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न्यूज क्लिपिंग्स् | जीएम सरसों: एमएनसी का मायाजाल

जीएम सरसों: एमएनसी का मायाजाल

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published Published on Oct 28, 2022   modified Modified on Nov 1, 2022

पत्रिका, 28 अक्टूबर

बहुराष्ट्रीय कंपनियों का मायाजाल बढ़ता जा रहा है। दिल्ली विश्वविद्यालय की ओर से विकसित किए गए जेनेटिकली मॉडिफाइड (जीएम) सरसों की किस्म डीएमएच-11 (धारा मस्टर्ड हाइब्रिड) को जेनेटिक इंजीनियरिग अप्रेजल कमेटी (जेइएसी) से एनवायरमेंटल रिलीज की अनुमति मिल जाना बहुराष्ट्रीय कंपनियों के मायाजाल का ताजा विस्तार है। जेइएसी की बैठक में डीएमएच-11 को चार साल के लिए मंजूरी दी गई है। अगले दो साल तक इंडियन काउंसिल ऑफ एग्रीकल्चर रिसर्च (आइसीएआर) के साथ इसके पर्यावरणीय प्रभाव पर रिसर्च करने की बात कही गई है।
पर्यावरणीय और स्वास्थ्य चिंताओं के बीच भारत में जीएम खाद्यान्न को शामिल करने की दिशा में पहला बड़ा कदम माना जा रहा है। यदि सरकार से भी मंजूरी मिल जाती है, तो देश में जीएम सरसों की व्यावसायिक खेती का रास्ता खुल जाएगा, जो भविष्य में विनाशकारी साबित हो सकता है। पर्यावरणविदों का मानना है कि यदि जीएम सरसों की व्यावसायिक खेती शुरू होती है, तो इससे सिर्फ एक बहुराष्ट्रीय कंपनी बायर को फायदा होगा, क्योंकि जीएम सरसों की फसल को कीटनाशकों और खरपतवार से बचाने के लिए सिर्फ बायर कंपनी के कीटनाशक ही कारगर होंगे। अन्य कीटनाशकों से फसल जल जाएगी। जीएम फसलों की पहले से खेती करने वाले देशों के अनुभवों के आधार पर दावा किया जा रहा है कि जीएम फसलों पर सामान्य फसलों से कहीं ज्यादा कीटनाशकों का इस्तेमाल होता है। पहले ही फसलों में इस्तेमाल होने वाले कीटनाशकों के जरिए कैंसर जैसी जानलेवा बीमारियां बढ़ रही हैं। जीएम सरसों से बने खाद्य तेलों या सरसों के साग के साथ कीटनाशक के रूप में हम जहर खाने को मजबूर हो जाएंगे। जीएम सरसों के पक्षधर कहते हैं कि खाद्य तेलों के बढ़ते दाम को देखते हुए सरसों उत्पादन बढ़ाने का यही तरीका है। जबकि विशेषज्ञों का दावा है कि देश में सरसों की ऐसी किस्में मौजूद हैं जिनसे जीएम सरसों की तुलना में ज्यादा उत्पादन हो सकता है। अब ऐसी सरसों की किस्मों को बढ़ावा देने के लिए इस पर आयात शुल्क को 100 गुना बढ़ाना पड़ेगा।
पूरी खबर- पत्रिका


पत्रिका, 28 अक्टूबर https://www.patrika.com/opinion/gm-mustard-mnc-s-magic-7840175/
 

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