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न्यूज क्लिपिंग्स् | जीएम फसलों पर खास सतर्कता जरूरी: विशेषज्ञ

जीएम फसलों पर खास सतर्कता जरूरी: विशेषज्ञ

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published Published on Feb 12, 2013   modified Modified on Feb 12, 2013

लेकिन भारतीय संगठन एनबीपीजीआर ने जैव विविधता को लाभदायक बताया


 


कुछ देशों में कॉटन और मक्का की जेनेटिकली मॉडीफाइड (जीएम) फसलों का पर्यावरणीय प्रभाव पडऩे की आशंकाओं के बीच रोम स्थित कृषि अनुसंधान संगठन बायोवर्सिटी इंटरनेशनल ने कहा है कि खाद्य सुरक्षा हासिल करने के लिए ऐसी परिष्कृत फसलों की खेती के लिए अनुमति देते समय पूरी सतर्कता बरती जानी चाहिए और प्रत्येक फसल के बारे में विस्तृत अध्ययन के बाद ही अनुमति दी जानी चाहिए।

जीएम यानि ट्रांसजेनिक फसलों के पौधों में एक या इससे अधिक जीन अलग से समाहित किए जाने हैं, ये जीन पौधों में परागण के जरिये नहीं होते हैं। अलग से डाले गए जीन किसी अन्य असम्बद्ध पौधे के हो सकते हैं। ये जीन किसी अन्य किस्म के भी हो सकते हैं।

बायोवर्सिटी इंटरनेशनल के डायरेक्टर जनरल एमिल फ्राइसन ने संवाददाताओं को बताया कि आज हमारे सामने पारंपरिक या ट्रांसजेनिक फसलें उगाने के विकल्प उपलब्ध हैं। हमें ट्रांसजेनिक फसलों के चयन में सावधानी बरतनी चाहिए और हर फसल के बारे में स्वतंत्र रूप से विचार करना चाहिए। वह यहां कृषि जैव विविधता के इस्तेमाल और प्रबंधन पर दो दिवसीय कांफ्रेंस में भाग लेने के लिए आए हैं।

उन्होंने कहा कि यह कहना कठिन है कि जीएम फसलों की खेती होने से जैव विविधता पर प्रतिकूल असर पड़ा है क्योंकि अभी तक किसी अध्ययन में इसकी पुष्टि नहीं हो पाई है। बायोवर्सिटी इंटरनेशनल कंसल्टेटिव ग्रुप ऑन इंटरनेशनल एग्रीकल्चरल रिसर्च (सीजीआईएआर) से सम्बद्ध 15 कृषि अनुसंधान केंद्रों में से एक है।

इसके ठीक विपरीत केंद्र सरकार के संगठन नेशनल ब्यूरो ऑफ प्लांट जेनेटिक रिसोर्सेज (एनबीपीजीआर) के डायरेक्टर के. सी. बंसल ने कहा कि कृषि क्षेत्र में जैव विविधता से किसी प्रकार के नुकसान की कोई खबर नहीं है। बल्कि जीएम फसलों से फायदा मिला है। यह अनुसंधान से स्थापित हो चुका है। भारत में बीटी कॉटन की खेती करने की अनुमति है।

देश में इस समय 90 फीसदी से ज्यादा क्षेत्र में बीटी कॉटन की खेती हो रही है। कुछ राज्यों में मक्का का फील्ड ट्रायल हो रहा है। लेकिन सरकार ने बीटी बैंगन की खेती पर पिछले 2010 से रोक लगा रखी है। पर्यावरण प्रेमियों के विरोध के चलते सरकार ने इस पर रोक लगाई थी।

दूसरी ओर वासुदेव आचार्य की अगुवाई वाली कृषि संंबधी संसदीय स्थाई समिति ने पिछले साल सिफारिश की थी कि जब तक जीएम फसलों की बेहतर निगरानी के लिए कोई तंत्र तैयार नहीं होता है, तब तक सभी फील्ड ट्रायल पर रोक लगानी चाहिए।

उधर, रोम के संगठन ने कहा कि दुनियाभर में जीन बैंक की स्थिति काफी खराब है। वैश्विक स्तर पर 74 लाख जीन कलैक्शन हो चुका है। इनमें से एक तिहाई यानि सबसे बड़ा जीन कलैक्शन भारत में है।


http://business.bhaskar.com/article/BIZ-gm-crops-require-special-caution-expert-4177434-NOR.html


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