Deprecated (16384): The ArrayAccess methods will be removed in 4.0.0.Use getParam(), getData() and getQuery() instead. - /home/brlfuser/public_html/src/Controller/ArtileDetailController.php, line: 150
 You can disable deprecation warnings by setting `Error.errorLevel` to `E_ALL & ~E_USER_DEPRECATED` in your config/app.php. [CORE/src/Core/functions.php, line 311]
Deprecated (16384): The ArrayAccess methods will be removed in 4.0.0.Use getParam(), getData() and getQuery() instead. - /home/brlfuser/public_html/src/Controller/ArtileDetailController.php, line: 151
 You can disable deprecation warnings by setting `Error.errorLevel` to `E_ALL & ~E_USER_DEPRECATED` in your config/app.php. [CORE/src/Core/functions.php, line 311]
Warning (512): Unable to emit headers. Headers sent in file=/home/brlfuser/public_html/vendor/cakephp/cakephp/src/Error/Debugger.php line=853 [CORE/src/Http/ResponseEmitter.php, line 48]
Warning (2): Cannot modify header information - headers already sent by (output started at /home/brlfuser/public_html/vendor/cakephp/cakephp/src/Error/Debugger.php:853) [CORE/src/Http/ResponseEmitter.php, line 148]
Warning (2): Cannot modify header information - headers already sent by (output started at /home/brlfuser/public_html/vendor/cakephp/cakephp/src/Error/Debugger.php:853) [CORE/src/Http/ResponseEmitter.php, line 181]
न्यूज क्लिपिंग्स् | तरक्की का चमत्कार हिबड़े बाजार

तरक्की का चमत्कार हिबड़े बाजार

Share this article Share this article
published Published on Jul 2, 2014   modified Modified on Jul 2, 2014
कुशल प्रशासन और चुस्त प्रबंधन की वजह से महाराष्ट्र के अहमदनगर जिले के हिबड़े बाजार गांव की आज पूरे देश में चर्चा है. कैसे एक युवा सरपंच के नेतृत्व में एकजुट हिबड़े बाजार के लोगों ने गरीबी से न केवल मुक्ति पा ली, बल्कि आज पूरा गांव आत्मनिर्भर है. ‘राहें और भी हैं' की इस सीरीज में आज पढ़ें गवर्नेस के सफल मॉडल बन चुके हिबड़े बाजार की तरक्की की दास्तान..

गरीबी से घिरा हुआ गांव, जहां शराब की दुकानें हो, नशाखोरी और अपराध हो, वहां भी आर्थिक संपन्नता और तरक्की आ सकती है? यह नामुमकिन-सा लगता है, लेकिन ई-गवर्नेस ने यह सब काम कर दिखाया है. इसका उदाहरण महाराष्ट्र के एक जिले अहमदनगर का हिबड़े बाजार है. 1972 में जिस हिबड़े बाजार के लोग भुखमरी के शिकार थे आज उसी हिबड़े बाजार के लोग काफी खुशहाल हैं. 1995 में यहां पर प्रति व्यक्ति आय काफी कम थी यानी 830 रु पये महीना. लेकिन आज यह बढ़ कर 30 हजार रु पये प्रति माह हो गयी है.

235 परिवार वाले इस गांव की जनसंख्या एक हजार के आस-पास है. इस गांव में आज 60 लखपति हैं. पहले जहां यह गांव एक जंगल था, वहीं आज इस गांव में चारों तरफ हरियाली बिखरी पड़ी है.

युवा सरपंच ने बदली तकदीर : गांव के लोगों का कहना है कि 1972 के सूखे के कारण वे लोग टूट से गये थे. छोटी-छोटी बातों पर लड़ाई होती थी. खाने की समस्या थी. मजदूरी के लिए जो लोग बाहर जा सके, चले गये, बाकी लोगों का काम गांव में ही शराब पीना और जुआ खेलने तक सीमित रह गया. आर्थिक हालात ऐसे बन गये कि पूरा सामाजिक ताना-बाना टूटने के कगार पर पहुंच गया. गांववालों में निराशा घर कर गयी थी. हालांकि, देश में आर्थिक सुधार चल रहा था, लेकिन यह गांव उससे अछूता. तभी गांव के कुछ स्थानीय युवाओं ने विचार-विमर्श कर तय किया कि हमें एक नौजवान सरपंच बनाना है. तब जो सरपंच थे उम्रदराज थे और गांव की भलाई के लिए कुछ करने में रु चि नहीं रखते थे.

युवकों ने 1989 में उसी गांव के पोपट राव पंवार को नया सरपंच चुना. वह पोस्ट ग्रेजुएट थे. लेकिन पोपट राव इसके लिए तैयार नहीं था, क्योंकि उसका परिवार भी तब साथ देने को तैयार नहीं था. उनका परिवार चाहता था कि पोपट शहर जाकर काम करें या फिर रणजी ट्रॉफी खेले. मालूम हो कि पोपट अच्छे क्रि केटर भी रहे हैं. लेकिन लोगों का आग्रह वह ठुकरा न सके और चुनाव में निर्विरोध जीते. यहीं से पोपट या उस गांव की किस्मत खुली. दरअसल, पोपट ने महसूस किया कि यह ऐसा मौका है, जहां से अपने और दूसरों के लिए बहुत कुछ किया जा सकता है.

उन्होंने गांव वालों के विकास के लिए बातचीत शुरू की. पूरा गांव उस समय नशे और शराब में डूबा था. गांव में तकरीबन 20 शराब की दुकानें थीं. गांववालों को इस बात के लिए राजी करने में वे कामयाब हुए कि गांव में सबसे पहले शराब की दुकानें बंद करायी जायें. उसके बाद उन्होंने बैंक ऑफ महाराष्ट्र से गरीब परिवारों को लोन दिलवाने में मदद की. चूंकि इन परिवारों ने शराब बेचना छोड़ दिया था, इसलिए इनके पास कमायी का कोई और जरिया नहीं रह गया था.

हरियाली में बदली बंजर भूमि

साथ ही पोपट ने गांव की बंजर पड़ी जमीन को हरा-भरा करने की ठानी. गांव में पानी के अभाव के चलते जमीन बंजर हो गयी थी. इस समस्या को दूर करने के लिए उन्होंने पानी के संरक्षण और मैनेजमेंट पर ध्यान दिया, ताकि खेती हो सके. उन्होंने रेन वाटर हार्वेस्टिंग प्रोग्राम की शुरु आत की. गांव में उन्होंने 50 से 52 के करीब तालाब बनवाये. टैंक और चेक डैम तैयार किये. इसके लिए उन्होंने सरकारी मदद के साथ गांव के लोगों से भी स्वैच्छिक मदद ली. हिबड़े बाजार रेन शैडो में था, क्योंकि वहां बारिश नहीं होती थी. इसलिए गांव के लोगों का मकसद था कि बूंद-बूंद पानी बचाना. तब वहां की सारी भूमि बंजर थी.

सिंचाई के साधनों का विकास

इन सभी पहल के बाद उन्होंने पहली बार मॉनसून में 70 हेक्टेयर भूमि में सिंचाई की. 2010 में भी इस गांव में बेहद कम बारिश हुई थी, मात्र 190 एमएम. फिर भी यहां के लोगों ने पानी को मैनेज कर स्टोर किया और अच्छी तरह से कई फसलें उगायीं. 1995 तक इस गांव में करीब 90 कुएं थे, जिनकी संख्या अब 300 तक जा पहुंची है. ये कुएं 15 से 40 फीट तक गहरे हैं. गांव में 200 फीट नीचे तक पानी लाने के लिए जाना पड़ता है. 1995 में कुल खेती की जमीन का करीब 10वां हिस्सा ही सिंचाई योग्य था. 976 हेक्टेयर में से 150 हेक्टेयर जमीन पथरीली थी. गांव वालों ने मिल कर जमीन से पत्थर हटाया. जमीन की जुताई की और सिंचाई कर अच्छी फसल पैदा की.

नतीजा 1995 में गांव की प्रति व्यक्ति आमदनी 830 रु पये से बढ़ कर 2012 में 30,000 रु पये तक पहुंच गयी. बीपीएल परिवार 1995 में जहां 168 थे, वे घट कर मात्र तीन रह गये. 1995 में जहां दूध का उत्पादन पूरे गांव में 200 लीटर होता था, वहीं आज 4,000 लीटर से ज्यादा हो रहा है. कहना गलत नहीं होगा कि गरीबी, भूखमरी और अपराध से ग्रसित इस गांव में अच्छे गवर्नेंस और लीडरशिप की वजह से विकास हुआ.

श्रम दान की संस्कृति विकसित की पोपट राव ने हिबड़े बाजार में श्रम दान की संस्कृति विकसित की. पशुओं के चारे और पेडों की कटाई बंद करने से जगह-जगह हरियाली आयी. उन्होंने समुचित रूप से योजनाबद्ध तरीके से न्यूनतम संसाधनों से अधिकतम मुनाफा हासिल किया.

हिबड़े बाजार में 2004 से पानी का सालाना ऑडिट होता है, ताकि ग्राउंड वाटर की उपलब्धता का पता चल सके. इस गांव के जो 32 परिवार अन्यत्र चले गये थे, वे वापस गांव आ गये हैं. गांव में महिला समृद्धि समूह, मिल्क डेयरी सोसाइटी, यूथ क्लब, कोऑपरेटिव बाजार खुल गये हैं. गांव के माल को अब हिबड़े बाजार ब्रांड से बेचा जाता है. यह सेल्फ सस्टेन मॉडल है, जिसके आधार पर हर इनसान काम कर सकता है. इस गांव के लोग दूसरे गांव वालों के मुकाबले दोगुना ज्यादा कमा रहे हैं.

हिबड़े बना आदर्श

पोपट राव के विकास मॉडल को देखते हुए उन्हें महाराष्ट्र मॉडल विलेज प्रोग्राम का चेयरमैन भी बनाया गया. 100 गांव को हिबड़े बाजार की तरह बनाने का लक्ष्य है. इस बारे में पोपट राव कहते हैं, ‘सफल होने का एक कारण यह है कि इन कामों में गांव के लोगों की पूरी भागीदारी रही है. लोगों को लगा कि जो काम किया जा रहा है, उसकी उन्हें जरूरत है और यह किया जाना चाहिए. अन्यथा इतना काम होना मुश्किल होता.' उन्हें इस गांव को तरक्की की राह पर लाने में तकरीबन 21 साल लगे, लेकिन अब यदि इसी तरह का कोई दूसरा गांव हो तो उसे डेवलप करने में मात्र दो साल लगेंगे, क्योंकि उन्होंने इस काम की पूरी स्ट्रेटजी को समझ लिया है.

 


http://www.prabhatkhabar.com/news/125934-Promotion-miracles-Hibre-market.html


Related Articles

 

Write Comments

Your email address will not be published. Required fields are marked *

*

Video Archives

Archives

share on Facebook
Twitter
RSS
Feedback
Read Later

Contact Form

Please enter security code
      Close