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न्यूज क्लिपिंग्स् | दिल्ली की बाढ़ एक मानव जनित त्रासदी

दिल्ली की बाढ़ एक मानव जनित त्रासदी

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published Published on Jul 18, 2023   modified Modified on Jul 20, 2023

डाउन टू अर्थ, 18 जुलाई

यह जान लेना आवश्यक है कि नदी पानी के लिए एक पाइप लाइन नहीं है। ना ही रेत बोल्डर जैसे निर्माण सामग्री उपलब्ध कराने की जगह है। और ना ही बोतलबंद पानी का स्रोत मात्र है। नदी एक जीवित प्रणाली है एवं इसके साथ उचित व्यवहार एवं आदर की आवश्यकता है।

नदी के अलग-अलग व्यवहारिक क्षेत्र होते हैं- नदी चैनल- जो निरंतर बहाव में रहता है। तटवर्ती क्षेत्र चैनल के ऊपर का भाग होता है। इसके ऊपर सक्रिय बाढ़ क्षेत्र होता है एवं अंत में पुराने जलोढ़ बाढ़ क्षेत्र होते हैं। जिसके बाद बांध अथवा सड़क के रूप में तटबंध होता है। कहीं-कहीं तटबंध के बाहर भी क्षेत्र उपलब्ध होता है। यह सारे क्षेत्र एकीकृत रूप से पूरी नदी के प्रणाली को क्रियाशील रखते हैं।

इन सारी प्रक्रिया में बाढ़ द्वारा उत्पन्न जलोढ़ गतिशीलता अत्यंत आवश्यक है। जो बाढ़ क्षेत्र को जीवित एवं क्रियाशील रखने में उपयोगी भूमिका निभाते हैं एवं दूर से लाए तलछट का जमाव बाढ़ क्षेत्र के विभिन्न पर्यावास को जन्म देता है। नदी में जमा होने नहीं देता। फलस्वरूप नदी चैनल में भराव नहीं होता।

यमुना नदी भारत की पवित्र नदियों में से एक है। मुगल काल से देखें तो भारत की राजधानी दिल्ली के अलावा दो अन्य प्रमुख शहर मथुरा और आगरा यमुना के डाउनस्ट्रीम में 200 किलोमीटर के भीतर हैं। जिनका ऐतिहासिक एवं सांस्कृतिक महत्व जगजाहिर है।

हालांकि यमुना इसी विस्तार क्षेत्र में सबसे अधिक प्रदूषित है एवं अत्यधिक शरण भी इसी क्षेत्र में हुआ है। यद्यपि एक शताब्दी पहले ही यमुना के बहाव को ताजेवाला से मोड़ दिया गया है। हाल के दशक में हथनीकुंड के नीचे लीन मौसम (गर्मियों मे) में प्रवाह बिल्कुल समाप्त हो जाता है।
पूरी रपट- डाउन टू अर्थ


डाउन टू अर्थ, 18 जुलाई https://www.downtoearth.org.in/hindistory/natural-disasters/flood/delhi-flood-a-man-made-tragedy-90697
 

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