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न्यूज क्लिपिंग्स् | टूटा सपना: कच्चे घर ने छोड़ा साथ तो शौचालय को बनाना पड़ा आशियाना

टूटा सपना: कच्चे घर ने छोड़ा साथ तो शौचालय को बनाना पड़ा आशियाना

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published Published on Dec 25, 2017   modified Modified on Dec 25, 2017
रायपुर। प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत गरीबों को घर दिलाने के सपने पर पलीता लग रहा है। लोग घर के इंतजार में थक चुके हैं। कइयों के घर एक साल पहले गिर चुके हैं, मरम्मत के लिए पैसे नहीं होने से वे अब खुले आसमान तले जिंदगी बसर करने पर मजबूर हैं।


मानवता को झकझोरने वाला मामला राजधानी से लगे धरसींवा ब्लॉक के ग्राम नेऊरडीह में आया है। शिवदास गेडरे का कच्चा मकान गिर गया तो उन्होंने शौचालय को ही बसेरा बना लिया। शिवदास अकेले रहते हैं, पत्नी-बच्चे साथ में नहीं रहते। रिक्शा चलाकर पेट पालने वाले शिवदास शौचालय में ही अपना पूरा सामान रखते हैं।


बाहर बनता है भोजन, शौचालय में राशन


शिवदास ने राशन-पानी, बिस्तर, कपड़ा शौचालय में रखा है और भोजन बाहर चूल्हे में बनाते हैं। यह जानकारी जब पूर्व जनपद अध्यक्ष एवं वर्तमान जनपद सदस्य पप्पू राजेंद्र बंजारे को मिली तो वे वहां पहुंचे। शौचालय में रह रहे शिवदास गेडरे को पीएम आवास दिलाने का आश्वासन दिया। जिला पंचायत सीईओ नीलेश क्षीर सागर ने भी 2019 तक पीएम आवास सूची में शामिल हितग्राही को आवास आवंटित करने की बात कह रहे हैं।


योजना का लाभ उठाना चाहते हैं अमीर


गरीबों को समय पर पीएम आवास नहीं मिलने की वजह यह भी है कि अमीर योजना का लाभ उठाना चाहते हैं। बताया जाता है कि पीएम आवास के लिए 2011 में रायपुर में हुए सर्वे में 60 हजार परिवारों को पात्र बताया गया था। भौतिक सत्यापन के बाद 25 हजार परिवार ही पात्र निकले। ऐसे में जिनको पहले मकान दे दिया गया, उनमें से कुछ ऐसे हैं जिनको आवश्यकता नहीं थी।


जिम्मेदारों को होश नहीं, 10 हजार परिवार छूटे


कलेक्टोरेट जनदर्शन, सीईओ के पास दस हजार परिवार ऐसे हैं जो दावा कर रहे हैं कि उनके पास वाकई घर नहीं है। जिनके पास घर नहीं है, उनको देखने की जिम्मेदारी जिन पर है, वे होश खो बैठे हैं। शिवदास शौचालय में गुजर-बसर करते हैं, क्या सरकारी तंत्र को पता नहीं होगा? पंचायत सचिव, रोजगार सहायक, कार्यरोपण अधिकारी ग्रामीण क्षेत्र में हमेशा तैनात रहते हैं फिर भी शिवदास खानाबदोश जिंदगी जीने को मजबूर हैं।


अब तक सिर्फ 13 हजार लोगों को मिला घर


सरकार का दावा है कि 2019 तक सभी को घर मिल जाएगा। रायपुर में 13 हजार परिवार को मकान दे दिया गया है, अभी भी 12 हजार बचे हैं। दस हजार परिवार ऐसे हैं जो वाकई योजना से छूट गए हैं।


केस 01


नेउरडीह के तोरण धीवर के मकान की दीवारों में दरारें आ गईं है। छोटा घर कभी भी गिर सकता है। इनके तीन बच्चे हैं। इनका नाम सर्वे सूची में नहीं है। इन्होंने सूची में नाम जोड़ने के लिए आवेदन किया है।


केस 02

गांव घोंट तहसील अभनपुर की खेमिन साहू ने कलेक्टर से गुहार लगाई है कि बारिश की वजह से उनका घर कमजोर हो गया है। अभी तक उनको मकान नहीं मिला है।

केस 03

नेउरडीह के पंथू निषाद का घर रहने लायक नहीं है। पूरा मकान टूट गया है। परिवार मजदूरी करता है। पत्नी-बच्चे समेत परिवार में छह सदस्य हैं। पंथू ने प्रधानमंत्री आवास के लिए सरपंच को आवेदन दिया लेकिन इनका नाम शुरू से सूची में नहीं होने से परेशानी है।


कौन पात्र है जांच चल रही है

जो पात्र हैं उनकी वास्तविकता पता करने के लिए सत्यापन का काम चल रहा है। पहले 60 हजार परिवार थे इनमें कुछ अपात्र निकले। अब नए सिरे से जांच करने के बाद दस हजार नए हितग्राही जुड़ सकते हैं। जल्द ही मकान दिलाया जाएगा।

- नीलेश क्षीरसागर, सीईओ, जिला पंचायत रायपुर

मैंने कोशिश की है

शिवदास को घर मिल जाए, शौचालय में सामान न रखना पड़े इसके लिए अपने स्तर पर मैंने प्रयास किया है। उनका नाम सर्वे सूची में है। घर मिल जाएगा।

- अश्वनी ऑडिल , सरपंच, नेउरडीह पंचायत


https://naidunia.jagran.com/chhattisgarh/raipur-raw-house-with-left-toilets-had-to-be-built-house-1468490?utm_source=naidunia&utm_medium=navigation


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