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न्यूज क्लिपिंग्स् | जन-धन योजना के बाद अब सरकार की घर-घर बीमा उत्पाद पहुंचाने की तैयारी- प्रशांत श्रीवास्तव

जन-धन योजना के बाद अब सरकार की घर-घर बीमा उत्पाद पहुंचाने की तैयारी- प्रशांत श्रीवास्तव

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published Published on Oct 24, 2014   modified Modified on Oct 24, 2014
नई दिल्ली। मोदी सरकार सभी के बैंक खाते खोलने के अभियान जन-धन की तरह अब बीमा उत्पादों को भी घर-घर पहुंचाने की तैयारी में है। इसके लिए सरकार ऐसे बीमा उत्पाद लांच करने की कोशिश में हैं, जिस पर आम आदमी को बहुत कम प्रीमियम देना पड़े। बीमा विनियामक और विकास प्राधिकरण (इरडा) बीमा कंपनियों के साथ मिलकर नए तरह के उत्पाद डिजाइन करने की कवायद शुरू भी कर चुका है। मोटे तौर पर नए उत्पाद की खासियत यह होगी कि उसके जरिए ग्राहक के प्रीमियम चुकाने के रिकार्ड को देखते हुए, बीमा कवर बढ़ाया जाएगा। ठीक उसी तरह जैसे जन-धन योजना में ग्राहक के रिकार्ड को देखते हुए उसके कर्ज देने की सीमा में इजाफा करने का प्रावधान किया गया है।

वित्त मंत्रालय के सूत्रों के मुताबिक जन-धन योजना के तहत अभी तक 6 करोड़ रुपए से ज्यादा के खाते खोले जा चुके हैं। साथ ही उस पर 1 लाख रुपए का दुर्घटना बीमा कवर भी दिया जा रहा है। हमारी कोशिश है कि वित्तीय समावेशन के लिए देश के सभी लोगों तक बीमा उत्पादों की भी पहुंच बने। इसी के तहत इंडस्ट्री और बीमा नियामक इरडा के साथ ऐसे सरल उत्पाद डिजाइन किए जाएं, जो कि न केवल शुरुआती तौर पर ग्राहकों के लिए आसान हो, बल्कि बीमा कंपनियों के लिए भी फायदेमंद हो। इसी के तहत इस तरह का प्रस्ताव आया है कि ऐसे उत्पाद डिजाइन किए जाए जिसमें शुरू में ग्राहक को कम प्रीमियम के जरिए हेल्थ इंश्योरेंस, जीवन बीमा का कवर मिल सके। इसके तहत ग्राहक के पास लंबी अवधि का कवर नहीं होगा। जैसे-जैसे ग्राहक का प्रीमियम देने का रिकार्ड अच्छा होता जाएगा, साथ ही उसका केवाईसी मजबूत होता जाएगा। उसके कवर में इजाफा होता जाएगा।

सिंगापुर, इंडोनेशिया के मॉडल पर विचार

सूत्रों के अनुसार इस संबंध में इंडस्ट्री ने इरडा के पास सिंगापुर, इंडोनेशिया जैसे देशों के मॉडल को अपनाने का सुझाव दिया है। जहां पर ज्यादा जोखिम वाले ग्राहकों को शुरूआत में बेसिक कवर दिया जाता है। यानी ग्राहक को लंबी अवधि का बीमा कवर नहीं मिलता है। इस कारण न केवल ग्राहक को कम प्रीमियम चुकाना पड़ता है, बल्कि उसका रिकार्ड बेहतर होने पर उसका कवर भी बढ़ता जाता है। इस मामले पर एडिलवाइस टोक्यो लाइफ इंश्योरेंस कंपनी के एमडी और सीईओ दीपक मित्तल का कहना है कि बीमा उत्पादों को सभी तबके तक पहुंचाना वित्तीय समावेशन का हिस्सा है। ऐसे में हमें ग्रामीण और शहरी क्षेत्रों को अलग-अलग बाजार के रूप में देखना सही नहीं है। ग्रामीण क्षेत्रों में कई ऐसे ग्राहक हैं, जिन्हें किसी शहरी ग्राहक के तरह उत्पाद की जरूरत है, इसी तरह शहरी क्षेत्रों में बहुत ऐसे ग्राहक हैं, जिन्हें ग्रामीण ग्राहकों की तरह उत्पाद की जरूरत है।

केवल 4-5 फीसदी आबादी तक है पहुंच

देश में केवल 4-5 फीसदी आबादी ही बीमा उत्पादों तक पहुंच रखती है। ऐसे में मोदी सरकार के लिए यह एक बड़ी चुनौती है कि ज्यादा से ज्यादा लोग बीमा का लाभ उठा पाए। देश के सभी क्षेत्रों में पहुंच बनाने के लिए बीमा कंपनियों को भारी मात्रा में निवेश की जरूरत है। इसी के मद्देनजर एनडीए सरकार बीमा विधेयक को संसद के शीतकालीन सत्र में पेश करने की तैयारी में है। जिसमें एफडीआई सीमा 49 फीसदी करने के साथ दूसरे अहम बदलाव करने की तैयारी है।

http://money.bhaskar.com/news/NR-PAP-modi-government-planning-of-delivering-insurance-products-4785063-NOR.html


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