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न्यूज क्लिपिंग्स् | जानवरों के शवों को जलाने में आने वाले खर्च को बचाते हैं लकड़बग्घे

जानवरों के शवों को जलाने में आने वाले खर्च को बचाते हैं लकड़बग्घे

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published Published on Jan 4, 2024   modified Modified on Jan 4, 2024

मोंगाबे हिंदी, 04 जनवरी 

वैसे तो गिद्धों को शवों का निपटारा करने वाले जीवों के रूप में जाना जाता है लेकिन एक और ऐसा ही ‘सफाईकर्मी’ है जिसके योगदान को अक्सर नजरअंदाज कर दिया जाता है, वह है लकड़बग्घा। अगस्त 2023 में प्रकाशित हुई एक नई स्टडी में पाया गया है कि राजस्थान के सवाई मानसिंह वाइल्डलाइफ सैंक्चुअरी में धारीदार लकड़बग्घे हर साल 23 टन पालतू जानवरों के शव और 17 टन जंगली जानवरों के शव खा गए। ये आंकड़े 2019 से 2020 के बीच हुई स्टडी के दौरान के हैं। इन लकड़बग्घों के चलते ही बिजली से शवों को जलाने या चिता पर जलाकर शवों को खत्म करने में आने वाला करोड़ों का खर्च बचा है। यह स्टडी अपने तरह का पहला अनुमान है जिसमें इंसानों की बहुलता वाले इलाकों में रह रहे धारीदार लकड़बग्घों की ओर से की जाने वाली सफाई को आर्थिक फायदों के रूप में देखा गया है।

उत्तर प्रदेश की एमिटी यूनिवर्सिटी के एमिटी इंस्टीट्यूट ऑफ फॉरेस्ट्री एंड वाइल्डलाइफ में असोसिएट प्रोफेसर और इस स्टडी के लेखक रणदीप सिंह कहते हैं, “हमने पाया कि धारीदार लकड़बग्घे बहुत बड़े स्तर पर पालतू और जंगलों जानवरों के शवों को खत्म करके सफाई कर रहे हैं। इससे न सिर्फ बीमारियां फैलने का खतरा कम होता है बल्कि साफ-सफाई रहती है, पर्यावरण साफ रहता है और आर्टिफिशियल तरीके से जानवरों के शवों को जलाने का खर्च भी बचता है। इस स्टडी से लकड़बग्घों की आमतौर पर नकारात्मक दिखने वाली छवि को भी बदला जा सकता है और उनके संरक्षण को भी बढ़ावा मिल सकता है।”
पूरी खबर- मोंगाबे हिंदी


मोंगाबे हिंदी, 04 जनवरी https://hindi.mongabay.com/2024/01/02/scavenging-hyenas-save-carcass-disposal-costs/
 

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