Deprecated (16384): The ArrayAccess methods will be removed in 4.0.0.Use getParam(), getData() and getQuery() instead. - /home/brlfuser/public_html/src/Controller/ArtileDetailController.php, line: 150
 You can disable deprecation warnings by setting `Error.errorLevel` to `E_ALL & ~E_USER_DEPRECATED` in your config/app.php. [CORE/src/Core/functions.php, line 311]
Deprecated (16384): The ArrayAccess methods will be removed in 4.0.0.Use getParam(), getData() and getQuery() instead. - /home/brlfuser/public_html/src/Controller/ArtileDetailController.php, line: 151
 You can disable deprecation warnings by setting `Error.errorLevel` to `E_ALL & ~E_USER_DEPRECATED` in your config/app.php. [CORE/src/Core/functions.php, line 311]
Warning (512): Unable to emit headers. Headers sent in file=/home/brlfuser/public_html/vendor/cakephp/cakephp/src/Error/Debugger.php line=853 [CORE/src/Http/ResponseEmitter.php, line 48]
Warning (2): Cannot modify header information - headers already sent by (output started at /home/brlfuser/public_html/vendor/cakephp/cakephp/src/Error/Debugger.php:853) [CORE/src/Http/ResponseEmitter.php, line 148]
Warning (2): Cannot modify header information - headers already sent by (output started at /home/brlfuser/public_html/vendor/cakephp/cakephp/src/Error/Debugger.php:853) [CORE/src/Http/ResponseEmitter.php, line 181]
न्यूज क्लिपिंग्स् | जलवायु बिगाड़ा, कीमत चुकाओ

जलवायु बिगाड़ा, कीमत चुकाओ

Share this article Share this article
published Published on Sep 16, 2009   modified Modified on Sep 16, 2009
जलवायु परिवर्तन के मुद्दे पर जारी कूटनीति के बीच विकासशील देशों को एक बड़ा सहारा मिला है. विश्व बैंक ने अपनी ताजा रिपोर्ट  में कहा है कि अब भी धरती के जलवायु को बचाना मुमकिन है, लेकिन धनी देशों को इसकी बड़ी जिम्मेदारी उठानी होगी. दिसंबर में डेनमार्क के शहर कोपेनहेगन में जलवायु परिवर्तन पर होनेवाले संयुक्त राष्ट्र सम्मेलन से पहले जारी इस रिपोर्ट में विश्व बैंक ने धनी देशों से कार्बन उत्सर्जन की मात्रा घटाने और वैकल्पिक ऊर्जा स्र्ोतों के विकास के लिए तुरंत कदम उठाने को कहा है.धनी देशों की बड़ी जिम्मेदारीविश्व बैंक ने विकासशील देशों की इस दलील को स्वीकार किया है कि गुजरे समय में जिन देशों ने ग्रीनहाउस गैसों का सबसे ज्यादा उत्सर्जन किया.     

 
उन पर जलवायु को बचाने की सबसे ज्यादा जिम्मेदारी है. विश्व बैंक ने कहा है कि विकासशील देश कम कार्बन उत्सर्जनवाले रास्ते पर चलते हए भी अपनी गरीबी घटा सकते हैं, बशर्ते उन्हें धनी देशों से वित्तीय और तकनीकी मदद मिले. गरीब देशों की यही मांग रही है कि धनी देश उन्हें पर्यावरण रक्षा में मददगार तकनीक उपलब्ध करायें. या तो उन्हें ऐसी तकनीक मुफ्त में दी जाये या इसे खरीदने के लिए धनी देशों से उन्हें ओर्थक मदद मिले. हालांकि धनी देश ऐसा करने का वादा कर चुके हैं, लेकिन उन्होंने जो रकम इस कोष में रखी है, वह ऊंट के मुंह में जीरा जैसी ही है.गरीब देशों से जलवायु संकट नहींअब विश्व बैंक ने भी गरीब देशों की इस राय में अपनी आवाज मिलायी है. उसने कहा है कि जलवायु संकट पैदा करने में गरीब देशों का कोई रोल नहीं रहा है, लेकिन इसका सबसे ज्यादा असर उन पर ही होगा. धरती के गरम होने का 75 से 80 फ़ीसदी नुकसान गरीब देशों को ही उठाना होगा. वैसे विश्व बैंक ने जो बातें कही हैं, उन्हें सिद्धांत रूप में 1992 में रियो द जनेरो में हए संयुक्त राष्ट्र पर्यावरण एवं विकास सम्मेलन में ही मान लिया गया था. वहां एक अंतरराष्ट्रीय संधि हई थी, जिसे यूनाइटेड नेशंस फ्रेमवर्क कॉन्वेशन ऑन क्लाइमेट चेंज के नाम से जाना गया. इसी संधि की अगली कड़ी के रूप में 1997 में हए क्योटो प्रोटोकॉल में भी यह बात मानी गयी.इनकार करते हैं धनी देशलेकिन धनी देश व्यवहार में इस पर अमल से इनकार करते रहे हैं. अब जबकि जलवायु संकट एक इमरजेंसी का रूप ले रहा है, तब उन देशों में हलचल जरूर है, लेकिन वे ग्रीनहाउस गैसों में उत्सर्जन की कटौती की समान जिम्मेदारी विकासशील देशों पर भी डालने की फ़िराक में हैं. इसीलिए कोपेहनहेगन बैठक से पहले संकट पर विचार कम हो रहा है, और कूटनीतिक चालें ज्यादा चली जा रही हैं.नहीं बढ़े धरती का तापमानहालांकि हाल की जी 8 और उभरती पांच अर्थव्यवस्थाओं की बैठक में यह सहमति हई थी कि इस सदी के अंत तक धरती के तापमान में पूर्व औद्योगिक स्तर की तुलना में दो डिग्री सेल्शियस से ज्यादा बढ़ोतरी न होने दी जाये. लेकिन इसके लिए कदम उठाने की जो रूपरेखा बतायी गयी, उसे टालमटोलवाला ही माना गया है. बहराहल, विश्व बैंक की ताजा रिपोर्ट से धनी देशों पर कुछ दबाव जरूर बढ़े गा और गरीब देशों को नया बल मिलेगा.

प्रभात खबर,१६-९-२००९
 

Write Comments

Your email address will not be published. Required fields are marked *

*

Video Archives

Archives

share on Facebook
Twitter
RSS
Feedback
Read Later

Contact Form

Please enter security code
      Close