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न्यूज क्लिपिंग्स् | जिल्लत की जिंदगी जी रहीं महिलाएं इंसाफ के इंतजार में

जिल्लत की जिंदगी जी रहीं महिलाएं इंसाफ के इंतजार में

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published Published on Sep 29, 2015   modified Modified on Sep 29, 2015
गौतम चौबे, रायपुर। छत्तीसगढ़ में टोनही प्रताड़ना से पीड़ित महिलाएं 15 साल से न्याय का इंतजार कर रही हैं। सालों बीत जाने के बाद भी उनके माथे से कलंक नहीं मिट पाया है और वे जिल्लत की जिंदगी जी रही हैं। अदालत की धीमी रफ्तार के कारण अभी तक उन्हें इंसाफ नहीं मिल पाया है और वे वयोवृद्ध हो चुकी हैं। पीड़िता श्याम बाई साहू 70 साल की हो चुकी है और अब केवल सासें थमने का इंतजार कर रही हैं।

उनका कहना है कि ऐसी घटना किसी और बहन के साथ न हो, इसलिए वे लड़ रही हैं। ऐसी जिंदगी जीने से अच्छा है कि मर ही जाएं। फिंगेश्वर ब्लॉक के ग्राम लचकेरा की महिलाएं आज भी उस हृदय विदारकर घटना को याद कर सिहर उठती हैं, जब 2001 में गांव के ही 19 लोगों ने घर से बाहर निकालकर तीन महिलाओं को निर्वस्त्र कर 9 घंटे तक पिटाई की थी।

इस मामले में अदालत ने 2002 में 19 आरोपियों को दस-दस साल कारावास की सजा और 4 लाख 57 हजार अर्थदंड की सजा सुनाई। इस फैसले के खिलाफ आरोपी पक्ष की ओर से उच्च न्यायालय में अपील की गई और 6 माह तक जेल में रहने के बाद वे जमानत पर छूट गए। तब से लेकर अभी तक प्रकरण अदालत में लंबित है।

अब तक नहीं मिले गहने

नईदुनिया ने सोमवार को ग्राम लचकेरा पहुंचकर उन पीड़ित महिलाओं का हालचाल जाना। पीड़िता तीरिथ बाई बताती है कि जब उनको घर से खींच कर बेइज्जत किया गया तो उनके पति, ससुर, देवर किसी ने विरोध नहीं किया और भरी बैठक में उस पर जुल्म किया गया।

उनके गहने चांदी का सूता 28 तोला, ऐंठी 27 तोला, पटा 8 तोला, खिनवा 3-3 ग्राम को भी उतार लिया गया। बाद में पुलिस ने गहनों को जब्त किया। लेकिन आज तक उनके गहने वापस नहीं मिले है।ं इसके लिए रायपुर और गरियाबंद कोर्ट में आवेदन भी लगाया जा चुका है, लेकिन कोई फायदा नहीं मिला।

बेटा बहू ने बना ली दूरी

टोनही प्रताड़ना की घटना के बाद 60 वर्षीय तिरीथ बाई साहू के बेटा बहु ने अपने को अलग कर लिया। तब से वह अलग रहती है और किसी तरह रोजी- मजदूरी करके जिंदगी गुजार रही है। अब केवल न्याय का इंतजार है, ताकि दूसरी महिलाओं के साथ ऐसा दुर्व्यवहार और हृदय विदारक घटना न हो।

बिसाहिन बाई ने बताया कि अज्ञानता, अशिक्षा और गरीबी के कारण वे अदालत की कार्रवाई को भी नहीं समझ पातीं और यहां तक कि उन्हें पेशी की जानकारी भी नहीं मिलती। प्रशासन और न्यायपालिका भी उनके प्रति संवेदना नहीं रखती, इसलिए देरी हो रही है।

राज्य में टोनही प्रताड़ना के 332 प्रकरण लंबित हैं। छत्तीसगढ़ में 2005 में टोनही प्रताड़ना अधिनियम बना है, लेकिन इससे पहले भी टोनही प्रताड़ना के सैकड़ों घटनाएं हुई हैं, जिनमें गरीब और अशिक्षित महिलाओं पर अत्याचार हुए हैं। 332 का आंकड़ा केवल पुलिस के पास पंजीकृत हैं। लेकिन इससे कई गुना ज्यादा घटनाएं होती हैं। चार साल पहले बलौदाबाजार जिले के ग्राम लवन में जादू टोना के शक में दो लोगों की आंखें फोड़ दी गई थीं।

17 राज्यों में है काला जादू

दूसरे राज्यों में डायन या काला जादू के पर महिलाओं के ऊपर अत्याचार के प्रकरण सामने आते हैं। इस छत्तीसगढ़ में टोनही कहा जाता है। क्राइम रिकॉर्ड ब्यूरो के अनुसार देश में 2200 से अधिक महिलाएं इससे पीड़ित हैं। वे असम, राजस्थान, महाराष्ट्र, बिहार, झारखंड, बिहार, कर्नाटक, तमिलनाडु, यूपी, मप्र की हैं।

क्या है टोनही

अंधविश्वास के कारण आज भी गांवों में हजारों लोग अपनी बीमारी का इलाज बैगा से करवाते हैं और बैगा गरीब और कमजोर महिलाओं को बीमारी के लिए जिम्मेदार ठहराता है। इस तरह बैगा के कहने पर कमजोर महिला के साथ मारपीट की जाती है। कई बार तो बीमार व्यक्ति का पूरा परिवार उन पर जानलेवा हमला भी करते हैं।

महिला को ग्रामीणों ने खिलाया मैला

पलारी थाना के ग्राम जुनवानी में शिववती निषाद को जादू टोना के शक में सरेआम पिटाई की गई। 11 मई 2004 को सार्वजनिक रूप से अपमानित करते हुए मैला खाने के लिए बाध्य किया गया। इस घटना में वह बुरी तरह घायल हो गई। इस मामले में बलौदाबाजार के जेएमएफसी कोर्ट ने दो-दो सौ रुपए जुर्माना कर आरोपियों को रिहा कर दिया है।

टोनही प्रताड़ना में सरगुजा सबसे आगे

टोनही प्रताड़ना के मामले में प्रदेश में 331 प्रकरण अदालतों में चल रहे हैं, जिसमें से सर्वाधिक प्रकरण सरगुजा में हैं। वहीं सबसे कम धमतरी जिले में तीन प्रकरण ही है।

जिला प्रकरण

बालोद 6

बलौदाबाजार 12

बस्तर 4

बेमेतरा 6

बिलासपुर 23

दंतेवाड़ा 5

धमतरी 3

दुर्ग 6

जांजगीर चांपा 23

जशपुर 5

कबीरधाम 17

कोंडागांव 4

कोरबा 16

कोरिया 23

महासमुंद 9

रायगढ़ 29

रायपुर 14

राजनांदगांव 26

सुरजपुर 16

अंबिकापुर 58

कांकेर 4

कुल - 331

फास्ट ट्रैक कोर्ट में सुनवाई की मांग

अंधश्रद्धा निर्मूलन समिति के अध्यक्ष डॉ.दिनेश मिश्रा ने उच्च न्यायालय को पत्र लिखकर टोनही प्रताडा के प्रकरणों की शीघ्र सुनवाई करने की मांग की है। उन्होंने टोनही प्रताड़ना के प्रकरणों को फास्ट ट्रैक कोर्ट में सुनने कहा है, ताकि पीड़िताओं को शीघ्र न्याय मिल सके। डॉ.मिश्रा ने इसे लेकर मुख्यमंत्री डॉ.रमन सिंह से भी मुलाकात की है। उन्होंने कहा कि लचकेरा की महिलाएं अब न्याय का इंतजार करते करते थक चुकी है और अब वे 70 साल की हो चुकी हैं।

 


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