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न्यूज क्लिपिंग्स् | जलवायु परिवर्तन को अनुकूल बनाने के लिए स्थानीय पहल अधिक जरूरी क्‍यों?

जलवायु परिवर्तन को अनुकूल बनाने के लिए स्थानीय पहल अधिक जरूरी क्‍यों?

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published Published on Jan 4, 2024   modified Modified on Jan 4, 2024

इंडियास्पेंड, 04 जनवरी

झारखंड के लातेहार जिले के नेतरहाट पहाड़ियों में बसे गांव दादीचापर में बिरजिया जनजाति के लगभग 35 परिवार रहते हैं। बिरजिया समुदाय भारत के सबसे दुलर्भ चिन्हित 75 आदिवासी समूहों में से एक है। बादलों से ढकी घुमावदार पहाड़ियों और घने जंगलों से घिरा हुआ यह क्षेत्र काफी मनोरम दिखता है।

दादीचापर गांव, लातेहार शहर से 30 किलोमीटर दूर है और इस गांव तक एक पथरीली और घुमावदार सड़क जाती है जो मुख्य सड़क से कई किलोमीटर दूर है। जुलाई के एक गर्म दिन में जब दोपहर के 12.30 बजे के आस-पास मैं दादीचापर पहुंचता हूं तो ग्रामीण अपने खेतों और जंगलों से काम करके अपने घर वापस आ रहे होते हैं। मैं उनमें से एक ग्रामीण निर्मल तेलरा से बात करने लगता हूं, जिनकी उम्र लगभग 60 से 65 वर्ष के बीच होगी। बाकी के ग्रामीण भी इकट्ठा होकर जमीन पर इधर-उधर बैठ जाते हैं।

तेलरा अपने परिवार के साथ गांव में ही रहते हैं और वह क्षेत्र में पड़ने वाली अधिक गर्मी और कम बारिश से चिंतित हैं। जून-अगस्त 2023 के बीच राज्य में मौसमी संचयी वर्षा 798.8 मिमी की सामान्य वर्षा के मुकाबले 502.3 मिमी ही हुई। तेलरा बताते हैं, “हमारे पास पीने के लिए पानी नहीं है, पास की नदी भी सूख गई है। यहां गांव में पानी की कोई पाइप लाइन भी नहीं पहुंची है।”

पक्की सड़क के अभाव का मतलब विभिन्न सरकारी योजनाओं, जैसे- महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी योजना (मनरेगा) या सार्वजनिक वितरण प्रणाली (पीडीएस) से वंचित होना भी है। निकटतम उचित मूल्य की दुकान 2 किमी दूर है, लेकिन ग्रामीणों में कुछ के पास राशन कार्ड नहीं है, वहीं जिनके पास है, उन्हें नियमित रूप से अनाज नहीं मिलता है।
पूरी खबर- इंडियास्पेंड


इंडियास्पेंड, 04 जनवरी https://indiaspendhindi.com/climate-change/why-are-local-initiatives-most-important-for-climate-change-adaptation-887985
 

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