Deprecated (16384): The ArrayAccess methods will be removed in 4.0.0.Use getParam(), getData() and getQuery() instead. - /home/brlfuser/public_html/src/Controller/ArtileDetailController.php, line: 150
 You can disable deprecation warnings by setting `Error.errorLevel` to `E_ALL & ~E_USER_DEPRECATED` in your config/app.php. [CORE/src/Core/functions.php, line 311]
Deprecated (16384): The ArrayAccess methods will be removed in 4.0.0.Use getParam(), getData() and getQuery() instead. - /home/brlfuser/public_html/src/Controller/ArtileDetailController.php, line: 151
 You can disable deprecation warnings by setting `Error.errorLevel` to `E_ALL & ~E_USER_DEPRECATED` in your config/app.php. [CORE/src/Core/functions.php, line 311]
Warning (512): Unable to emit headers. Headers sent in file=/home/brlfuser/public_html/vendor/cakephp/cakephp/src/Error/Debugger.php line=853 [CORE/src/Http/ResponseEmitter.php, line 48]
Warning (2): Cannot modify header information - headers already sent by (output started at /home/brlfuser/public_html/vendor/cakephp/cakephp/src/Error/Debugger.php:853) [CORE/src/Http/ResponseEmitter.php, line 148]
Warning (2): Cannot modify header information - headers already sent by (output started at /home/brlfuser/public_html/vendor/cakephp/cakephp/src/Error/Debugger.php:853) [CORE/src/Http/ResponseEmitter.php, line 181]
न्यूज क्लिपिंग्स् | ज़हरीली शराब: 'बेवड़े नहीं परिवार के पालनहार थे'-- सुशांत एस मोहन

ज़हरीली शराब: 'बेवड़े नहीं परिवार के पालनहार थे'-- सुशांत एस मोहन

Share this article Share this article
published Published on Jun 25, 2015   modified Modified on Jun 25, 2015
"बेवड़े थे, मर गए ! कहना आसान है लेकिन मालवाणी की गलियों में मरने वाले कुछ लोग बेवड़े नहीं थे बल्कि 6 लोगों के परिवार के पालनहार थे."
ये गुस्से में कहती हैं इन्सावाड़ी की 30 वर्षीया सुवर्णा.
इन्सावाड़ी, लक्ष्मी नगर, खोडरे ये उन छोटी छोटी कॉलोनियों के नाम हैं जिनमें मुंबई का मलवाणी इलाका बंटा हुआ है और जहां बीते एक हफ़्ते में 102 लोग ज़हरीली शराब के कारण अपनी जान गंवा चुके हैं.
इन लोगों के पीछे रह गए परिवार न तो मीडिया के सवालों से खुश हैं और न ही 1 लाख़ रूपए के सरकारी मुआवज़े से क्योंकि जाने वाले लोगों के पीछे एक पूरे परिवार की ज़िंदगी रह गई है.

अब्दुल मुनाफ़ अंसारी - नसीमन

 

40 साल के अब्दुल पेशे से इलेक्ट्रीशीयन थे और दारू पीना उनकी रोज़ की थकान मिटाने का ज़रिया था.
मुनाफ़ के पीछे उसके परिवार में 6 बच्चे और 35 साल की बीवी नसीमन रह गई है.
नसीमन कहती है, "दारू पीने को लेकर हमारा अक्सर झगड़ा हुआ करता था लेकिन अब्दुल पैसे लाता था जिससे घर चलता था तो 20 रूपए उसकी दारू में जाते अखरते नहीं थे."
अब्दुल की कमाई के भरोसे ही 8 सद्स्यों का यह परिवार अपना पुराना घर छोड़कर एक झोंपड़े में आकर रहने लगा था, नसीमन ने बताया,"उसने कहा था कि वो कुछ दिन में हमें बड़े घर ले जाएगा, उसे फ़ैक्ट्री में काम मिला है. अब घर भी हमसे छूट गया और अब्दुल भी."

 

विनोद - वर्षा

 

32 वर्षीय विनोद पेशे से प्राईवेट ड्राईवर थे. दिहाड़ी पर नौकरी करने वाले विनोद की शादी को 4 साल हो गए थे.
विनोद के पीछे उनकी 29 साल की बीवी वर्षा और 2 बच्चें हैं जो अब ये सोचने पर मजबूर हैं कि कल के खाने के लिए पैसा कहां से आएगा ?
वर्षा कहती हैं,"विनोद से अक्सर दारू को लेकर अक्सर मेरी झड़प हो जाती थी, उन्हें जब से सस्ती दारू के अड्डे का पता चला था वो ज्यादा पीने लगे थे."
वर्षा ने कई बार पुलिस में शिक़ायत की और कई बार दारू बेचने वाली मोनिका के पास अपने पति को शराब न देने की गुहार लगाई. लेकिन किसी ने उसकी मदद नहीं की. वर्षा की समस्या है कि अब उसके बच्चों के स्कूल एडमिशन का ध्यान कौन देगा.

 

 

30 साल की तायरा अभी अभी पेट की बीमारी से उबरी है, बीमारी से घर में पैसे की कमी वैसे ही थी और अब महबूब ख़ान की मौत के बाद ये संकट गहरा गया है.
आमतौर पर मौत वाले घर में मातम का माहौल होता है लेकिन तायरा आनन फ़ानन की दौड़भाग में लगी हुई थीं.
तायरा कहती हैं, "मेरी सास काम नहीं कर सकती, मैं शरीर से कमज़ोर हूं और मेरे तीन बच्चे अभी बहुत छोटे हैं. इनके लिए मुझे कुछ तो करना होगा."
तायरा पढ़ी लिखी नहीं है और बेबसी से कहती हैं, "सुबह बच्चों को चटनी का पैकेट दे देती हूं और रात में कच्ची सब्जियां, सरकार से पैसा मिला है लेकिन मुझे तो पढ़ना लिखना नहीं आता क्या करूं ?"

 

अरूण गणेश पटनायक

 

लोहे के डेकोरेटिव आईट्म्स बनाने वाले 34 साल के अरूण ने शराब न पीने की कसम खा ली है.
अरूण के साथ दुकान पर काम करने वाले उनके दो दोस्त दिनेश (38) और कमलेश (35) उनकी आंखो के सामने गुज़र गए और अरूण ख़ुद को किस्मत वाला मानते हैं कि वो उस दिन दारू पीने नहीं गए.
अरूण ने कहा, "मालवणी में दारू का यह अड्डा बहुत पुराना है और आना जाना रोज़ का था लेकिन कभी सोचा नहीं था ऐसा होगा."
अरूण की परेशानी है कि उनका काम खोलने में उनके मृत दोस्तों के भी पैसे लगे थे और अब वो अकेले इस काम को चला नहीं पाएंगे, डर है कि वो बेरोज़गार हो जाएंगे.

 

 


http://www.bbc.com/hindi/india/2015/06/150624_malwani_hooch_02_left_of_dead_ssm


Related Articles

 

Write Comments

Your email address will not be published. Required fields are marked *

*

Video Archives

Archives

share on Facebook
Twitter
RSS
Feedback
Read Later

Contact Form

Please enter security code
      Close