यवस्था की विकास दर की रफ्तार धीमी रह सकती है।


हालांकि एचएसबीसी ने महंगाई को लेकर भी चिंता जताई है और कहा है कि खाद्य उत्पादों और फ्यूल की कीमतों में वृद्धि की आशंका को देखते हुए महंगाई का जोखिम रिजर्व बैंक को मौद्रिक नीति की अगली समीक्षा में ब्याज दरों में बदलाव करने से रोक सकता है। रिजर्व बैंक अपनी नीति की समीक्षा छह दिसंबर को करेगा।


वित्तीय एजेंसी इकरा का भी मानना है कि दूसरी तिमाही में जीवीए 6.3 फीसद रह सकता है। इकरा का भी मानना है कि आर्थिक विकास के आंकड़ों में सुधार की मूल वजह औद्योगिक परिदृश्य में आया बदलाव रहेगा।


http://naidunia.jagran.com/business/trade-indias-growth-rate-may-remain-above-6-percent-says-experts-1426120?utm_source=naidunia&utm_medium=navigation


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