Deprecated (16384): The ArrayAccess methods will be removed in 4.0.0.Use getParam(), getData() and getQuery() instead. - /home/brlfuser/public_html/src/Controller/ArtileDetailController.php, line: 150
 You can disable deprecation warnings by setting `Error.errorLevel` to `E_ALL & ~E_USER_DEPRECATED` in your config/app.php. [CORE/src/Core/functions.php, line 311]
Deprecated (16384): The ArrayAccess methods will be removed in 4.0.0.Use getParam(), getData() and getQuery() instead. - /home/brlfuser/public_html/src/Controller/ArtileDetailController.php, line: 151
 You can disable deprecation warnings by setting `Error.errorLevel` to `E_ALL & ~E_USER_DEPRECATED` in your config/app.php. [CORE/src/Core/functions.php, line 311]
Warning (512): Unable to emit headers. Headers sent in file=/home/brlfuser/public_html/vendor/cakephp/cakephp/src/Error/Debugger.php line=853 [CORE/src/Http/ResponseEmitter.php, line 48]
Warning (2): Cannot modify header information - headers already sent by (output started at /home/brlfuser/public_html/vendor/cakephp/cakephp/src/Error/Debugger.php:853) [CORE/src/Http/ResponseEmitter.php, line 148]
Warning (2): Cannot modify header information - headers already sent by (output started at /home/brlfuser/public_html/vendor/cakephp/cakephp/src/Error/Debugger.php:853) [CORE/src/Http/ResponseEmitter.php, line 181]
न्यूज क्लिपिंग्स् | जमींदोज हुआ डेहरी का बाध उद्योग

जमींदोज हुआ डेहरी का बाध उद्योग

Share this article Share this article
published Published on Dec 14, 2009   modified Modified on Dec 14, 2009

डेहरी-आनसोन (रोहतास) एक दशक पूर्व तक करघे की खट-खट से गुलजार रहने वाले डेहरी के शिवगंज, कमरनगंज व चौधरी मुहल्ले की मशीने शांत पड़ गयी हैं। संरक्षण के अभाव में बाध (रस्सी) का कुटीर उद्योग जमींदोज हो गया। इससे कभी सैकड़ों निषाद परिवारों के घर के चूल्हे चलते थे, आज वे दिहाड़ी मजदूर बन गये हैं। नगर परिषद के अंतर्गत पड़ने वाले चौधरी मुहल्ला, शिवगंज व कमरनगंज में लगभग 85 परिवार इससे जुड़े थे। प्रत्यक्ष व परोक्ष तौर पर पांच सौ से अधिक परिवार इससे लाभान्वित होते थे। घर की महिलाएं इसमें महत्वपूर्ण भूमिका निभाती थी।

चौधरी मुहल्ला की चमेला देवी बताती हैं कि एक मशीन से प्रतिदिन 8-10 किलो बाध तैयार किये जाते थे। प्रतिदिन लगभग आठ क्विंटल रस्सी का उत्पादन होता था। खाट बिनाई हेतु इस बाधी की झारखंड के हरिहरगंज, डालटेनगंज, बंगाल के आसनसोल व उत्तर प्रदेश के वाराणसी में काफी मांग थी। वहां के व्यवसायी यहां से बाध खरीदकर ले जाते थे।

मुख्य बाजार में गांधी स्मारक के निकट इसकी मंडी लगती थी। जहां खुदरा व थोक व्यवसायी जुटते थे। बगई जैसे कच्चा माल ट्रकों में नेपाल से यहां आता था। उसमें सोन में उगने वाले काशी व मूंज मिलाकर रस्सी का निर्माण किया जाता था। नेपाल से बगई की आपूर्ति बंद होने से इस उद्योग पर संकट के बादल छाने लगे। इस व्यवसाय से जुड़ी बतासो देवी, वंधिया देवी, तेतरी, माया, चमेला, सोना, शांति, विधवा उर्मिला व भुलाही बताती हैं कि कच्चे माल की कमी के बाद सोन नदी में उगने वाले काशी व मूंज से रस्सी निर्माण का प्रयास किया गया। लेकिन सोन टिल्हे पर दबंगों के कब्जे से समस्या खड़ी हो गई। कच्चे माल के अधिक दाम पर मिलने के कारण यह धंधा दम तोड़ दिया। शिवगंज की तेतरी बताती है कि इस धंधे को कोई सरकारी सहयोग नहीं मिला। इससे जुड़ी महिलाएं अब खेतों में कुटनी का काम करती हैं। पुरुष मछली, ठेला चलाने तथा दिहाड़ी मजदूर के रूप में काम करते हैं।

सामाजिक कार्यकर्ता डा. विजेन्द्र चौधरी की माने तो उस वक्त इस उद्योग को बचाने के लिए प्रशासन से गुहार लगाई गई। लेकिन प्रशासन ने कोई ध्यान नहीं दिया। आधुनिकता के दौर में रस्सी की मांग कम होना भी उद्योग पर संकट का एक कारण है।


http://in.jagran.yahoo.com/news/local/bihar/4_4_6018986_1.html
 

Write Comments

Your email address will not be published. Required fields are marked *

*

Video Archives

Archives

share on Facebook
Twitter
RSS
Feedback
Read Later

Contact Form

Please enter security code
      Close