Deprecated (16384): The ArrayAccess methods will be removed in 4.0.0.Use getParam(), getData() and getQuery() instead. - /home/brlfuser/public_html/src/Controller/ArtileDetailController.php, line: 150
 You can disable deprecation warnings by setting `Error.errorLevel` to `E_ALL & ~E_USER_DEPRECATED` in your config/app.php. [CORE/src/Core/functions.php, line 311]
Deprecated (16384): The ArrayAccess methods will be removed in 4.0.0.Use getParam(), getData() and getQuery() instead. - /home/brlfuser/public_html/src/Controller/ArtileDetailController.php, line: 151
 You can disable deprecation warnings by setting `Error.errorLevel` to `E_ALL & ~E_USER_DEPRECATED` in your config/app.php. [CORE/src/Core/functions.php, line 311]
Warning (512): Unable to emit headers. Headers sent in file=/home/brlfuser/public_html/vendor/cakephp/cakephp/src/Error/Debugger.php line=853 [CORE/src/Http/ResponseEmitter.php, line 48]
Warning (2): Cannot modify header information - headers already sent by (output started at /home/brlfuser/public_html/vendor/cakephp/cakephp/src/Error/Debugger.php:853) [CORE/src/Http/ResponseEmitter.php, line 148]
Warning (2): Cannot modify header information - headers already sent by (output started at /home/brlfuser/public_html/vendor/cakephp/cakephp/src/Error/Debugger.php:853) [CORE/src/Http/ResponseEmitter.php, line 181]
न्यूज क्लिपिंग्स् | जाति के भंवर में उलझा लोकतंत्र - एनके सिंह

जाति के भंवर में उलझा लोकतंत्र - एनके सिंह

Share this article Share this article
published Published on Jul 11, 2017   modified Modified on Jul 11, 2017
भारत के संविधान की अनुसूची-3 में मंत्रियों और जनप्रतिनिधियों (जिसमें प्रधानमंत्री और मुख्यमंत्री भी शामिल हैं) द्वारा पद ग्रहण करने से पहले ली जाने वाली शपथ का उल्लेख है। उन्हें इस बात की शपथ लेनी होती है कि वे संविधान में 'सच्ची श्रद्धा और निष्ठा रखते हैं। संविधान निर्माताओं ने सोचा होगा कि सार्वजनिक रूप से शपथ लेने से मानव बंध जाता है, क्योंकि उसे ईश्वर से डर लगे या न लगे, पर प्रजातंत्र में जनता की नजरों से गिरने का जरूर भय रहेगा।

 

बहरहाल, भारत में ठीक उल्टा हुआ और नेता की समझ विकसित हुई कि शपथ लेने के बाद सरकारी सुविधा में ईश्वर को मंदिर के दर पर 'वीआईपी दर्शन कर खुश किया जा सकता है, लेकिन जनता की नाराजगी की काट एक ही है और वह है उसे जाति या संप्रदाय में बांट देना और खुद को उसका 'प्रोटेक्टर या रहनुमा बताना। अभिजात्य वर्ग के लिए या दिल्ली के इंडिया इंटरनेशनल सेंटर यानी आईआईसी में सेमिनार के लिए इसका नाम 'सोशल जस्टिस फोर्सेस (सामाजिक न्याय की ताकतें) दिया गया।

 

नतीजा यह हुआ कि जब वर्षों पहले लालू प्रसाद यादव पर चारा घोटाले का आरोप लगा, तब एक संपादक ने बिहार के एक यादव-बहुल क्षेत्र राघोपुर में, जहां से लालू और उनके परिवार के लोग समय-समय पर चुनाव लड़े, अपने रिपोर्टर भेजे। रिपोर्टर का सवाल था- 'लालू यादव चारा घोटाला में फंसे हैं। आपकी क्या प्रतिक्रिया है? लगभग सभी यादवों का जवाब था - 'बाबू साहेब, आपका नाम क्या है? जब उस रिपोर्टर ने नाम बताने की जरूरत नहीं होने की बात कही और प्रश्न दोहराया तो उनका जवाब था - 'जगन्न्ाथ मिश्रा भ्रष्टाचार करें तो आप लोगों नहीं दिखाई देता, लेकिन हमारा नेता छाती ठोककर भ्रष्टाचार कर रहा है तो बड़ा बुरा लग रहा है।

 

किसी समाज में किसी जाति विशेष के नेता द्वारा अगर भ्रष्टाचार करना भी उस जाति की सामूहिक गरिमा का परिचायक होने लगे तो वहां प्रजातंत्र, प्रजातांत्रिक मूल्य, नियम और कानून-व्यवस्था सामुद्रिक आंधी में छोटी नौका की तरह डोलने लगते हैं और अंत में डूब जाते हैं। घोटाले में फंसने के कारण लालू के बाद उनकी पत्नी राबड़ी देवी का शासन में आना और फिर बाद में उनके बच्चों का भी संविधान में उसी 'सच्ची निष्ठा की शपथ लेना मानो प्रजातंत्र का उस आंधी में नाव की मानिंद रहा। इस आंधी में कोई अपराधी शहाबुद्दीन भी पांच बार चुनाव जीतता है, क्योंकि उसे एक खास समुदाय अपना 'रॉबिनहुड मानता है और दूसरे समुदाय का वोटर डर के मारे वोट देने लगता है। शहाबुद्दीन जेल से भी वही करता है, जो छुट्टा घूमते हुए करता था। संविधान में 'सच्ची निष्ठा थी, तभी तो अपने खिलाफ किसी भी गवाह को जिंदा नहीं रहने देता है। फिर वोटर का अपने रॉबिनहुड से मोहभंग हो जाएगा अगर गवाह इतनी हिमाकत कर जाए कि अदालत तक पहुंचकर 'साहेब के खिलाफ बोल दे।

 

बहरहाल, लालू यादव अदालत में भ्रष्टाचार के तमाम मामलों के बावजूद चुनाव-दर-चुनाव मंत्री के रूप में केंद्र में संविधान में 'सच्ची निष्ठा की शपथ लेते रहे, वहीं बिहार में राबड़ी देवी और अब उनके 'होनहार बेटा-बेटी भी। कुछ साल हुए जब लालू यादव की वर्षों की 'सच्ची निष्ठा और अदालत के फैसले में टकराव होता है। इस बार कानून की व्यवस्था जीत जाती है और लालू चुनाव राजनीति से बाहर कर दिए जाते हैं। यहीं पर प्रजातंत्र के प्रति जनता की समझ और संविधान की प्रजातांत्रिक व्यवस्था में विरोधाभास दिखता है, जो समस्या की जड़ में है। अगर लालू यादव भ्रष्टाचार के दोषी हैं और अदालत सजा भी दे चुकी है तो फिर लालू की पार्टी, लालू का परिवार कैसे वोट पाता है? क्या वोटरों को किसी बमुश्किल हाई स्कूल पास और नीम शिक्षित जनसेवा से कोसों दूर पत्नी और बेटा-बेटियों में भी वही 'गरीबनवाज दिखाई देने लगा?

 

बिहार विधानसभा में नीतीश कुमार लालू यादव की संवैधानिक प्रतिबद्धता और गरीबों (यादव-मुस्लिम वोटरों) के उत्थान के लिए उनकी कर्मठता देखते हुए दस साल लालू को बुरा-भला कहने के बाद गलती का अहसास करते हैं और लालू का हाथ थाम लेते हैं। बिहार की 'प्रबुद्ध लेकिन जाति और संप्रदाय में बंटी जनता एक बार फिर प्रजातंत्र को 'मजबूत करने के लिए इस गठबंधन को अपना तारणहार बनाती है।

 

इसी बीच लालू पर नाजायज धन और जायदाद कमाने के तमाम मामलों की केंद्रीय जांच एजेंसी सीबीआई के द्वारा जांच शुरू होती है। अब यहां पर भी लालू ब्रांड प्रजातंत्र का नमूना देखिए। जब लालू यादव ने 'रेल मंत्री के रूप में संविधान में 'सच्ची निष्ठा की शपथ ली और उसके अनुरूप काम शुरू किया तो बिहार के एक परिचित व्यक्ति के होटल को मनमाने ढंग से सरकारी होटल चलाने का ठेका दे दिया जाता है। ठेका काफी कम में उठाया जाता है। लालू की पार्टी के एक अन्य मंत्री (उन्होंने भी संविधान में 'सच्ची निष्ठा की शपथ ली थी) प्रेम गुप्ता की पत्नी सरला गुप्ता की व्यावसायिक क्षमता पर तनिक गौर फरमाएं कि उनकी कंपनी को यह होटल चलाने वाला कम दरों पर जमीन का एक कीमती टुकड़ा देता है। फिर यह जमीन का टुकड़ा सरला गुप्ता की कंपनी लालू यादव के परिवार की कंपनी 'लारा (लालू-राबड़ी) को औने-पौने दाम में बेचती है। इसकी कीमत वैसे तो 32 करोड़ रुपए है, लेकिन कागजों में मात्र कुछ लाख दर्ज की गई है। क्या कहीं भी संविधान के प्रति 'सच्ची निष्ठा में कोई कमी किसी लालू या किसी प्रेम गुप्ता में नजर आई?

 

सीबीआई जांच से बौखलाए लालू की गर्जना स्वाभाविक है। हालांकि उनको जवाब इन सवालों का देना था कि क्या होटल को सस्ते में टेंडर दिया गया, क्या होटल मालिक ने प्रेम गुप्ता की पत्नी की कंपनी को जमीन दी, क्या यह जमीन 'लारा कंपनी को ट्रांसफर हुई और क्या इसकी कीमत उस समय बाजार की प्रचलित दर से (जिस पर अन्य लोगों ने जमीनें बेची या खरीदी थीं) कम पर दी गई? लेकिन लालू के प्रजातंत्र की मान्यताएं अलग हैं। उन्होंने पहले तो कहा कि मेरी होने वाली रैली से मोदी डर गए हैं और जब सीबीआई का छापा और पूछताछ की प्रक्रिया लंबी चली, तब लालू ने मीडिया से कहा - 'ये मोदी, अमित शाह मुझे जेल में बंद करके भी मुझे समर्पण करने को मजबूर नहीं कर सकते। मैं इनकी सरकार को उखाड़ फेंकूंगा। लालू को यह बोलने की शक्ति शायद इस बात से मिल रही है कि जनता को जाति और संप्रदाय में बांटकर फिर एक बार 'सच्ची निष्ठा की धज्जियां उड़ाई जा सकती हैं। पर शायद अबकी बार जनता की तर्कशक्ति और सामूहिक सोच बदलेगी तथा प्रजातंत्र संकीर्ण सोच के भंवर से निकल सकेगा।

(लेखक वरिष्ठ पत्रकार हैं। ये उनके निजी विचार हैं)


http://naidunia.jagran.com/editorial/expert-comment-democracy-is-entrapped-in-caste-1235029


Related Articles

 

Write Comments

Your email address will not be published. Required fields are marked *

*

Video Archives

Archives

share on Facebook
Twitter
RSS
Feedback
Read Later

Contact Form

Please enter security code
      Close