Deprecated (16384): The ArrayAccess methods will be removed in 4.0.0.Use getParam(), getData() and getQuery() instead. - /home/brlfuser/public_html/src/Controller/ArtileDetailController.php, line: 150
 You can disable deprecation warnings by setting `Error.errorLevel` to `E_ALL & ~E_USER_DEPRECATED` in your config/app.php. [CORE/src/Core/functions.php, line 311]
Deprecated (16384): The ArrayAccess methods will be removed in 4.0.0.Use getParam(), getData() and getQuery() instead. - /home/brlfuser/public_html/src/Controller/ArtileDetailController.php, line: 151
 You can disable deprecation warnings by setting `Error.errorLevel` to `E_ALL & ~E_USER_DEPRECATED` in your config/app.php. [CORE/src/Core/functions.php, line 311]
Warning (512): Unable to emit headers. Headers sent in file=/home/brlfuser/public_html/vendor/cakephp/cakephp/src/Error/Debugger.php line=853 [CORE/src/Http/ResponseEmitter.php, line 48]
Warning (2): Cannot modify header information - headers already sent by (output started at /home/brlfuser/public_html/vendor/cakephp/cakephp/src/Error/Debugger.php:853) [CORE/src/Http/ResponseEmitter.php, line 148]
Warning (2): Cannot modify header information - headers already sent by (output started at /home/brlfuser/public_html/vendor/cakephp/cakephp/src/Error/Debugger.php:853) [CORE/src/Http/ResponseEmitter.php, line 181]
न्यूज क्लिपिंग्स् | जान ले रही एक अफवाह -- आशुतोष चतुर्वेदी

जान ले रही एक अफवाह -- आशुतोष चतुर्वेदी

Share this article Share this article
published Published on Aug 21, 2017   modified Modified on Aug 21, 2017
जब एक अफवाह लोगों की जान लेने लगे, तो मान लेना चाहिए कि अब पानी सर से ऊपर बह रहा है और समय आ गया है कि केंद्र और राज्य सरकारें इसमें हस्तक्षेप करें, इसके खिलाफ जागरूकता अभियान चलायें. ऐसा कहा जाता है कि अफवाहों के पंख होते हैं, ये उड़ती हैं.


इनकी गति इतनी तेज है कि एक राज्य से दूसरे राज्य की सीमाओं को लांघते इन्हें समय नहीं लगता. महज दो महीने पहले एक अफवाह राजस्थान से उड़ी थी कि कोई महिलाओं की चोटी काट रहा है. इस अफवाह ने अब हरियाणा, दिल्ली, उत्तर प्रदेश, मध्यप्रदेश, बिहार और झारखंड को अपनी चपेट में ले लिया है. अब तो स्थिति इतनी संगीन हो चुकी है कि चोटीकटवा के शक में हत्याएं भी होने लगी हैं.


झारखंड के साहिबगंज जिले का मीरनगर गांव इसका ताजा उदाहरण है. यहां भीड़ ने एक महिला की पीट-पीट कर इसलिए हत्या कर दी, क्योंकि उस पर चोटीकटवा गिरोह में शामिल होने का शक था. हुआ यूं कि गांव में एक महिला की चोटी कटने की अफवाह पूरे क्षेत्र में फैली. धीरे-धीरे गोलबंद हुए ग्रामीण चोटीकटवा गिरोह की खोज करने लगे. इसी दौरान भीख मांग रही एक महिला को गिरोह का सदस्य समझ पकड़ लिया और उन्मादी भीड़ ने उसे इतना पीटा कि उसकी मौत हो गयी.


भीख मांग रहे एक दस वर्षीय बच्चे को भी चोटीकटवा गिरोह का सदस्य समझ कर पीट-पीट कर अधमरा कर दिया. उन्माद इतना प्रबल था कि पुलिस के पहुंचने पर भारी पथराव हुआ और पुलिस को हवाई फायरिंग तक करनी पड़ी. दूसरी घटना उत्तर प्रदेश के आगरा जिले की है, जहां एक 60 साल की बुजुर्ग महिला को ‘चोटी कटवा चुड़ैल' के शक में पीट-पीटकर मार डाला गया. बाद में पता चला था कि वह महिला सुबह-सुबह अंधेरे में शौच करने गयी थी, लेकिन रास्ता भूल जाने की वजह से दूसरे गांव की तरफ चली गयी थी.


मनोवैज्ञानिकों का कहना है कि यह एक सामूहिक उन्माद और एक मनोविकार है, जिसे अफवाह की शक्ल मिल गयी है. अखबारों में आयी खबरों से सच्चाई सामने आ रही है, लेकिन चिंता की बात है कि सूचनाएं टुकड़ों में आ रही हैं. साथ ही लोग उस पर ध्यान नहीं दे रहे. झारखंड के दुमका में महिला की चोटी काटने और उसके दो बच्चों की कुआं में फेंक कर हत्या करने के मामले में हतप्रभ करनेवाली सच्चाई सामने आयी है.


दरअसल चोटीकटवा को आधार बना कर मां ने ही अपने दोनों बच्चों को बारी-बारी से कुएं में फेंक दिया और कैंची से अपने बाल काट लिये थे. पूछताछ के बाद महिला ने अपना अपराध कबूल कर लिया. मनोरोगी यह महिला पहले भी बच्चों को मारने की असफल कोशिश कर चुकी है. राजस्थान के धौलपुर की महिला ने हल्ला मचाया कि उसकी चोटी कट गयी है. पुलिस की पूछताछ में महिला ने खुद कबूल किया कि मानसिक तनाव में उसने खुद अपनी चोटी पत्थरों से रगड़ कर काट दी. उत्तर प्रदेश के गोरखपुर में खुलासा हुआ कि 14 साल की लड़की ने तांत्रिक के कहने पर खुद अपने बाल काटे और अफवाह फैल दी कि चोटीकटवा आया था.


गुजरात के वापी में चोटीकटवा मामले में तीन ऐसी महिलाओं को गिरफ्तार किया गया है, जिनकी चोटी कट गयी थी. तीनों महिलाएं खुद अपनी चोटी काटकर अफवाह फैला रही थीं. उत्तर प्रदेश के हाथरस से खबर आयी कि एक बाबा चोटी काटते पकड़ा गया है. गांव वालों ने दावा किया कि ये बाबा चोटीकटवा है. पुलिस ने छानबीन की तो पता चला कि बाबा तो सिर्फ बहाना था, महिला ने खुद ही अपनी चोटी काट ली थी.


उत्तर प्रदेश के अलीगढ़ से भी हैरान करने वाली खबरें आयीं. एक महिला को लोगों ने चोटीकटवा बता पकड़ा और खंभे से बांध दिया. जब पुलिस मौके पर पहुंची तो पता चला महिला बेगुनाह है और चोटी काटने की बातें महज अफवाह. उत्तर प्रदेश के जालौन जिले के कैथवां गांव की सातवीं क्लास में पढ़ने वाली बच्ची ने दावा किया कि सोते वक्त किसी ने उसकी चोटी काट दी. बाद में पता चला कि बच्ची झूठ बोल रही थी. उसने खुद अपनी चोटी काटी थी. कहने का आशय यह कि इन अफवाहों पर ध्यान न दें, ये कोरी अफवाहें हैं.


कभी मंकी मैन, कभी मुंह नोचवा तो कभी कुछ और. कुल मिलाकर अज्ञानता और अशिक्षा ने अफवाहों को हमेशा बल दिया है. ऐसा देखा गया है कि धर्म के नाम पर अफवाहें बहुत तेजी से फैलती हैं. एक दौर में गणेशजी के दूध पीने कीअफवाह चली और नालियों में दूध बहने लगा. फिर मंकीमैन की अफवाह फैली.


दिल्ली की मलिन बस्तियों और पश्चिमी यूपी के लोग रातभर जागकर हवा में लाठियां भांजते थे. निर्दोषों लोगों को मंकीमैन बता पीटे जाने की घटनाएं भी सामने आयीं. पिछले दिनों पूर्वी उत्तर प्रदेश में सिलबट्टे पर काले निशान को माता मान लिया गया. पेड़ के नीचे रखकर उसकी पूजा होने लगी. इसकी वैज्ञानिक व्याख्या थी कि गर्मी में तापमान के 40 डिग्री सेल्सियस से अधिक हो जाने से पत्थर में मौजूद कार्बन गर्म होकर काले निशान के रूप में उभर आता है. यह सामान्य प्रक्रिया है, कोई देवी प्रकोप नहीं.


कभी अफवाहें अपने आप फैलती हैं, तो कभी सुनियोजित भी होती हैं. मुझे मीडिया खासकर कुछेक टीवी चैनलों से शिकायत है कि उन्होंने चोटीकटवा जैसी अफवाह को जोर-शोर से प्रसारित किया है, उस पर बहसें हो रही हैं.


इस अफवाह को हवा देने में उनकी भी भूमिका है. चोटीकटवा की झूठ साबित होने वाली घटनाओं को उन्होंने कभी जोर-शोर से प्रसारित नहीं किया. हम सब जानते हैं कि यह महज अफवाह है, लेकिन इस सामूहिक उन्माद को वैज्ञानिक दृष्टिकोण से प्रस्तुत नहीं किया जाता. यह नहीं बताया जाता कि इस अफवाह के शिकार केवल निम्न वर्ग के लोग हैं. अभी तक एक भी मामला मध्य वर्ग अथवा उच्च वर्ग की महिला का सामने नहीं आया है.


दरअसल अफवाहों को रोकने में हम आप जैसे सभी जागरूक नागरिक मददगार साबित हो सकते हैं. अफवाह जंजीर की कड़ी की तरह होती है, एक कड़ी टूटी तो उसका रास्ता अवरुद्ध हो जाता है. आपके पास कोई अफवाह सोशल मीडिया अथवा किसी अन्य माध्यम से पहुंचे, तो कृपया उसे आगे न बढ़ायें. उसका रास्ता रोकने में सहायक बनें और वक्त मिलने पर अपने आसपास के लोगों को सच्चाई बतायें, उन्हें जागरूक करें, तभी हम इन अफवाहों को रोकने में सफल हो पायेंगे.


http://www.prabhatkhabar.com/news/columns/story/1041424.html


Related Articles

 

Write Comments

Your email address will not be published. Required fields are marked *

*

Video Archives

Archives

share on Facebook
Twitter
RSS
Feedback
Read Later

Contact Form

Please enter security code
      Close