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न्यूज क्लिपिंग्स् | तीन हजार लो और उठाओ बंदूक

तीन हजार लो और उठाओ बंदूक

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published Published on Mar 29, 2010   modified Modified on Mar 29, 2010

लाल आतंक भारत के लिए एक बड़ा चैलेंज बनता जा रहा है। अब यह आतंक और भी घातक रूप ले सकता है क्योंकि इसकी नजर देश के युवाओं पर पड़ चुकी है। जी हां, अगर नक्सलियों की प्लानिंग कारगर साबित हुई तो ऐसा हो सकता है। माओवाद से प्रभावित देश के दूर-दराज के इलाकों में नक्सलियों ने अपना नेटवर्क बढ़ाने के लिए एक अनोखी रणनीति तैयार की है। इसके मुताबिक नक्सलियों ने अंदरूनी इलाकों में युवाओं को 3000 रुपये महीने की नौकरी और रंगदारी से उगाहे गए पैसे में हिस्से का लुभावना ऑफर दे रहे हैं।

फंस रहे बेरोजगार

माओवादी नेताओं की इस चाल में पिछड़े इलाकों के बेरोजगार युवक फंस रहे हैं। वह पैसे के लालच में इस नक्सली आदोलनों से जुड़ रहे हैं। गृह मंत्रालय इस पूरे मामले को लेकर बेहद चिंतित है। बेहद गरीबी और बेरोजगारी के चलते युवा नक्सलवाद की ओर खिंच रहे हैं।

1400 करोड़ की रंगदारी

नक्सली 1400 करोड़ रुपये के करीब हर साल रंगदारी वसूलते हैं क्योंकि उनका ऑपरेशन ऐसे इलाकों में ज्यादा है जहा खनिज पदार्थो के भंडार हैं और वहा इससे जुड़े उद्योगों की कोई कमी नहीं है। हमले के डर और सुरक्षा के एवज में उद्योगपति, कारोबारी, ठेकेदार और कुछ सरकारी अफसर तक नक्सलियों को रंगदारी देते हैं।

बना रहे हैं नई स्ट्रैटजी

होम सेक्रेटरी के.पिल्लई के मुताबिक नक्सली भारतीय अर्थव्यवस्था के कई हिस्सों पर असर डाल सकते हैं, लेकिन वे अभी ऐसा नहीं कर रहे हैं। क्योंकि उन्हें पता है कि अगर वे अभी ऐसा करेंगे तो राज्य उनसे कड़ाई से निपटेंगे। वे अभी इतने तैयार नहीं है कि सरकारी मशीनरी से लड़ सकें। इसलिए ऐसे में उन्होंने अपनी गतिविधिया धीरे-धीरे बढ़ाने का रणनीति तैयार की है।

जवाब की तैयारी

माओवादियों की रणनीति के जवाब में सरकार आठ राज्यों में फैले 34 जिलों को फोकस एरिया के रूप में चुना है। इन जिलों में नक्सलियों ने कई वारदातों को अंजाम दिया है। इसके अलावा राज्यों की पुलिस फोर्स को अधिक ताकतवर बनाने के लिए केंद्रीय बलों की तैनाती, इंटेलिजेंस इनपुट को साझा करना, ट्रेनिंग और अंतरराज्यीय कोऑर्डिनेशन के जरिए गृह मंत्रालय राज्यों की मदद कर रहा है।

बढ़ रहा है जाल

बताया जा रहा है कि बीते छह महीनों में सिक्योरिटी फोर्स ने चार हजार वर्ग किलोमीटर इलाके को अपने नियंत्रण में लेने में कामयाब हो गए हैं, लेकिन यह काफी नहीं है। दरअसल एक अनुमान के मुताबिक 40 हजार वर्ग किलोमीटर का इलाका नक्सलियों के कब्जे में है, जिसे छुड़ाने के लिए सिक्योरिटी फोर्स को काफी करना होगा। भारत नक्सल समस्या कितनी गहरी होती जा रही है इस बात अंदाजा एक आकड़े के जरिए लगाया जा सकता है।

एक अनुमान के अनुसार पिछले साल हुई नक्सली हिंसा में देशभर में करीब 908 लोगों ने अपनी जानें गंवाई, जो 1971 के बाद सबसे अधिक है। [जेएनएन]


http://in.jagran.yahoo.com/news/national/general/5_1_6294815.html
 

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