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न्यूज क्लिपिंग्स् | जेलों में बंद तीन में से एक विचाराधीन कैदी या तो एससी हैं या एसटी: रिपोर्ट

जेलों में बंद तीन में से एक विचाराधीन कैदी या तो एससी हैं या एसटी: रिपोर्ट

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published Published on Jan 21, 2019   modified Modified on Jan 21, 2019
नई दिल्ली: भारत की जेलों में अनुसूचित जातियों (एससी) और अनुसूचित जनजातियों (एसटी) की संख्या उनकी जनसंख्या के मुकाबले काफी ज्यादा है. एक नए अध्ययन में इसका खुलासा हुआ है.

भारत की आबादी में एससी और एसटी समुदाय के लोगों की संख्या 24 फीसदी है लेकिन जेलों में 34 फीसदी से ज्यादा बंदी एससी और एसटी समुदाय के हैं.

इस पर ‘क्रिमिनल जस्टिस इन द शैडो ऑफ कास्ट' के नाम से एक रिपोर्ट न्याय के लिए राष्ट्रीय दलित आंदोलन और राष्ट्रीय दलित मानवाधिकारों के राष्ट्रीय केंद्र द्वारा संयुक्त रूप से तैयार किया गया है. इसमें काफी सारी जानकारी नेशनल क्राइम रिकॉर्ड्स ब्यूरो (एनसीआरबी) के आंकड़ों पर आधारित है.

रिपोर्ट में यह भी पाया गया है कि कुछ राज्यों में उनकी कुल आबादी और उनकी जेलों में अनुसूचित जाति/अनुसूचित जनजाति के प्रतिशत के बीच असमानता उच्च स्तर पर हैं. इसमें कहा गया है कि असम, तमिलनाडु, महाराष्ट्र और राजस्थान का प्रदर्शन सबसे खराब है.

उदाहरण के लिए, तमिलनाडु में यह अंतर 17 फीसदी है. तमिलनाडु में 38 फीसदी विचाराधीन कैदी या तो एससी हैं या एसटी हैं, जबकि प्रदेश की कुल आबादी में उनका हिस्सा 21 फीसदी ही है.

द वायर हिन्दी पर प्रकाशित इस कथा को विस्तार से पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें 


http://thewirehindi.com/69348/under-trial-prisoners-in-india-sc-st-targeted-mostly-study/


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