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न्यूज क्लिपिंग्स् | जजों की नियुक्ति की नई व्यवस्था पर लोकसभा की मुहर आज

जजों की नियुक्ति की नई व्यवस्था पर लोकसभा की मुहर आज

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published Published on Aug 13, 2014   modified Modified on Aug 13, 2014
नई दिल्ली। क्या देश में हाई कोर्ट और सुप्रीम कोर्ट जजों की नियुक्ति की कॉलेजियम व्यवस्था समाप्त होने जा रही है? यह सवाल इसलिए उठा है, क्योंकि आज केंद्रीय कानून मंत्री रविशंकर प्रसाद जजों की नियुक्ति संबंधित संशोधित बिल लोकसभा में पेश करेंगे और कांग्रेस के समर्थन से इसके पास होने की भी संभावना है।

सरकार चाहती है कि कॉलेजियम सिस्टम के स्थान पर जजों की नियुक्ति के लिए नेशनल ज्यूडिशियल एपॉइन्टमेंट्स कमिशन (एनजेएसी) बनाया जाए। इसके लिए संविधान संशोधन बिल लाया गया है।

मंगलवार को भी लोकसभा में इस बिल पर चर्चा हुई थी। पक्ष हो या विपक्ष व्यवस्था बदलने के लिए सब एकमत थे। कुछ लोगों ने विधेयक में थोड़े बहुत बदलाव की सलाह दी तो कुछ ने हाईकोर्ट में नियुक्ति और स्थानांतरण के लिए अलग से राज्य न्यायिक नियुक्ति आयोग बनाने का सुझाव दिया। चर्चा के दौरान सांसद यह कहने से भी नहीं चूके कि न्यायपालिका जब चाहती है उन पर (राजनीतिज्ञों पर) आलोचनात्मक टिप्पणियां करती है।

उनके पास भी न्यायपालिका की आलोचना के कई मुद्दे हैं लेकिन वे न्यायपालिका का सम्मान करते हैं इसलिए टिप्पणी नहीं कर रहे। न्यायपालिका को भी यह बात समझनी चाहिए।

केंद्रीय कानून मंत्री प्रसाद ने विधेयक पर चर्चा शुरू करते हुए कहा कि सरकार न्यायपालिका की स्वतंत्रता की पक्षधर है लेकिन संसद की गरिमा और सर्वोच्चता भी उतनी ही महत्वपूर्ण है। यह जनता की आकांक्षाओं का प्रतिबिंब है।

देश में जजों की नियुक्ति का इतिहास

1993 से पूर्व : सुप्रीम कोर्ट के जजों की सलाह से कानून मंत्री नए जजों की नियुक्ति करते थे।

1993 के बाद : सुप्रीम कोर्ट और हाई कोर्ट जजों की नियुक्ति के लिए कॉलेजियम सिस्टम बना। किसी भी हाई कोर्ट जज की नियुक्ति के लिए संबंधित हाई कोर्ट के कॉलेजियम की सहमति अनिवार्य होती थी। हाई कोर्ट कॉलेजियम से नाम तय होने के बाद सुप्रीम कोर्ट के तीन जजों का कॉलेजियम अंतिम मुहर लगाता था और सरकार के पास भेजता था।

2014 : अगर संशोधित बिल तमाम बाधाएं पार कर लेता है तो छह सदस्यों का पैनल बनेगा। इसमें कानून मंत्री और सीजेआई के साथ ही सुप्रीम कोर्ट के दो जज और दो अन्य सदस्य होंगे। किसी भी जज की नियुक्ति के लिए कम से कम पांच सदस्यों की सहमति अनिवार्य होगी।

 


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