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न्यूज क्लिपिंग्स् | छह साल चली डूब की जांच निचोड़ में सिर्फ सिफारिशें

छह साल चली डूब की जांच निचोड़ में सिर्फ सिफारिशें

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published Published on Aug 2, 2014   modified Modified on Aug 2, 2014
पटना : छह साल बाद कोसी के कुसहा तटबंध टूटने की जांच रिपोर्ट सामने आयी है. जस्टिस राजेश वालिया की अध्यक्षता में गठित जांच आयोग ने माना है कि जल संसाधन विभाग के आपसी समन्वय की कमी से कुसहा तटबंध टूटने की जानकारी सरकार को देर से मिली.

साढे सात सौ पन्‍नों की वालिया आयोग की रिपोर्ट के अनुसार, जिस समय कुसहा में तटबंध टूट रहा था, वहां तैनात अधिकारियों ने सही निर्णय नहीं लिया. घटना में आयोग ने किसी खास व्यक्ति को दोषी नहीं ठहराया है. पर, वीरपुर में तैनात मुख्य अभियंता से लेकर राज्य मुख्यालय में तैनात वरीय अधिकारियों पर भी सवाल उठाये हैं. रिपोर्ट में है कि पूर्वी कोसी एफ्लक्स बांध पर तैनात तत्कालीन अधिकारियों को क्यों नहीं पर्याप्त सामग्री आपूर्ति की गयी, इसकी अलग से जांच की जरूरत है.

आयोग ने 2003-08 तक कुसहा तटबंध की मरम्मत पर हुए खर्च की जांच कराने की सिफारिश की है. साथ ही है कि एसडीओ को पांच अगस्त को ही सूचना दी गयी थी कि तटबंध में टूट हो रही है. पर, अगले दिन सुबह नौ बजे तक कोई लिखित आदेश जारी नहीं हुआ, जबकि निश्चित हो गया था कि नदी धारा बदल रही है. आयोग ने कुसहा की तबाही के लिए तत्कालीन मुख्य अभियंता सत्य नारायण पर ठीकरा फोड़ा है. मुख्य अभियंता से लेकर मुख्यालय के अधिकारियों की रही लापरवाही

सरकार ने दिया आदेश

सरकार ने दो कमेटियों का गठन किया है. पहली अभियंता प्रमुख राम पुकार रंजन की अध्यक्षता में गठित की गयी. इसमें संयुक्त सचिव, प्रबंधन सुशील कुमार और रवींद्र कुमार शंकर, कार्यपालक अभियंता, बाढ़ प्रमंडल पटना और मुरलीधर सिंह सदस्य सचिव बनाये गये हैं.

दूसरी अभियंता प्रमुख उत्तर राजेश्वर दयाल की अध्यक्षता में गठित की गयी है. इसमें मुख्य अभियंता इंदुभूषण कुमार, संयुक्त सचिव मो सुहेल, कार्यपालक अभियंता दिनेश प्रसाद, योगश्वर धारी सिंह को सदस्य सचिव नियुक्त किया गया है. दोनों को छह माह में रिपोर्ट देनी है.

‘‘आयोग के सुझावों पर अमल शुरू हो गया है. आयोग के प्रक्रियात्मक सुझावों पर काम आरंभ हो गया है. सरकार ने कमेटियां गठित कर दी हैं.

विजय कुमार चौधरी, मंत्री

‘‘सरकार ने चतुराई से अंतिम दिन जांच रिपोर्ट पेश की है, ताकि चर्चा नहीं हो सके. इस पर एक दिन चर्चा होनी चाहिए थी. कोसी त्रसदी बडी घटना थी. सरकार घिरती दिखायी दे रही थी. अभी तक पीड़ितों का पुनर्वास नहीं हो पाया है.

नंदकि शोर यादव, नेता विपक्ष

आयोग की जांच के बिंदु

- क्या किसी संस्था या अधिकारी द्वारा पूर्वी एपफ्लक्स बांध के कटाव को रोकने के संबंध में लापवरवाही बरती गयी,

- 2008 में बाढ़ के पूर्व कटाव निरोधक कार्य पूरे कर लिये गये थे, स्थानीय इंजीनियरों के सुझावों पर अमल करने से घटना को रोका जा सकता था,

- 1990 से 2005 तक कोसी तटबंध और स्पर को सुदृढ़ करने के कोई उपाय किये गये थे,

- कोसी नदी की धारा बदलने के स्पष्ट मिल रहे संकेतों के आधार पर कोई कार्ययोजना बनायी गयी

- उच्चस्तरीय कोसी समिति के स्पर को यथावत रखने की सिफारिश पर्याप्त थी


http://www.prabhatkhabar.com/news/133702-Some-did-not-reputation-job-banishment-Nitish.html


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